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वाराणसी

गलियों और सड़कों पर खुले आम पी जा रही शराब, हटाई जाएंगी पान की दुकानें, देखें तस्वीरों में…

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6 years ago
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शराब की दुकान पर पीने पर पहले से है प्रतिबंध
शहर का कोई ऐसा इलाका नहीं जहां दिन ढलते ही मयखाने न सज जाते हों। नियमानुसार बार और मॉडल शॉप को छोड़ कहीं भी शराब पीने-पिलाने की इजाजत कानून नहीं देता। लेकिन इस धर्मिक शहर की हालत यह है कि प्रायः हर अंग्रेजी व देशी शराब तथा बीयर की दुकानों पर लोग खड़े हो कर क्या आराम से बैठ कर चखना के साथ पैग पर पैग चढाते मिल जाएंगे। यही वजह है कि शराब की दुकानों के पास दान-भुजना से लेकर चाट-पकौड़ी तक के ठेल व खोमचे वालों की दुकानें सजी रहती हैं। चाहे वह राम कटोरा हो, महमूरगंज हो, लक्सा, मिंट हाउस हो, सोनिया हो। यानी जहां कहीं भी अंग्रेजी शराब और बीयर की दुकाने साथ-साथ हैं वहां तो ऐसा माहौल होता है मानों लाइसेंसी बार खुला है। लक्सा तिराहे पर देशी शराब, अंग्रेजी शराब और बीयर तीनों ही दुकानें हैं। इन तीनों दुकानों के बिल्कुल समीप थाना है। लेकिन शाम के समय कोई जा के देखे तिराहे का हाल। कमोबेश यही हाल महमूरगंज, सोनिया, रामकटोरा और मिंट हाउस का है। बीच सड़क पर लोग गाड़ी पार्क कर पीने-पिलाने में मशगूल रहते हैं।

 

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सुबह से ही शुरू हो जाता है पीने-पिलाने का दौर, शराब की दुकान के समीप हैं कई नामी स्कूल
उधर कमच्छा पॉवर हाउस के समीप शंकुलधारा पोखरा जाने वाले मार्ग पर तो सुबह से ही पीने वालों की लाइन लग जाती है, देशी शराब की दुकान पर। आर्थिक दृष्टि से कमजोर तबके के लोग सुबह-सुबह ही पहुंच जाते हैं। वहीं जलकल की चहारदिवारी के किनारे उनका मयखाना सज जाता है। इसमें महिला-पुरुष सभी वर्ग के लोग रहते हैं। क्षेत्रीय लोगों ने कई बार इसकी शिकायत की आबकारी से लेकर जिला प्रशासन तक लेकिन कोई फर्क नहीं पड़ा। यह हाल तब है जब देशी शराब के ठेके से चंद कदम दूर ही पुलिस की पिकेट है। लेकिन उन्हें भी इससे कोई सरोकार नहीं। बता दें कि इस ठीके से कुछ ही दुरी पर एक यूपी बोर्ड से संबद्ध इंटर कॉलेज है तो यहीं एनी बेसेंट द्वारा स्थापित सेंट्रल हिंदू स्कूल है, एक अन्य सीबीएसई से संबद्ध हाईस्कूल है। थोड़ा और आगे बढ़ें तो शंकुल धारा पोखरे के समीप एक सरकारी प्राथमिक स्कूल है। उससे पहले सीबीएसई से संबद्ध प्राइमरी स्कूल है। ऐसे में स्कूल आने-जाने वाले बच्चे (लड़के-लड़कियां) और टीचर्स सभी परेशान हैं। खास तौर पर महिला टीचर्स किसी तरह से जल्दी-जल्दी उस रास्ते से निकलना चाहती हैं।

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सीएम का आदेश बेअसर, अब डीएम ने कहा, दुकानों पर लगे बोर्ड
हालांकि डीएम सुरेंद्र सिंह ने दो दिन पहले ही आबकारी विभाग को निर्देश दिया है कि वह शराब की दुकानों पर बोर्ड लगवाए जिस पर लिखा हो यहां शराब पीना मना है। यही नहीं यूपी में जब बीजेपी सरकार आई तो मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने सख्त निर्देश जारी किया था कि शराब की दुकानों पर पीने-पिलाने का दौर न चले। इसके लिए स्पेशल टास्क फोर्स तक का गठन किया गया था लेकिन वह भी उसी तरह से ठंडे बस्ते में चला गया जैसे छेड़खानी के मामलों में धरपकड़।

मंदिरों और स्कूलों के पास शराब की दुकानों पर है प्रतिबंध
बता दें कि बहुत पहले से ही मंदिरों और स्कूल के पास शराब की बिक्री प्रतिबंधित है। अभी हाल ही में हाईकोर्ट के निर्देश पर प्राइमरी स्कूलों के निरक्षण पर गए डीएम को एक स्कूल के समीप शराब की दुकान दिखा तो उन्होंने आबकारी विभाग से पूछा था कि स्कूल के नजदीक शराब की दुकान कैसे खुली। लेकिन लोगों का कहना है कि ये कोई अकेली शराब की दुकान नहीं। ऐसी बहुतेरी दुकानें हैं जो स्कूल और मंदिर के समीप है। महमूरगंज और लक्सा में ही शराब व बीयर की दुकानों के पास मंदिर भी है, अस्पताल भी है और कुछ ही दूरी पर लड़कियों के स्कूल भी। लेकिन धड़ल्ले से बिक रही शराब।

 

 

