script

नहरों में पानी की जगह दिख रहीं झाड़ियां, किसानों की चिंता, धान की खेती तो गई, कैसे पूरा होगा 2022 तक आय दोगुना करने का राष्ट्रीय संकल्प

locationवाराणसीPublished: Jun 08, 2019 01:29:50 pm

Submitted by:

Ajay Chaturvedi

-नहरों को देख लगता नहीं कब अंतिम बार हुई थी सफाई-भंदहा कला (कैथी) लिफ्ट कैनाल बंद होने से नही पड़ पाई धान की नर्सरी -नहर न चलने से किसान बेहाल, धान की नर्सरी में विलम्ब हो रहा है

सूखी नहर

सूखी नहर

वाराणसी. आसमान से बरस रहे अंगारे, धरती पर पानी की बूंद तक मयस्सर नहीं। तकरीबन आधा जून बीतने को अभी तक नहीं पड़ पाई है धान की नर्सरी। वजह नहरों में पानी की जगह उग आई हैं बड़ी-बड़ी झाड़ियां। किसान जाएं तो किसके पास जाएं। कोई सुनने वाला नहीं, उधर दिन बीतता जा रहा है।
नहर में झाड़ी
आलम यह कि गंगा से निकली भंदहाकला (कैथी) लघु डाल नहर में पिछले 3-4 महीने से पानी की आपूर्ति ठप है। इसके चलते भंदहा कला और ढाखा गांव के सैकड़ों किसान इस वर्ष पशुओं के लिए चारे की खेती तक नही कर पाए। इस समय धान की नर्सरी डालने का समय है फिर भी नहर बंद पड़ी है। वार्षिक घास की सफाई और मरम्मत न होने से नहर जर्जर हो गई है। चूहों ने बिल बना कर इसे और बदतर बना दिया है।
सूखी नहर
इस संबंध में सिंचाई विभाग के अधिकारियों से किसानो ने कई बार गुहार लगाई लेकिन वे हीला हवाली कर रहे हैं और केवल आश्वासन ही दे रहे हैं। किसानो का कहना है कि अगर ढंग से मरम्मत और सफाई करनी हो तो कम से 15 दिन लगेगा इसका मतलब है कि इस वर्ष धान की खेती भी नही हो पाएगी। इस प्रकार 2022 तक किसानो की आय दुगुना करने का राष्ट्रीय संकल्प पूरा कर पाने की बात बेमानी है।
स्थानीय किसानो में सिंचाई विभाग के कर्मचारियों और अधिकारियों के प्रति रोष है और वे बड़े आंदोलन के बारे में मन बना रहे है। भंदहा कला के पूर्व प्रधान तेरसू यादव, घनश्याम सिंह, गोपाल दुबे, राजकुमार पांडेय, बाल मुकुंद सिंह, खरपत्तू यादव, अमर नाथ पांडेय, पूजन यादव आदि किसानो ने चेतावनी दी है कि अगर तीन दिन के अंदर नहर की मरम्मत कार्य नही प्रारभ हुआ तो किसान आन्दोलन के लिए बाध्य होंगे।

ट्रेंडिंग वीडियो