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जीवन रक्षक 800 दवाओं के दाम में बढ़ोत्तरीः दवा व्यवसायियों ने PM से लगाई मूल्यवृद्धि वापस लेने की गुहार

locationवाराणसीPublished: Apr 18, 2022 06:25:10 pm

Submitted by:

Ajay Chaturvedi

जीवन रक्षक करीब 800 दवाओं के दाम में बेहिसाब वृद्धि की गई है। इससे जहां बड़े पैमाने पर आमजन और मरीज व उनके परिवारजन परेशान हैं तो दवा व्यवसायी भी इसके खिलाफ एकजुट हो गए हैं। सोमवार को उत्तर प्रदेश-उत्तराखंड मेडिकल एंड सेल्स रिप्रजेंटेटिव एसोसिएशन (UPMSRA) ने पीएम मोदी को संबोधित ज्ञापन वाराणसी के जिलाधिकारी कार्यालय को सौंपा।

जीवन रक्षक दवाओं की मूल्यवृदधि वापस करने की मांग के साथ पीएम को संबोधित ज्ञापन सौंपते दवा व्यवसायी

जीवन रक्षक दवाओं की मूल्यवृदधि वापस करने की मांग के साथ पीएम को संबोधित ज्ञापन सौंपते दवा व्यवसायी

वाराणसी. खाद्य पदार्थ से लेकर पेट्रोलियम प्रोडक्ट के दाम तो आसमान छू ही रहे हैं, जीवन रक्षक दवाओं की कीमतों में भी बेहिसाब वृद्धि कर दी गई है। इससे जहां आम आदमी परेशान है तो दवा व्यसायी इस मसले पर एकजुट हो गए हैं। सोमवार को उत्तर प्रदेश-उत्तराखंड मेडिकल एंड सेल्स रिप्रजेंटेटिव एसोसिएशन (UPMSRA) ने प्रधानमंत्री को संबोधित ज्ञापन वाराणसी के जिलाधिकारी कार्यालय को सौंपा।
गंभीर और जानलेवा बीमारियों की दवाओं की कीमतें छू रहीं आसमान

एसोसिएसन के जनरल काउंसिल सदस्य मनोज शर्मा और दूसरे दवा व्यवसायियों ने न केवल जिलाधिकारी कार्यालय को ज्ञापन सौंपा बल्कि प्रधानमंत्री के स्थानीय कार्यालय में भी ज्ञापन दिया। इस मौके पर हुई सभा को संबोधित करते हुए मनोज शर्मा ने कहा कि सरकार जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) का 5 प्रतिशत स्वास्थ्य सेवा के लिए आवंटित करे और जीवन रक्षक दवाओं की कीमत 10.7 फीसद तक बढ़ाने का फैसला वापस ले। सचिव अनुपम सिंह ने कहा कि महंगी हुईं 800 दवाओं में एचआईवी, एंटीसेप्टिक, एंटीफंगल, एंटीबायोटिक, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल, हृदय रोग, कैंसर, किडनी जैसे गंभीर व जानलेवा रोगों के इलाज में काम आने वाली दवा की कीमत आसमान छू रही है।
मेडिकल डिवाइसेज और सर्जिकल आइटम जीएसटी की परिधि से बाहर हो

बालेंद्र सिंह ने मेडिकल डिवाइसेज और सर्जिकल आइटम को जीएसटी की परिधि से बाहर करने की मांग की तो जनरल काउंसलर रजनीश कांत पाठक ने कहा कि केंद्र सरकार स्वास्थ्य और दवा क्षेत्र में कॉर्पोरेट करप्शन को रोकने के लिए कड़े नियम बनाए। सोनू प्रताप सिंह ने ड्रग एंड कॉस्मेटिक एक्ट के तहत दवाओं की ऑनलाइन बिक्री पर अंकुश लगाने की वकालत की। वहीं कुश सिंह ने मल्टीनेशनल कंपनियों के भारतीय फार्मा कंपनी के अधिग्रहण को रोकने की मांग की तो संपूर्णानंद पांडेय ने वैक्सीन उत्पादक इकाईयों को बढ़ाने की वकालत की।
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