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लोकसभा चुनावः वाराणसी से अब तक नहीं चुनी गई कोई महिला सांसद

locationवाराणसीPublished: Apr 01, 2019 02:18:15 pm

Submitted by:

Ajay Chaturvedi

आजादी के बाद से ही देश में उठाई जा रही नारी सशक्तिकरण की आवाज, पर सर्व विद्या की राजधानी से ही महिला प्रतिनिधि नहीं।

वाराणसी के घाट, बाबा विश्वनाथ और प्रियंका गांधी

वाराणसी के घाट, बाबा विश्वनाथ और प्रियंका गांधी

डॉ अजय कृष्ण चतुर्वेदी

वाराणसी. नारी स्वतंत्रता, नारी सशक्तिकरण की आवाज तो बहुत उठती रही है। बनारस में भी नारी जागृति को लेकर कई आंदोलन छेड़े गए। यहां भी नारी को लेकर बड़ी-बड़ी बातें की गईं। वो वाराणसी जहां बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय सहित चार मान्यता प्राप्त और कुल पांच विश्वविद्यालय हैं। वो वाराणसी जहां शिक्षा की अलख जगाने के लिए एनी बेसेंट ने सेंट्रल हिंदू स्कूल, बेसेंट थियोसाफिकल स्कूल तक की स्थापना की। राजघाट में बसंता कॉलेज और गांधी अध्ययन पीठ की स्थापना हुई। पर 1951-51 से लेकर 2014 तक एक महिला प्रतिनिधि नहीं चुनी गई।
प्रतिनिधि तो तब चुनते जब कोई पार्टी किसी महिला को प्रत्याशी बनाती। दमदार प्रत्याशी। लेकिन किसी राजनीतिक दल ने इसकी पहल नहीं की। चाहे वह कांग्रेस रही हो या कम्यूनिस्ट पार्टी अथवा जनता दल या भारतीय जनता पार्टी। ये उन राजनीतिक दलों का हाल है जो लगातार महिला आरक्षण की बात करते हैं। लेकिन संसद में महिला आरक्षण बिल कभी पास नहीं होता। संसद में तो तभी इस मुद्दे को बल मिले जब राजनीतिक दलों में महिलाओं को बराबरी का दर्जा देने की इच्छा हो।
इस बार ये उम्मीद जगी है और वह उम्मीद जगाई है कांग्रेस ने। यह दीगर है कि इसके पीछे की सोच महिला सशक्तिकरण या महिला को जनप्रतिनिधत्व देने की बात उतनी महत्वपूर्ण शायद नहीं है जितना कि भाजपा प्रत्याशी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मजबूती से लड़ने या उन्हें हराना। फिर भी कांग्रेस ने यह उम्मीद जगाई है, जिला कांग्रेस कमेटी ने सर्व सम्मति से प्रस्ताव पारित किया है कि अबकी प्रियंका गांधी को बनारस से चुनाव लड़ाया जाए। प्रियंका गांधी ने खुद अमेठी, रायबरेली के दौरे में भी सवाल उछाला है कि, ”क्या मैं बनारस से चुनाव लड़ जाऊं…।” इसके बाद से बनारस की महिलाओं में भी उत्साह का संचार हुआ है। उन्हें भी लग रहा है कि शायद पहली बार कोई हममें से हमारा प्रतिनिधि बनने की कोशिश करने आ रहा है। लेकिन अभी तक कोई खुल कर सामने नहीं आ रहा।
हालांकि यह सवाल सोशल मीडिया पर जब वरिष्ठ कांग्रेस नेता अनिल श्रीवास्तव ‘अन्नू’ ने उछाला तो स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़े परिवार की बेटी जागृति राही ने इसका समर्थन किया। साथ ही सौ से ज्यादा लोगों ने इस प्रस्ताव पर अपनी रजामंदी दी है।
आजादी के बाद से अब तक वाराणसी ने जिन्हें बनाया अपना सांसद

1952 ,1957,1962- रघुनाथ सिंह (कांग्रेस)

1967- सत्यनारायण सिंह (भाकपा)

1971- राजाराम शास्त्री (कांग्रेस)

1977 चंद्नशेखर सिंह (जनता पार्टी)
1980- पं. कमलापति त्रिपाठी (कांग्रेस)

1984-श्यामलाल यादव (कांग्रेस)

1989-अनिल शास्त्री (जनता दल)

1991-श्रीष चन्द्र दिक्षित (भाजपा)

1996, 1998, 1999-शंकर प्रसाद जायसवाल (भाजपा)

2004-डॉ राजेश मिश्रा (कांग्रेस)

2009-डॉ मुरली मनोहर जोशी (भाजपा)
2014-नरेंद्न दामोदर दास मोदी (भाजपा)

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