इस सीट पर 2014 में पहली बार जीत हासिल करने वाली भाजपा एक बार फिर यूपी के जातीय गणित में फंसती नजर आ रही है। जानकारों की मानें तो बीजेपी को इस चक्रव्यूह से अब पीएम मोदी अमित शाह और योगी नहीं बल्कि सिर्फ एक नेता निकाल सकता है। जिसका नाम है अनुप्रिया पटेल।
अपना दल (एस) की नेता अनुप्रिया पटेल इस समय केन्द्र की मोदी सरकार में स्वास्थ्य राज्यमंत्री मंत्री हैं। मौजूदा समय में एनडीए के साथ हैं। फूलपुर में सर्वाधिक पटेल मतदाताओं के बीचअनुप्रिया की खासी पकड़ है। अनुप्रिया की देन रही कि 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने पहली बार इस सीट पर खाता खोला था। अब इस उपचुनाव में भी भाजपा की जीत का गणित बिठाने में अनुप्रिया ही सबसे मददगार हो सकती हैं।
अनुप्रिया के इशारे पर 3.50 लाख पटेल वोटर अनुप्रिया के पिता सोनेलाल पटेल भी पटेल बिरादरी की राजनीति जीवन भर करते रहे। उनके निधन के बाद अनुप्रिया ने भी उन वोटरों अपने से दूर नहीं होने दिया। पारिवारिक लड़ाई में भी ये वोटर अनुप्रिया का ही साथ दिये। आज भी पटेल समुदाय के किसी भी आयोजन मे अनुप्रिया की मौजूदगी साथ ही पटेलों का मिलता खुला समर्थन इस बात को उजागर करता है कि इस बार के चुनाव में भी अनुप्रिया के इशारे पर जीत हार तय किया जाना है।
इस तरह बदला समीकरण बतादें कि इस सीट पर सर्वाधिक 3.50 लाख पटेल मतदाता हैं। 1.50 लाख ब्राह्मण मतदाता, दो लाख से अधिक मुस्लिम यादव और साथ ही एक लाख से अधिक अनुसूचित वोटर भी हैं। बदले समीकरण के बीच अगर अगर मुस्लिम, यादव और अनुसूचित जाति के वोटर व कुछ अन्य एक तरफ सपा के लिए वोट कर गये तो परिणाम भाजपा के लिए मुश्किल भरा हो सकता है। साथ ही बीजेपी की एक परेशानी ये भी है कि सपा ने भी पटेल बिरादरी से नागेन्द्र सिंह पटेल को उम्मीदवार बना दिया है। इतना ही नहीं कांग्रेस ने ब्राह्मण चेहरे पर दांव खेलते हुए मनीष मिश्रा को उम्मीदवार बना दिया है। ऐसे में बीजेपी के लिए सबसे बड़ी चुनौती पटेल वोटरों को सहेज पाने की है।
मोदी शाह नहीं अनुप्रिया के हाथ में है जीत की चाभी इस बदले समीकरण में बीजेपी को जीत के लिए सिर्फ अनुप्रिया ही सबसे बड़ी नेता हैं। जिनके कहने पर तीन लाख से अधिक पटेल वोटर भाजपा को वोट कर सकता है। अब अनुप्रिया के लिए दुविधा ये है कि अगर वो बीजेपी के कौशलेन्द्र पटेल को जीता कर भेजती हैं तो इस बात की भी खतरा होगी कि उनके अपने पटेल वोटरों में बीजेपी सेंधमारी कर जायेगी। ऐसे में अब जीत अनुप्रिया के हाथ है। उनके इशारे पर ही फूलपुर मे जीत की गणित फिट होगी।