बतादें कि पीए मोदी के 2014 में बनारस सांसद चुने जाने के बाद स्वच्छता को लेकर व्यापक अभियान चलाया गया। कई सफाई के लिए कई कंपनियों को बनारस में उतारा गया। इसका असर ये हुआ कि शहर काफी साफ सुथरा भी दिखा। इधर कंपनियां सफाई तो करती रहीं लेकिन संबन्धित विभाग के अधिकारी यूजर्स चार्ज वसूलने में लगातार लापरवाही बरतते रहे। आखिरकार हुआ ये कि कंपनियों का भुगतान समय से नहीं हो पाया।
कुछ दिन तो इनके पैसे सीएसआर फंड से दिये गये। लेकिन इससे पैसे पूरे न होने के कारण कई कंपनियां अपना सफाई का काम बनारस से समेटने लगीं। इसका असर ये हुआ कि शहर के कई पॅाश इलाकों में रविन्द्रपुरी, बड़ी गैबी, महमूरगंज, सरैया, मलदहिया, शिवपुर समेत इलाको में सीवर ओवरफ्लो करने लगा। इतना ही नहीं जवाहर नगर आनंद पार्क नदेरस, शिवपुरवा, सोनियां रश्मिनगर लंका चौका घाट समेते कई जगहों पर कुड़ा सड़क इकट्ठा होने लगा। ऐसे में नगर आयुक्त ने वसूली के लिए कड़ाई से पालन कराने को कहा है।
किससे की जाएगी कितने की वसूली -कच्चे मकान से- 20 रूपये
-500 वर्ग फीट के मकान से -30
-चाय पान की दुकान से-50 रूपये
-छोटे प्रतिष्ठान से 60 रूपये
-बड़े प्रतिष्ठा से 75 रूपये
-छोटे रेस्टोरेंट से -500 रूपये
-30 कमरे वाले रेस्टोरेंट से 700 रूपये
-बड़े रेस्टोरेंट से 800 रूपये इसी तरीके से बड़े अस्पतालों और थ्री स्टार होटलों से 4.5 हजार रूपये तक की वसूली की जाएगी।
2011 में किया गया था प्रावधान नगर आयुक्त ने बताया कि 2011 से यूजर्स चार्ज वसूलने का प्रावधान किया गया था। लेकिन नगर निगम के अधिकारियों की लापरावही से ये वसूली नहीं की जा सकी। जिस कारण कचरा प्रबंधन औंधे मुंह गिर गया। अब सख्ती पर कितनी सफलता मिलती है ये देखना होगा।