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कवि गोपाल दास नीरज ने हिंदी साहित्य में गिरावट पर जताई थी चिंता, कांग्रेस पर लगाया था यह आरोप

locationवाराणसीPublished: Jul 19, 2018 09:10:34 pm

Submitted by:

Akhilesh Tripathi

गोपाल दास नीरज ने कहा था कि गीतकारों का करियर बर्बाद किया जा रहा। अब उनके खरीदार नहीं रहे, उन्हें जबरन रिटायर कर दिया गया।

वाराणसी.विख्यात गीतकार पद्मभूषण गोपाल दास नीरज का 94 साल की उम्र में दिल्ली में लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। गोपाल दास नीरज साल 2016 में वाराणसी में बीएचयू के दीक्षांत समारोह में भाग लेने आए थे, इसी दौरान उन्होंने पत्रिका संवाददाता डॉ. अजय कृष्ण चतुर्वेदी से खास बातचीत की थी।

पत्रिका से बातचीत में गोपाल दास नीरज ने कांग्रेस पर देश को अस्थिर करने का आरोप लगाया था और समूचे विपक्ष को कठघरे में खड़ा किया था। उन्होंने कहा था कि समूचा विपक्ष मोदी सरकार को गिराने का षडयंत्र रच रहा है, इसमें कुछ साहित्यकार भी शामिल हैं। विपक्ष अपने अभियान के तहत छात्रों को गुमराह कर रहा। जेएनयू प्रकरण इसी का हिस्सा है। उन्होंने लोकसभा सत्र नहीं चलने देने को लिये कांग्रेस को जिम्मेवार ठहराया था।

प्रमुख गीतकार ने कहा था कि जेएनयू में देश को बांटने का प्रयास हो रहा है। देश को टुकड़े टुकड़े करने की कोशिश की जा रही है, ऐसा विश्वविद्यालय जहां हिंदुस्तान मुर्दाबाद के नारे लगते हैं। उन्होंने खारिज किया कि जेएनयू के वीडियो से छेडछाड़ हुई।

कवि नीरज ने कहा था कि वर्तमान में साहित्य की चार धाराएं (पागल, हास्य -व्यंग, गीतकार और अछंदकारक) चल रही हैं। ये छंद लिखने वाले अछंदकारक साहित्यकार ही हैं जिन्हें असहिष्णुता दिख रही है और ये पुरस्कार वापसी का खेल खेल रहे हैं। उन्होंने सवाल किया था कि ये तब कहां थे जब अपने ही देश में शरणार्थी बन कर जीने को मजबूर हुए तीन लाख जम्मू कश्मीर के लोग। इन्हें कटती गायें नहीं दिखतीं, ये अमेरिका जा कर मोदी को अस्थिर करने का प्रयास करते हैं।

एक सवाल के जवाब में गोपाल दास नीरज ने कहा था कि गीतकारों का करियर बर्बाद किया जा रहा। अब उनके खरीदार नहीं रहे, उन्हें जबरन रिटायर कर दिया गया। उन्होंने कहा हिंदी साहित्य में काफी गिरावट आई है। पर उर्दू साहित्य सही दिशा में है।
गीतकार नीरज ने बताया था कि वह वर्तमान में साहित्य की हायकू विधा पर काम कर रहे हैं। यह पंचाक्षरी विधा से मिलती जुलती है। उन्होंने उदाहरण के तौर पर बताया, दहेज प्रथा-लड़की के पिता की करुण कथा। कवि का कर्म, लोकमंगल और मान मर्दन।
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