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विश्वनाथ कॉरिडोर की आधारशिला रख, बोले पीएम मोदी मुझे ऐसे ही कामों के लिए भेजा गया था, विलंब पर पीड़ा भी जताई

locationवाराणसीPublished: Mar 08, 2019 10:30:07 am

Submitted by:

Ajay Chaturvedi

पीएम मोदी ने काशी विश्वनाथ कॉरिडोर की रखी आधारशिला।

विश्वनाथ कॉरिडोर की आधारशिला रखते पीएम मोदी

विश्वनाथ कॉरिडोर की आधारशिला रखते पीएम मोदी

वाराणसी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार की सुबह बाबा विश्वनाथ का आशीर्वाद ग्रहण कर विश्वनाथ कॉरिडोर की आधारशिला रखी। इस मौके पर उन्होने कहा कि जब 2014 में मैने कहा था कि मैं आया नहीं मुझे बुलाया गया है तो मुझे भी विश्वास नहीं था, कि ऐसा काम होगा। अब लगता है मुझे ऐसे ही कामों के लिए बुलाया गया था। वह केंद्र की कांग्रेस और प्रदेश की सपा सरकार पर भी हमला करना नहीं भूले, कहा 70 सालो में किसी ने भी भोले बाबा की मुक्ति के लिए कोई उपाय नहीं किया। अगर प्रदेश की पूर्व सपा सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि अगर पहले तीन साल में सहयोग मिलता तो आज में इस कॉरिडोर का उद्घाटन कर रहा होता। कहा यह भोले बाबा का आदेश है। शायद उन्होंने ही सोचा कि बातें बहुत करते हो कुछ करके तो दिखाओ उन्होंने कॉरिडोर को काशी विश्वनाथ धाम नाम दिया। यह भोले बाबा की मुक्ति का पर्व है। चारों तरफ से दीवारों से घिरे थे भोले बाबा। बाबा को तो मुक्ति मिलेगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्री काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के निर्माण कार्य मे हुए विलंब पर पीड़ा व्यक्त की, कहा कि यदि पिछली सरकार का सहयोग प्राप्त हुआ होता तो आज श्री काशी विश्वनाथ धाम का शिलान्यास नही, उदघाटन होता। श्री काशी विश्वनाथ धाम बाबा भोले नाथ के मुक्ति का पर्व हैं। सदियों तक बाबा को सांस लेने में भी दिक्कत होती रही। श्री काशी विश्वनाथ धाम के निर्माण से बाबा को मुक्ति तो मिलेगी ही, बाबा के भक्तों को विशालता की अनुभूति होगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को अपने ड्रीम प्रोजेक्ट श्री काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर का शिलान्यास करने के पश्चात बाबा भक्तो को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि आज मेरा भी सौभाग्य है कि जिन सपनों को अरसे से संजोया था, वह आज पूरा हो रहा है। राजनीति में नहीं था तब भी यहां आता था। कई बार आया लेकिन नजर आता कि कुछ करना चाहिए। लेकिन पता नहीं शायद भोले बाबा ने तय किया होगा कि बेटे बातें बहुत करते हो आओ यहां करके दिखाओ। आज बाबा के आदेश से सपना साकार होने का शुभारंभ हो रहा है। काशी विश्वनाथ धाम में आज भोले बाबा के मुक्ति का पर्व है। बाबा विश्वनाथ को अगल-बगल कई मकानों ने घेर रखा था। बाबा के भक्तों को अब विशालता की अनुभूति होगी। करीब तीन सौ प्रापर्टी को लेकर जिस प्रकार सहयोग दिया वह अनुकरणीय है। अपनी इस जगह को छोडकर बाबा के चरणों में समर्पित कर दी।
यह काम जिन लोगों ने किया है उनका भी सांसद के रूप में आभार और अभिनंदन करता हूं कि उन्होंने इसे अपना काम मानकर पूरा किया। कितने सदियों से यह स्थान दुश्मनों के निशाने पर रहा। कितनी बार ध्वस्त हुआ अस्तित्व विहीन रहा। यह क्रम सदियों से चलता रहा। महात्मा गांधी जब आए तो उनके मन में भी पीड़ा रही। उन्होंने बीएचयू में भी अपनी पीड़ा व्यक्त की थी। उनकी बात को अब सौ साल होने जा रहे। अहिल्या बाई ने सदियों के बाद इसके पुनरुद्धार का बीड़ा उठाया था। तब उसे यह वर्तमान स्वरूप मिला। अगर आप सोमनाथ जाएंगे तो सोमनाथ में भी उन्होंने बड़ी भूमिका निभाई थी। लेकिन उसको भी ढाई सौ साल बीत गए।
