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ओलंपियान ललित ने यूपी पुलिस की ओएसडी की नौकरी ठुकराई, बोले ये ओलंपियन का अपमान

locationवाराणसीPublished: Jan 04, 2022 12:26:10 pm

Submitted by:

Ajay Chaturvedi

टोक्यो ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने वाले वाराणसी के इकलौते ओलंपियन हॉकी खिलाड़ी ललित कुमार उपाध्याय ने यूपी पुलिस में ओएसडी की नौकरी को ठुका दिया है। उन्होंने पत्रिका से बातचीत मे कहा, कि ये कौन सी नौकरी है जहां कोई भविष्य ही नहीं। बता दें कि गत 9 दिसंबर को ही यूपी सरकार ने ओलंपिन ललित को यूपी पुलिस ओएसडी पद का ऑफर दिया था।

ओलंपियन ललित उपाध्याय

ओलंपियन ललित उपाध्याय

वाराणसी. टोक्यो ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने वाली भातीय हाकी टीम के सदस्य वाराणसी के ललित उपाध्याय ने यूपी सरकार से मिले पुलिस में ओएसडी पद को हासिल करने से इंकार कर दिया है। उन्होंने कहा है कि ये कैसी नौकरी है जहां कोई भविष्य ही नहीं है। ये तो एक ओलंपियन का अपमान है। उन्होंने पत्रिका से टेलीफोनिक बातचीत में कहा कि यूपी में एक मात्र ओलंपिक पद आया है, खेल जगत के लिए इससे बड़ा सम्मान और क्या हो सकता है। बावजूद इसके मुझे ऐसी नौकरी दी गई जहां न प्रमोशन है न पहचान।
ये तो अस्थाई नौकरी है जहां प्रमोशन तक नहीं

बगलूूूरू में इंडियन कैंप कर रहे ओलंपियन ललित ने बताया कि 9 दिसंबर को यूपी सरकार ने यूपी पुलिस में ओएसडी का पद देने की घोषणा हुई और उसके अगले ही दिन मैं बांग्लादेश चला गया। वहां से 24 दिसंबर को लौटा तो इस नौकरी के बारे में पता किया तो जो जानकारी मिली उसे सुन कर चौक गया। उन्होंने बताया कि एक तो ये अस्थाई नौकरी है, दूसरे इसमें प्रमोशन तक नहीं है। बताया गया कि साल दर साल वेतन बढ़ता रहेगा। ऐसे में मैने काफी सोच विचार कर ये नौकरी न करने का फैसला लिया।
ये कैसा सम्मान

उन्होंने कहा कि ये कैसा सम्मान है। एक ओलंपियन को सम्मान नहीं दे सकते। ये कैसा खेल प्रेम है। लगता है कि अन्य प्रदेशों में ओलंपियन्स को मिली सहूलियतों के दबाव में यूपी सरकार ने आनन-फानन में नौकरी की घोषणा तो कर दी पर ये नहीं सोचा कि जो नौकरी दी जा रही है उसका भविष्य क्या है। ये सरासर ओलंपिक मेडल का अपमान है। ललित ने कहा कि मैं और कुछ नहीं चाहता, बस सम्मानजनक काम करना चाहता हूं जिससे अपने प्रदेश में खेल और खिलाड़ी को सम्मान मिल सके। खेल को बढ़ावा मिल सके।
नौकरी की सेवा शर्तें बेढंगी

इस संबंध में ललित का कहना है कि यूपी सरकार की ओर से दी गई नौकरी के लिए नियम और शर्तें बेढंगे हैं। उनका कहना है कि 24 दिसंबर को जब मैं बांग्लादेश के दौरे से लौट रहा था तो उसी दौरान मुझे फोन आया कि आप कब तक ज्वाइन करने आ रहे हैं। इसके बाद मैं लखनऊ गया और मैंने ओएसडी की जॉब प्रोफाइल के बारे में पता किया तो पता चला कि ओएसडी की इस नौकरी में ना प्रमोशन मिलेगा और न ही पुलिस की यूनिफार्म। नौकरी के लिए शासन की ओर से भेजे गए पत्र में पद को भी अस्थायी बताया गया है। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि यह पुलिस विभाग में पुलिस के समकक्ष नौकरी है। मैंने अधिकारियों से कहा कि मैं यह पद स्वीकार नहीं कर सकता।
यूपी में खिलाड़ियों को सुविधा नहीं

ललित ने कहा कि अगर नौकरी देनी ही है तो मुझे सीधी भर्ती दे दें या फिर स्पोर्ट्स में नौकरी दे दें। मैं यूपी में अपने लोगों की सेवा करने के लिए नौकरी करना चाहता हूं। अभी मैं बीपीसीएल में मैनेजर के पद पर नौकरी कर रहा हूं। ओलंपिक में खेलने के बाद दूसरे प्रदेशों में खिलाड़ियों को ढेर सारी सुविधाएं और नौकरी दी गई हैं, लेकिन अपने प्रदेश में ऐसा नहीं हो रहा है।
9 दिसंबर को यूपी पुलिस में ओएसडी का ऑफर मिला था ललित को

ओलंपिक में 41 साल बाद हॉकी में कांस्य पदक जीतने वाली टीम का हिस्सा रहे ललित कुमार उपाध्याय को प्रदेश सरकार ने पुलिस विभाग में विशेष कार्याधिकारी (ओएसडी) बनाने की घोषणा की थी। अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी ने बताया था कि ललित के लिए समूह ख में यूपी लोकसेवा आयोग की परिधि के बाहर विशेष कार्याधिकारी का नि:संवर्गीय पद सृजित किया गया है। पदक जीतकर लौटने के बाद पीएम ने दावत दी थी और ललित से अलग से बात की थी। परिजनों ने भी खुशी जताते हुए कहा था कि पहली बार घर में किसी को वर्दी मिलेगी।
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