गांधी के विचारों को युवा पीढी तक पहुंचाना होगा इस दौरान डॉ शशिकांत ने कहा कि,“ बापू के काशी प्रवास को स्वतंत्रता आंदोलन के एक महत्वपूर्ण भाग के रूप में देखना चाहिए। राष्ट्रपिता के बनारस से संबंदों की चर्चा करते हुए बताया कि हिंदुस्तान का पहला गांधी आश्रम बनारस में ही स्थापित हुआ। अब युवा पीढ़ी की यह जिम्मेदारी है कि हम गांधी के विचारों को आने वाली पीढ़ियों तक ले जाएं। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति के प्रति गांधी के विचारों को हमें गंभीरता से आत्मसात करने की कोशिश करनी चाहिए।”
बापू के विचारों को आत्मसात करना हर विद्यार्थी का कर्तव्य डॉ धनंजय ने कहा कि,“गांधी जी का व्यक्तित्व और उनके नैतिक बल की आभा ही उनकी ताकत रही। उनके विचार हमेशा ही प्रासंगिक रहेंगे। छात्रों को उनके विचारों को आत्मसात करना चाहिए।”
ये रहे शामिल इस सभा को एनएसयूआई की बीएचयू इकाई के अध्यक्ष राणा रोहित, जिलाध्यक्ष ऋषभ पांडेय, अभिनव मणि त्रिपाठी, धर्मेंद्र पाल, शिवा, आदित्य कुमार, शंभू कन्नौजिया, चंदन मेहता, संदीप पाल, मानस सिंह, जागृति रही, इंदु पांडेय, आनंद मौर्य, अमरेंद्र प्रताप, अनूप श्रमिक, नीरज, रोहित केसरी आदि ने भी संबोधित किया। संचालन वंदना उपाध्याय ने किया जबकि कपिश्वर मिश्रा ने आभार जताया।