प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं हैरान हूं जब इतनी सारी इमारतों को तोड़ना शुरू किया गया तो चालीस मंदिरों पर लोगों ने कब्जा कर रखा था। भोले बाबा ने चेतना जगाई। चालीस के करीब ऐसे ऐतिहासिक पुरातात्विक मंदिर मिले जो अजूबा लगेगा कि यह काम कैसे हो गया। आज उन मंदिरों के मुक्ति का भी नंबर आ गया जिन्हें लोग दबाते गए थे। दशकों बाद इस बार यहां पर शानदार शिवरात्रि मनाई गई। बाबा का सीधा गंगा से संपर्क हो गया है। यह काशी विश्वनाथ महादेव भोले बाबा का स्थान है। काशी आने का मूल कारण यहां आने का उददेश्य है। उन्होंने कहा कि मंदिरों की रक्षा कैसे हो। उसकी आत्मा को बरकरार रखते हुए आधुनिक व्यवस्था हो,
इसका बहुत अच्छा मिलन दिख रहा है। यह धाम मां गंगा से भी जोड़ेगा। इससे काशी को नई पहचान मिलेगी।
उन्होंने कहा कि ढाई सौ साल बाद मेरे ही हाथ श्री काशी विश्वनाथ धाम के विकास एवं सुन्दरीकरण कार्य का शिलान्यास होना लिखा था। उन्होंने वर्ष 2014 में वाराणसी से लोकसभा चुनाव के लिये नामांकन के दौरान दिए अपने उदबोधन “मैं आया नहीं मुझे बुलाया है” का जिक्र करते हुए कहा कि मुझे बुलावा ऐसे ही कामों के लिए था। मेरा संकल्प मजबूत हुआ है। यह काशी नहीं देश से जुड़ा है।
बीएचयू से आग्रह है कि केस स्टडी करना चाहिए। काशी हिंदू विश्वविद्यालय इस पर रिसर्च भी करे। ताकि दुनिया को पता चले कैसे लोगों के सहयोग से यह काम हुआ। शास्त्रों के मुताबिक कामों का पूरा पालन किया गया। ताकि आस्था पर खरोच न आए। उन्होंने कहा कि यह नव चेतना का केंद्र बनेगा। सामाजिक चेतना का यह केंद्र बनेगा।
प्रधानमंत्री मोदी ने इससे पूर्व अपने ड्रीम प्रोजेक्ट श्री काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर का शिलान्यास किया। श्री काशी विश्वनाथ मंदिर परिक्षेत्र के मिर्जापुर मठ की जमीन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कॉरिडोर के लिए फावड़ा चलाकर और पांच ख़ास शिलाओं को विधिवत पूजन के बाद स्थापित कर शिलान्यास किया। आधारशिला वाली जगह पर मंदिर का भव्य प्रवेश द्वार बनाया जाएगा। 39 हजार वर्ग मीटर में क्षेत्र एवं भूखंड पर कॉरिडोर का निर्माण होगा। प्रधानमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल श्री काशी विश्वनाथ कॉरिडोर की डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार हो गई है। मंदिर के सौंदर्यीकरण और विस्तारीकरण पर 380 करोड़ रुपये खर्च होंगे। मंदिर का प्रवेश द्वार 50 फीट से ज्यादा चौड़ा बनाया जाएगा। गलियारे के दोनों तरफ श्रद्धालु के लिए सुविधाएं विकसित की जाएंगी।
बता दें कि मां गंगा के पावन तट पर स्थित विश्व की प्राचीनतम नगरी काशी के हृदय में स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर में आने वाले दर्शनार्थियों हेतु सुगम दर्शन की सुविधा के दृष्टिगत श्री काशी विश्वनाथ धाम की विशाल रचना की जा रही है। जो श्री काशी विश्वनाथ मंदिर को गंगा नदी से जोड़ेगा। ऐतिहासिक रूप से इस मंदिर का जीर्णोद्धार इंदौर की महारानी अहिल्याबाई होलकर द्वारा वर्ष 1780 में कराए जाने के लगभग 239 वर्षों के उपरांत मां गंगा के आशीर्वाद से श्री काशी विश्वनाथ मंदिर की महिमा एवं वैभव को और प्रखर करने के लिए काशी के सांसद एवं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संकल्पित होकर इस नवनिर्माण की आधारशिला रखी है। उल्लेखनीय हैं कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी द्वारा भी वर्ष 1916 में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में अपने उद्बोधन में काशी में आने वाले दर्शनार्थियों एवं श्रद्धालुओं के मंदिर दर्शन हेतु संकीर्ण गलियों का उल्लेख किया गया था। वर्तमान में लगभग 100 वर्षों के पश्चात मंदिर की महिमा एवं वैभव को और प्रखर करने के लिए संकल्पित होकर यह नवनिर्माण कराया जा रहा है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कॉरिडोर के शिलान्यास एवं भूमि पूजन से पूर्व यहां पहुंचने पर सर्वप्रथम बाबा दरबार मे हाजिरी लगाते हुए श्री काशी विश्वनाथ का विधि-विधान से दर्शन-पूजन व रुद्राभिषेक किया। इस दौरान उत्त्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रमुख रूप से मौजूद रहे।

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