प्रवासी भारतीय सम्मेलन में भाग लेने आये रूपेश श्रीवास्तव ने इस कार्यक्रम की जानकारी रविवार को सिगरा स्थित एक होटल में मीडिया को दी। उन्होंने कहा कि वह बनारस के रहने वाले हैं और क्वींस कॉलेज में पढ़ाई भी की है। इसके बाद भारत में ही उच्च शिक्षा ग्रहण करने के बाद 1993में अमेरिका चले गये थे। वहां पर तीन साल बाद अपनी पहली कंपनी बनायी थी। समय के साथ करोबार बढ़ता गया और बंगलुरु व हैदराबाद में भी कंपनी स्थापित कर भारतीय लोगों को रोजगार दिया है। बनारस में काशी विश्वनाथ मंदिर की वर्चुअल दर्शन कराने की इच्छा थी लेकिन वर्ष 2005 से 2010 के बीच यहां पर बिजली व्यवस्था इतनी खराब थी कि मेरा सपना पूरा नहीं हो पाया। अब स्थिति बदल गयी है इसलिए दुनिया के किसी भी कोने में बैठे बाबा विश्वनाथ के भक्तों को बाबा के दर्शन कराने की योजना को मूर्तरुप दिया गया। रुपेश श्रीवास्तव ने बताया कि काशी विश्वनाथ मंदिर के सीईओ विशाल सिंह से मिल कर इस योजना की जानकारी दी गयी थी तो वह तैयार हो गये। लगभग दो माह तक काम करने के बाद प्रवासी सम्मेलन में इस योजना का उद्घाटन किया जायेगा। संभावना है कि इस योजना को पीएम नरेन्द्र मोदी या फिर सीएम योगी आदित्यनाथ उद्घाटन कर सकते हैं। साथ ही सम्मेलन में इस तकनीक को भी एनआरआई को दिखाया जायेगा।
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प्रयागराज के कुंभ मेला को भी दिखाया जायेगा
रूपेश श्रीवास्वत ने कहा कि प्रयागराज का कुंभ मेला भी इसी तकनीक से लोगों को दिखाया जायेगा। इस तकनीक का प्रयोग अमेरिक सहित कुछ ही विकसित देश कर रहे हैं। यह तकनीक इतनी सटीक है कि आप घर जिस तरफ देखेंगे वहां का तस्वीर सामने आ जायेगी। काशी विश्वनाथ मंदिर के आस-पास की जमीन का रिकॉर्ड भी डिजिटल किया जा रहा है बाद में प्रदेश भर की जमीन को भी इसी तकनीक से डिजटलीकरण किया जायेगा। बीएचयू से भी वार्ता हो रही है और वहां पर बन रहे अस्पतालों की जानकारी व रिकॉर्ड भी डिजीटल करने पर वार्ता चल रही है। रूपेश श्रीवास्तव ने कहा कि काशी विश्वनाथ मंदिर में वर्चुअल दर्शन कराने के लिए प्रवासियों को कुछ फीस देनी होगी। भारत सरकार चाहेगी तो देश के लोगों को यह सुविधा फ्री में मिलेगी। उन्होंने कहा कि इसी तर्ज पर उत्तराखंड में बद्रीनाथ व केदारनाथ के दर्शन कराने की योजना पर भी काम चल रहा है।
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रूपेश श्रीवास्वत ने कहा कि प्रयागराज का कुंभ मेला भी इसी तकनीक से लोगों को दिखाया जायेगा। इस तकनीक का प्रयोग अमेरिक सहित कुछ ही विकसित देश कर रहे हैं। यह तकनीक इतनी सटीक है कि आप घर जिस तरफ देखेंगे वहां का तस्वीर सामने आ जायेगी। काशी विश्वनाथ मंदिर के आस-पास की जमीन का रिकॉर्ड भी डिजिटल किया जा रहा है बाद में प्रदेश भर की जमीन को भी इसी तकनीक से डिजटलीकरण किया जायेगा। बीएचयू से भी वार्ता हो रही है और वहां पर बन रहे अस्पतालों की जानकारी व रिकॉर्ड भी डिजीटल करने पर वार्ता चल रही है। रूपेश श्रीवास्तव ने कहा कि काशी विश्वनाथ मंदिर में वर्चुअल दर्शन कराने के लिए प्रवासियों को कुछ फीस देनी होगी। भारत सरकार चाहेगी तो देश के लोगों को यह सुविधा फ्री में मिलेगी। उन्होंने कहा कि इसी तर्ज पर उत्तराखंड में बद्रीनाथ व केदारनाथ के दर्शन कराने की योजना पर भी काम चल रहा है।
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