प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अबकी भेंट स्वरूप जीआई पंजीकृत हस्तशिल्प उत्पाद प्रदान किया जाएगा। खास ये इस उपहार में काशी की कला का नमूना तो होगा ही साथ में बाबा विश्वनाथ को प्रिय रुद्राक्ष भी जुड़ा होगा। यानी रुद्राक्ष जड़ित जरदोजी अंगवस्त्र सौंपा जाएगा। इसके अलावा मेटल रिपोजी क्राफ्ट का त्रिशूल और लकड़ी का कमल भी होगा।
पद्मश्री व जीआई विशेषज्ञ डा. रजनीकांत ने बताया कि काशीपुरा निवासी विजय कसेरा, रमेश कसेरा और अनिल कसेरा ने प्रधानमंत्री मोदी को भेंट करने के लिए तीन फीट, छह इंच का मेटल रिपोजी क्राफ्ट (त्रिशूल) तैयार किया है। इसमें चार नाग की आकृति बनी है। नाग के पूंछ को त्रिशूल में लपेटा गया है। इसी प्रकार लल्लापुरा निवासी मुमताज अली ने जरी-जरदोजी एवं रेशम का प्रयोग करते हुए पंचमुखी रूद्राक्ष के 24 दानों को लगाकर अंगवस्त्र तैयार किया है। भगवान शिव का रूद्राक्ष से गहरा नाता है। इस कारण इस अंगवस्त्र में पंचमुखी रूद्राक्ष का प्रयोग किया गया है।
रामकटोरा निवासी चंद्रप्रकाश विश्वकर्मा ने वुडकार्विंग शिल्प का 22 इंच की आकृति में कमल की पंखुड़ियों के बीच शिवलिंग को जड़ित किया है। इसके आधार में सिंह, वृषभ, हाथी और अश्व की आकृति को उकेरा गया है। कमल शिवलिंग की विशेषता यह है कि पंखुड़ियों के बीच में स्थित बटन से घुमाकर खोला एवं बंद किया जा सकता है। इन सभी कलाकृतियों को तैयार करने में शिल्पियों को 15 से 25 दिन का समय लगा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अंगवस्त्र और स्मृतिचिन्ह भेंट करेंगे। इससे पर्यटन के साथ-साथ काशी एवं पूर्वांचल के हस्तशिल्प एवं हथकरघा उद्योग को बढ़ावा मिलेगा। रोजगार के अवसर भी मिलेंगे।
इसके अलावा श्रीकाशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण के साक्षी बनने आ रहे अतिविशिष्ठ अतिथियों को भी विशेष स्मृति चिह्न दिया जाएगा। इसके लिए ब्रांड बनारस के तौर पर हस्तनिर्मित अंगवस्त्र और लकड़ी से बने श्रीकाशी विश्वनाथ धाम की आकृति भेंट की जाएगी। कोशिश ये है कि काशी हर कला का संगम इन विशिष्ठ अतिथियों को भेंट किया जाएगा ताकि काशी की पहचान हस्तशिल्प, लकड़ी का खिलौना उद्योग की निशानी उनके पास रहे।
बता दें कि लोकार्पण समारोह में भाजपा शाषित राज्यों के 14 मुख्यमंत्री, तीन उपमुख्यमंत्री, 200 महापौर के साथ ही देशभर के संत-महंत जुट रहे हैं। ऐसे में काशी की अनूठी कला को विस्तार देने के लिए इससे बढ़िया मौका नहीं हो सकता है। धाम के लोकार्पण के बहाने काशी के जीआइ उत्पादों और हस्तशिल्प उत्पादों को नया आयाम देने की भरपूर कोशिश हो रही है। भविष्य में इसका सुखद परिणाम देखने को मिलेगा।