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मुख्य मार्गों से हटेंगी पान की दुकानें
बनारस की आन-बान और शान, पान अब नहीं मिलेगा खाने को, खाना तो दूर देखने को भी नहीं मिलेगा। शहर के मुख्य मार्गों से पान की दुकानों को हटा दिया जाएगा। डीएम सुरेंद्र सिंह ने इस आशय के निर्देश जारी कर दिए हैं। दरअसल जिला प्रशासन का मानना है कि मुख्य मार्गों पर लगने वाली पान की दुकानों से बनारस की छवि धूमिल हो रही है। यहां देश-विदेश से रोजाना हजारों पर्यटक व तीर्थ यात्री आते हैं और पान-तंबाकू के इस्तेमाल के चलते वो खराब छवि लेकर जाते हैं। इस पर अंकुश लगाने के लिए शहर के मुख्य मार्गों से पान, गुटका की दुकानें हटा दी जाएंगी।

अप्रवासी सम्मेलन से पहले सारी दुकानें हट जाएंगी
अगले साल जनवरी में होने वाले अप्रवासी सम्मलेन से पहले ये सारी पान की दुकानें हटा दी जाएंगी। हालांकि डीएम का कहना है कि बनारसी पान की पहचान से कोई छेड़-छाड़ नहीं होगा, लेकिन पान खाने वालों को भी अपनी तरफ से कोशिश करनी होगी। जहां-तहां पान खा कर थूकने की आदत बदलनी होगी ताकि शहर में कहीं गंदगी न दिखाई दे।

 

बनारस है पान की बड़ी मंडी

बता दें कि बनारस पान की बड़ी मंडी है। यहां से पूरे पूर्वांचल को पान जाता है। पान के नाम से बाजार गुलजार है, जिसका नाम है पान दरीबा। पान दरीबा भी दो है, पुराना और नया। चौरसिया समाज पीढ़ियों से इस कारोबार में लगा है। बच्चे से बूढ़े तक, महिला से पुरुष तक। यहां यह भी बता दें कि यहां देश के कोने-कोने से पान का कच्चा माल आता है जिसे यहां बनाया जाता है। पान बनाने की कला बनारसियों को ही पता है। बनारस के लोग यहां से बाहर जा कर बनारसी पान की दुकानें लगाए बैठे हैैं और वह भी मेन मार्केट में। दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, कोलकाता, लखनऊ, पटना कहां नहीं है बनारसी पान की दुकानें। ऐसे ही तंबाकू का भी मार्केट है बनारस में। कई तंबाकू यहां बनाए जाते हैं। वैसे बनारसी सादी सुर्ती यहां की खास पहचान है जो अन्य कहीं नहीं मिलती।

 

बनारस से पुरी तक है बनारसी पान का कारोबार, भगवान जगन्नाथ को चढ़ता है

बनारसी पान का पुरी से है गहरा लगाव। भगवान जगन्नाथ जब रथयात्रा पर निकलते हैं तो उन्हें पान का भोग लगाया जाता है, उस पान की किस्म का नाम ही पड़ गया जगन्नाथी पान। पुरी में तो इसकी खेती होती है। वैसे बिहार के मगह से मगही पान भी आता है बनारस।

कलेक्ट्रेट परिसर में पान गुटखा पर लग चुका है प्रतिबंध
उन्होंने बताया कि कलेक्ट्रेट परिसर में तो 16 जुलाई से ही पान गुटखा पर लग चुका है प्रतिबंध। सात दुकानें सीज की जा चुकी हैं। बता दें कि इसकी शुरूआत 31 मई से ही हो गई थी जब तंबाकू निषेध दिवस पर जिले में कोटपा-2003 (सिगरेट एंड अदर टोबैको प्रोडक्ट्स एक्ट) लागू कर दिया गया है। इसके तहत सड़क पर खुलेआम सिगरेट पीने और पान-सुर्ती खा कर सार्वजनिक स्थलों पर थूकने वालों से पुलिस जुर्माना वसूल करेगी। चालान काटेगी। यह एक्ट तंबाकू बेचने वालों पर भी लागू होग।

कोटपा एक्ट
- 2003 में लागू इस एक्ट के तहत पुलिस कमिश्नर या जिलों के एसएसपी को इन्हें लागू करने का अधिकार है
-सार्वजनिक स्थान पर पान खाकर थूकने और सिगरेट पीने वालों पर 200 रुपये तक जुर्माने का है प्रावधान
-स्कूल-कॉलेज और मंदिर के 100 मीटर के दायरे में तंबाकू बेचने वालों पर 5000 रुपये तक जुर्माने का है प्रावधान
-तंबाकू उत्पादकों द्वारा एक्ट के नियमों का पालन नहीं करने पर जुर्माना और दो साल तक की सजा का है प्रावधान

लोगों का सवाल
लोगों का जिला प्रशासन से सवाल है कि धार्मिक नगरी काशी की छवि पान वालों से ज्यादा खराब हो रही है या खुलेआम शराब पीने-पिलाने के दौर से। जब ये पीने वाले सैलानियों पर फब्ती कसते हैं। भद्दे इशारे करते हैं या ये सैलानी खुले आम सड़कों पर जगह-जगह बने मयखानों को देखते हैं तो क्या उनके दिमाग में क्या अच्छी तस्वीर बनती होगी। लोग पान की दुकानों को हटाने से पहले ये दिन रात 24 घंटे चलने वाले मयखानों को बंद कराने की मांग कर रहे हैं। नाम इसलिए नहीं खोलना चाहते कि शराब के ठेके वाले जीना मुश्किल कर देंगे।

 

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