वाराणसी

BREAKING- यूपी नहीं चेन्नई में बना ओलंपियन मो शाहिद के नाम से हॉकी स्टेडियम

छह करोड़ की लागत से बना है यह स्टेडियम। हॉकी के जादुगर की पत्नी परवीन ने पिछले महीने उठाई थी मांग। कहा था पति के सारे अवार्ड लौटा दूंगी।

वाराणसीAug 14, 2018 / 07:53 pm

Ajay Chaturvedi

ओलंपियन मो शाहिद

वाराणसी. ओलंपियन मोहम्मद शाहिद, ड्रिबलिंग के जादूगर, 1980 में हुए मास्को ओलंपिक में भारतीय टीम को स्वर्ण पदक दिलाने वाले शाहिद का सपना अब पूरा होगा। इसका बीड़ा उठाया है आईसीएफ ने। इंट्रिगल कोच फैक्ट्री चेन्नई अब चेन्नई में ही ओलंपियन शाहिद के नाम से हॉकी स्टेडियम का निर्माण करा दिया है। इसका उद्घाटन स्वतंत्रता दिवस को होगा। और उद्घाटन करेंगी उनकी पत्नी परवीन। इसके साथ ही परवीन का भी सपना पूरा होगा। वो सपना जिसके लिए उन्होंने हाल ही में राज्य व केंद्र सरकार, प्रधानमंत्री से लेकर तमाम पूर्व हॉकी खिलाड़ियों पर भी गुस्सा उतारा था। यहां तक कहा था कि वह शौहर को मिले सारे अवार्ड सरकार को वापस कर देंगी। उनके इस बयान के बाद वाराणसी में बड़ा हल्ला मचा, डीएम सुरेंद्र सिंह तक उनके घर गए, आश्वासन दिया। लेकिन अभी तक कुछ हुआ नहीं। ऐसे में इस बीच आई यह खबर काफी राहत देने वाली है, हॉकी के ड्रिबलिंग उस्ताद के गृह जनपद न सही हिंदुस्तान के किसी कोने में तो यह पहल हुई है।
बता दें कि आईसीएफ ने यह हॉकी स्टेडियम बनवाया है। यह पहल की है कभी डीरेका में अधिकारी रहे सुधांशु मणि ने। मणि इन दिनों आईसीएफ चेन्नई में महाप्रबंधक हैं। छह करोड़ की लागत से इस स्टेडियम में एस्ट्रो टर्फ बिछाया गया है। इसका उद्घाटन एक सितंबर को होगा। उद्घाटन समारोह में मरहूम शाहिद की बेवा परवीन भी शामिल होंगी, उन्हें बनारस से बैडमिंटन खिलाड़ी राकेश कोचर चेन्नई ले जाएंगे।
बता दें कि 1980 में मॉस्को में हुए ओलंपिक में मिले गोल्ड मेडल में मोहम्मद शाहिद का बड़ा योगदान था. शायद यही वजह है कि उसी साल मोहम्मद शाहिद को जहां अर्जुन पुरस्कार से नवाजा गया वहीं छह साल बाद 1986 में सबसे कम उम्र में मोहम्मद शाहिद पद्मश्री सम्मान पाने वाले हॉकी खिलाड़ी बने। भारतीय हॉकी टीम के कप्तान रहे पद्मश्री मोहम्मद शाहिद का दो साल पहले 20 जुलाई 2016 को इंतकाल हो गया। लंबी बीमारी से जूझते रहे मोहम्मद शाहिद ने जब दम तोड़ा तो उनके परिवार को सहारा देने के लिए बहुत से लोग आए। इनमें केंद्र सरकार और तत्कालीन समाजवादी पार्टी की प्रदेश सरकार के कई मंत्री भी शामिल थे, साथ में हॉकी के कई बड़े नाम भी थे। सबी ने बड़े-बड़े दावे किए। लेकिन वक्त के साथ सब कुछ पीछे छूट गया। लोग मोहम्मद शाहिद को भूल गए। इससे उनका परिवार काफी खफा हुआ।
मोहम्मद शाहिद की पत्नी ने गत 18 जुलाई को कहा कि सरकार ने उस वक्त तो बड़े-बड़े वादे किए थे जिसमें डीएलडब्लू स्टेडियम का नाम मो शाहिद के नाम पर रखना, उनके नाम पर एक बड़ा टूर्नामेंट करना अहम था। लेकिन सरकार ने ये काम नहीं किए। बीते साल उन्होंने अपना पैसा लगाकर टूर्नामेंट कराया, लेकिन इस वर्ष नहीं करा पाईं क्योंकि उनके पास अब परिवार चलाने भर का ही बमुश्किल से पैसा जुट पाता है। सरकार की इस अनदेखी की वजह से वे 20 जुलाई को मोहम्मद शाहिद की पुण्यतिथि के बाद 21 जुलाई को दिल्ली जाकर पद्मश्री, अर्जुन पुरस्कार, यश भारती सम्मान समेत अन्य पुरस्कार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को वापस कर देंगी। अगर वे पीएम से नहीं मिल पाईं तो वहीं धरना देंगी।
परवीन का कहना था कि उनके पति ने देश को कई मेडल दिए। यही वजह है कि उन्हें पद्मश्री सम्मान से नवाजा गया, लेकिन आज उनका परिवार जब संकट की स्थिति में है तो कोई सुन नहीं रहा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई बार बनारस आए। उनसे मिलने के लिए हम लोगों ने समय मांगा लेकिन समय नहीं दिया गया। कई बार मंत्रियों से भी मिलने की गुजारिश की गई लेकिन नतीजा क़ुछ नहीं निकाला।
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