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Pitru Paksha 2019- इस तिथि से शुरू हो रहा है श्राद्ध पक्ष, जानें इस दौरान क्या करें और क्या न करें…

locationवाराणसीPublished: Sep 09, 2019 04:21:54 pm

Submitted by:

Ajay Chaturvedi

Pitru Paksha 2019- श्राद्ध पक्ष में है कई मनाही, भूल कर भी नहीं करना चाहिए ये काममान्यता है कि इस पखवाड़े में पितर आते हैं आपके द्वार, ऐसे में हर कार्य बहुत सोच समझ कर करना चाहिएपितरों को रखें प्रसन्न, आप हमेशा रहेंगे खुश, घर परिवार में नहीं आएगी कोई विपदा

Pitru Paksha

Pitru Paksha

वाराणसी. पितरों को प्रसन्न करने का पखवारा अब शुरू होने को है। इस दौरान धरती के हर इंसान को शास्त्रों में लिखित बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। इन 15 दिनों में जो कुछ जैसा कहा गया है वैसा ही करना चाहिए। इससे पितर प्रसन्न होते हैं और घर-परिवार में किसी तरह की विपदा नहीं आती, पितर खुश होते हैं तो जाते-जाते आशीर्वाद दे कर जाते हैं जिससे कुटुंब का हर शख्स उत्तरोत्तर वृद्धि करता है।
पितरों के तर्पण के पखवारे को ही पितृ पक्ष कहते हैं और इस दौरान पूरी तरह से आस्तिक व सात्विक रहना चाहिए। तन-मन पर पूरा नियंत्रण हो। शुद्ध शाकाहारी भोजन करना चाहिए। तामसी खाद्य-पदार्थ से दूर रहना चाहिए।
इस संबंध में ज्योतिषाचार्य पंडित बृज भूषण दुबे ने पत्रिका से बातचीत में बताया कि पितृ पक्ष 14 सितंबर से शुरू हो रहा है। हालांकि 14 सितंबर की सुबह नौ बजे तक पूर्णिमा का मान है लेकिन श्राद्ध आदि कार्य मध्याह्न में होते हैं ऐसे में प्रतिपदा का श्राद्ध 14 सितंबर से ही शुरू हो जाएगा। उन्होंने बताया कि जिनके पुरखों का निधन पूर्णिमा तिथि को हुआ है वह 13 सितंबर को ही तर्पण करेंगे। पितृपक्ष 28 सितंबर तक रहेगा। मातृ नवमी 23 सितंबर को है, इस दिन मातृ पक्ष (मां, दादी, पर दादी, नानी, परनानी) का श्राद्ध करने का विधान है।
पितृपक्ष में इन बातों का रखना चाहिए खास ध्यान

-पितृपक्ष के दौरान घर के दरवाजे पर आए किसी दीन-दुखिया को लौटाना नहीं चाहिए, उसे दान-दक्षिणा दें, भोजन कराएं. जाने किस रूप में पुरखे पहुंच जाएं दरवाजे पर
-घर के आस-पास या घर के अंदर खुले में पशु पक्षियों के लिए दाना-पानी जरूर रखना चाहिए
-परिवार के हर शख्स को मनसा,वाचा,कर्मणा सात्विक आचरण करना चाहिए, क्रोध नहीं करनना चाहिए।
-सात्विक भोजन करना चाहिए, तामसी भोजन का तिरस्कार करना चाहिए
-बासी भोजन नहीं करना चाहिए
-पुरुषों को बाल-दाढी नहीं बनवानी चाहिए
-तेल-साबुन आदि का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए
-पान नहीं खाना चाहिए, दूसरे घर पर भोजन नहीं करना चाहिए
-नियमित रूप से पुरखों को तिलांजलि देनी चाहिए
-पितरों के नाम भोजन जरूर निकालना चाहिए
– लोहे के बर्तन के इस्तेमाल से बचना चाहिए
– पेड़-पौधों को काटना-छांटना नहीं चाहिए
पितृपक्ष श्राद्ध तिथि

1. पूर्णिमा श्राद्ध- 13 सितंबर

2. प्रतिपदा श्राद्ध-14 सितंबर

3. द्वितीय श्राद्ध- 15 सितंबर

4. तृतीया श्राद्ध-16 सितंबर

5. चतुर्थी श्राद्ध-18 सितंबर

6. पंचमी श्राद्ध- 19 सितंबर
7. षष्ठी श्राद्ध- 20 सितंबर

8. सप्तमी श्राद्ध- 21 सितंबर

9. अष्टमी श्राद्ध- 22 सितंबर

10. नवमी श्राद्ध (मातृनवमी)- 23 सितंबर

11. दशमी श्राद्ध- 23 सितंबर

12. एकादशी श्राद्ध- 24 सितंबर
13. द्वादशी श्राद्ध,संन्यासी, यति, वैष्णव जनों का श्राद्ध- 25 सितंबर

14. त्रयोदशी श्राद्ध, मघा श्राद्ध, गजच्छाया श्राद्ध (मघा एवं त्रयोदशी के योग में)- 26 सितंबर

15. चतुर्दशी श्राद्ध- 27 सितंबर

16. अमावस्या श्राद्ध, अज्ञाततिथिपितृ श्राद्ध, पितृविसर्जन महालय समाप्ति- 28 सितंबर
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