किसी भी राज्य का विधानसभा चुनाव हो या फिर संसदीय चुनाव। किसी भी राजनीतिक पार्टी को चुनाव जीतने के लिए एक चेहरे की जरूरत होती है। पीएम नरेन्द्र मोदी की लहर में भी बीजेपी दिल्ली व बिहार में चुनाव हार गयी थी जिसकी मुख्य वजह उन राज्यों के बड़े चेहरे अरविंद केजरीवाल व नीतीश कुमार थे। बीजेपी ने कई राज्यों की सत्ता पर कब्जा जमाया है लेकिन पंजाब चुनाव में वापसी करने में नाकामयाब रही। इसकी मुख्य वजह कैप्टन अमरेन्द्रर सिंह थे जिनके चेहरे पर कांग्रेस ने चुनाव जीत कर बीजेपी व आप दोनों ही दलों को तगड़ा झटका दिया था। देश में अब लोकसभा चुनाव २०१९ की तैयारी शुरू हो गयी है। सभी राजनीतिक दलों ने गठबंधन व समीकरण बनाना शुरू कर दिया है ऐसे में महागठबंधन के लिए सबसे तगड़ा झटका पीएम नरेन्द्र मोदी को टक्कर देने वाला चेहरा नहीं होना है जिसका नुकसान भी महागठबंधन को उठाना पड़ सकता है।
यह भी पढ़े:-लोकसभा चुनाव से पहले गेम चेंजर साबित हो सकती है बीजेपी की यह पांच बड़ी योजना, लागू होने के बाद निकाल सकती महागठबंधन की हवा
यह भी पढ़े:-लोकसभा चुनाव से पहले गेम चेंजर साबित हो सकती है बीजेपी की यह पांच बड़ी योजना, लागू होने के बाद निकाल सकती महागठबंधन की हवा
विपक्ष के पास नीतीश कुमार की तरह नहीं है सर्वमान्य नेता
विपक्ष के पास नीतीश कुमार की तरह सर्वमान्य नेता कोई नहीं है। नीतीश कुमार फिर से बीजेपी से गठबंधन नहीं करते तो पीएम नरेन्द्र मोदी की परेशानी बढऩी तय थी। देश में नीतीश कुमार ही ऐसा चेहरा बन कर उभरे थे जिन्हें सभी दल स्वीकार करके नेता मानने को तैयार हो गये थे। नीतीश कुमार की खुद की छवि ऐसी है कि जनता भी उन पर विश्वास कर सकती थी लेकिन विपक्ष के पास अब ऐसा नेता नहीं है जो नीतीश कुमार का विकल्प बन सके। किसी राज्य में मायावती व अखिलेश तो किसी राज्य में में ममता बनर्जी चेहरा बन कर उभर रही है लेकिन सभी दलों का एक ऐसा चेहरा नहीं है जो पीएम नरेन्द्र मोदी को सीधी टक्कर दे सके। राहुल गांधी को सभी दल के नेता पीएम प्रत्याशी के तौर पर स्वीकार नहीं कर रहे हैं ऐसे में बीजेपी को चुनाव लडऩे में आसानी हो गयी है।
यह भी पढ़े:-राजा भैया का बड़ा रुतबा, मिला बड़ा पुरस्कार
विपक्ष के पास नीतीश कुमार की तरह सर्वमान्य नेता कोई नहीं है। नीतीश कुमार फिर से बीजेपी से गठबंधन नहीं करते तो पीएम नरेन्द्र मोदी की परेशानी बढऩी तय थी। देश में नीतीश कुमार ही ऐसा चेहरा बन कर उभरे थे जिन्हें सभी दल स्वीकार करके नेता मानने को तैयार हो गये थे। नीतीश कुमार की खुद की छवि ऐसी है कि जनता भी उन पर विश्वास कर सकती थी लेकिन विपक्ष के पास अब ऐसा नेता नहीं है जो नीतीश कुमार का विकल्प बन सके। किसी राज्य में मायावती व अखिलेश तो किसी राज्य में में ममता बनर्जी चेहरा बन कर उभर रही है लेकिन सभी दलों का एक ऐसा चेहरा नहीं है जो पीएम नरेन्द्र मोदी को सीधी टक्कर दे सके। राहुल गांधी को सभी दल के नेता पीएम प्रत्याशी के तौर पर स्वीकार नहीं कर रहे हैं ऐसे में बीजेपी को चुनाव लडऩे में आसानी हो गयी है।
यह भी पढ़े:-राजा भैया का बड़ा रुतबा, मिला बड़ा पुरस्कार
जानिए क्यों थे पीएम नरेन्द्र मोदी का विकल्प नीतीश कुमार
पीएम नरेन्द्र मोदी की तरह नीतीश कुमार पर भी भ्रष्टाचार का आरोप नहीं है। बिहार का विकास करके नीतीश कुमार ने पीएम मोदी की तरह विकास पुरुष की छवि बनायी है। पीएम नरेन्द्र मोदी को हिन्दुओं का नेता माना जाता है तो नीतीश कुमार को सभी धर्म को लोग स्वीकार करते हैं। पीएम मोदी की तरह नीतीश कुमार भी पिछड़ा वर्ग से आते हैं इसलिए जातीय राजनीति में भी नीतीश कुमार फिट थे लेकिन अब नीतीश कुमार खुद बीजेपी का एक हिस्सा बन चुके हैं। ऐसे में महागठबंधन के लिए पीएम मोदी के विकल्प के तौर पर ऐसा नेता खोजना आसान नहीं होगा, जो गठबंधन में शामिल सभी दलों का विकल्प बन सके।
यह भी पढ़े:-बाहुबली रमाकांत यादव के खिलाफ बीजेपी ने बनाया इस विधायक को प्रत्याशी तो सियासत में आ जायेगा तूफान
पीएम नरेन्द्र मोदी की तरह नीतीश कुमार पर भी भ्रष्टाचार का आरोप नहीं है। बिहार का विकास करके नीतीश कुमार ने पीएम मोदी की तरह विकास पुरुष की छवि बनायी है। पीएम नरेन्द्र मोदी को हिन्दुओं का नेता माना जाता है तो नीतीश कुमार को सभी धर्म को लोग स्वीकार करते हैं। पीएम मोदी की तरह नीतीश कुमार भी पिछड़ा वर्ग से आते हैं इसलिए जातीय राजनीति में भी नीतीश कुमार फिट थे लेकिन अब नीतीश कुमार खुद बीजेपी का एक हिस्सा बन चुके हैं। ऐसे में महागठबंधन के लिए पीएम मोदी के विकल्प के तौर पर ऐसा नेता खोजना आसान नहीं होगा, जो गठबंधन में शामिल सभी दलों का विकल्प बन सके।
यह भी पढ़े:-बाहुबली रमाकांत यादव के खिलाफ बीजेपी ने बनाया इस विधायक को प्रत्याशी तो सियासत में आ जायेगा तूफान