वाराणसी

काशी में पीएम की अपील और पुलिस बनी बंदरों का सहारा, लॉकडाउन में बेजुबानों को खाने का सबसे बड़ा संकट

पशुओं-पक्षियों के साथ काशी में जगह जगह झुंड बनाकर रहने वाले बन्दरों के लिए भी ये समय मुश्किल भरा है।

वाराणसीApr 05, 2020 / 03:02 pm

Neeraj Patel

काशी में पीएम की अपील और पुलिस बनी बंदरों का सहारा, लॉकडाउन में बेजुबानों को खाने का सबसे बड़ा संकट

वाराणसी. लॉकडाउन के बाद खाने का सबसे बड़ा संकट बेजुबानों को है। पशुओं-पक्षियों के साथ काशी में जगह जगह झुंड बनाकर रहने वाले बन्दरों के लिए भी ये समय मुश्किल भरा है। लेकिन इनकी सुरक्षा में कारगर हो रही है पीएम मोदी की वो अपील जो उन्होंने 25 मार्च काशीवासियों के साथ बात करते हुए किया था।

लॉकडाउन के बाद 25 मार्च को काशी की जनता से वीडियो कांफ्रेंसिंग करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा था कि आप सब जिम्मेदारी लें कि आप के आसपास कोई भी गरीब दुखिया या बेजुबान इस लॉकडाउन के दौरान भूखे पेट नहीं रहेगा। उन्होंने अपने संसदीय क्षेत्र की जनता को दुनियां को दिशा देने वाला बताते हुए कहा था कि ऐसा करके आप पूरे देश को मानवता के प्रति राह दिखाने का काम कर सकते हैं।

इसके लिए लोग मदद के लिए आगे आ रहे हैं और उनकी मदद कर रहे हैं। वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर के पास भी पुलिस का कुछ ऐसा ही रूप दिखा है। उसके बाद यहां धार्मिक सामाजिक संगठनों, कई समूहों, देवालयों के साथ ही घर घर से जरूरतमंदों के लिए भोजन देने का काम किया जाने लगा। सामाजिक संगठनों की गाड़ियां गरीब इलाकों के साथ ही संकट मोचन मंदिर, विश्वनाथ मंदिर परिसर, मुंशी घाट क्षेत्र, दशाश्वमेध आदि के इलाके में बंदरों के लिए भी केला, ब्रेड आदि की व्यवस्था करते हैं।

ऋण मुक्तेश्वर मन्दिर के पुजारी कामता द्विवेदी कहते हैं कि सुबह मन्दिर में पूजा के साथ ही पीपल के पेड़ों पर रहने वाले सैकड़ो वानर के लिए फल ब्रेड बिस्किट पूरियों आदि की व्यवस्था की जाती है ताकि इन्हें असुविधा न हो। साथ ही जल कुंड भी सुबह भर दिया जाता है। वहीं अन्नपूर्णा भोजन की टीम में लगे समर बहादुर यादव भी कहते हैं की जहां जहां बंदरों के अधिक संख्या में रहने के स्थल हैं वहां चिंहित कर हम इनके लिए भी आहार देने का प्रबंध हर दिन करते हैं।

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