वाराणसी. राहुल गांधी का जादू नहीं चल रहा है जिसके चलते कांग्रेस की हालत खराब होती जा रही है। पीएम नरेन्द्र मोदी के चलते कांग्रेस बैकफुट पर आती जा रही है। यूपी में वर्ष 2017 में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में कांग्रेस के हिसाब से रणनीति नहीं बनती है तो एक बार फिर पार्टी को नुकसान उठाना पड़ सकता है।
यूपी चुनाव में कांग्रेस ने शानदार ढंग से आगाज किया था। सोनिया गांधी ने पीएम नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र से रोड शो का शानदार आगाज किया था। शो में भीड़ भी उमड़ी थी। इससे लगने लगा था कि कांग्रेस इस बार चुनाव में पहले से बहुत अच्छा प्रदर्शन करेगी। कांग्रेस ने खुद की ताकत दिखाने के लिए 27 साल यूपी बेहाल का नारा दिया था। दिल्ली की पूर्व सीएम शीला दीक्षित को सीएम पद का प्रत्याशी बना दिया। बीजेपी की तर्ज पर पीके की सुविधा ली और राहुल गांधी ने यूपी भर में खाट चर्चा करके पीएम मोदी सरकार को घेरने का प्रयास किया है। इसके बाद कांग्रेस की अचानक हवा निकलने लगी। अकेले चुनाव लडऩे का ऐलान करने वाली कांग्रेस को जमीनी हकीकत दिखायी देने लगी तो उसने सपा से गठबंधन की तैयारी की। पीएम नरेन्द्र मोदी के नोटबंदी के ऐलान के बाद कांग्रेस ने विपक्षी दल का तेवर दिखाते हुए इसका विरोध किया। यूपी के कई जिलों में रैली करके राहुल गांधी ने पीएम मोदी पर खुब हमला बोला है। इसके बाद भी कांग्रेस यूपी में अकेले चुनाव लडऩे की हिम्मत नहीं जुटा पा रही है।
सपा से नहीं हुआ गठबंधन तो कांग्रेस को और लगेगा झटका
सपा और कांग्रेस के बीच संभावित गठबंधन को लेकर तमाम तरह की बाते सामने आ रही है। सीएम अखिलेश यादव व राहुल गांधी ने सपा और कांग्रेस के गठबंधन की पैरवी की है लेकिन अभी शिवपाल यादव ने गठबंधन नहीं करने की बात कहते हुए फिर से नयी अटकलों को जन्म दे दिया है। कांग्रेस की सबसे बड़ी चिंता गठबंधन को लेकर है यदि यह गठबंधन नहीं होता है तो पार्टी को और तगड़ा झटका लगना तय हैं।
कांग्रेस प्रत्याशियों की हालत होगी खराब
चुनाव आयोग ने संकेत दे दिये हैं कि कभी भी चुनाव आचार संहिता लागू हो सकती है। इसके बाद चुनाव की तारीख भी जारी हो जायेगी। कांग्रेस प्रत्याशियों का पता नहीं है कि उन्हें किस सीट से चुनाव लडऩा है। प्रत्याशियों के पास समय ही कम बचेगा और वह ठीक से चुनाव प्रचार भी नहीं कर पायेंगे। यदि सपा से गठबंधन हो भी जाता है तो जितनी सीटे कांग्रेस को मिलती है उसके प्रत्याशियों के पास चुनाव प्रचार का समय ही नहीं बचेगा। फिलहाल राहुल गांधी की खाट पर चर्चा और रैलियों के बाद भी कांग्रेस को गठबंधन की दरकार है।