बता दें कि रामनगर में पहले से ही फोरेंसिक लैब है। इस अत्याधुनिक फोरेंसिक लैब में अभी बायोलॉजी सेक्शन (मांस, बाल आदि की जांच), सिरोलॉजी सेक्शन, डॉक्यूमेंट सेक्शन, फिजिक्स सेक्शन (इंजन और चेसिस नंबर की जांच), केमिस्ट्री सेक्शन (मादक और ज्वलनशील पदार्थों की जांच) के साथ ही टाक्सिकोलॉजी सेक्शन (विष अनुभाग) हैं। लैब के प्रभारी संयुक्त निदेशक डॉ. आलोक शुक्ला के मुताबिक मार्च तक बैलेस्टिक सेक्शन (फायर आर्म्स की जांच) भी स्थापित हो जाएगा। डीएनए यूनिट की स्थापना के लिए हमारे पास बिल्डिंग है।
फोरेंसिक लैब में डीएनए यूनिट की स्थापना के लिए प्रदेश सरकार ने नौ करोड़ 86 लाख, सात हजार पांच सौ रुपये के बजट की स्वीकृति प्रदान कर दी है। सूबे के गृह अनुभाग के संयुक्त सचिव एसपी उपाध्याय की ओर से इस बारे में पत्र जारी कर दिया गया है। फोरेंसिक लैब में डीएनए जांच के शुरू होने के बाद वाराणसी, गोरखपुर और इलाहाबाद जोन के 29 जिलों के लिए बड़ी सहूलियत होगी। शासन से स्वीकृत धनराशि के मिलते ही उपकरणों की खरीद,किट-केमिकल की व्यवस्था सहित अन्य प्रक्रियाएं पूरी की जाएंगी और डीएनए जांच शुरू हो जाएगी। आगरा में भी ऐसी ही यूनिट स्थापित की जा रही है। इससे लखनऊ पर निर्भरता कम होगी और रिपोर्ट आने में समय नहीं लगेगा। अब तक प्रदेश में केवल लखनऊ में ही यह सुविधा थी। ऐसे में सारे नमूने वहीं भेजे जाते थे जिससे जांच रिपोर्ट आने में काफी समय लग जाता था।
डीएनए जांच के लिए संबंधित इंसान के बाल, खून, त्वचा और उल्व तरल (एम्नियोटिक फ्लुइड) का सैंपल लिया जाता है। एम्नियोटिक फ्लुइड गर्भावस्था में भ्रूण के चारों ओर मौजूद तरल पदार्थ होता है। इसके अलावा संबंधित शख्स के गालों के अंदरूनी हिस्से से ब्रश या रूई के जितना नमूना लिया जाता है। माउथ वॉश के जरिये भी मुंह के अंदर के सेल जमा किए जाते हैं। फिलहाल 1200 तरह के डीएनए टेस्ट मौजूद हैं। डीएनए टेस्ट की मदद से किसी शख्स से रक्त संबंध के बारे में पता चलता है। साथ ही इसकी मदद से नवजात शिशु में मौजूद किसी भी बीमारी का पता भी लगाया जा सकता है। डीएनए टेस्ट की रिपोर्ट आने में 15 दिन का समय लगता है।