पीएम मोदी का जादू पड़ा फीका तो भाजपा के हाथ से फिसल सकती है ये लोकसभा सीट
फूलपुर सीट पर 2014 में पहली बार भाजपा ने जीत दर्ज की थी, इसके पहले यहां से भाजपा का कभी खाता नहीं खुल सका था

आशीष शुक्ला
वाराणसी. चुनाव आयोग ने यूपी की दो लोकसभा सीटों के लिए तारीखों का ऐलान कर दिया है। 11 मार्च को होने वाले इस चुनाव के लिए भाजपा को इस बार भी मोदी मैजिक का सहारा दिख रहा है। लेकिन अगर पीएम मोदी का जादू इस उप-चुनाव में फीका पड़ा तो ये सीट भाजपा के हाथ से फिसल भी सकती है। इसके लिए विपक्ष पूरी तरह से समीकरण साधने में जुटा है।
पहली बार फूलपुर सीट पर खिला था कमल
फूलपुर सीट पर 2014 में पहली बार भाजपा ने जीत दर्ज की थी। इसके पहले यहां से भाजपा का कभी खाता नहीं खुल सका था। कभी कांग्रेस की परंपरागत सीट कही जाने वाली फूलपुर से बाद में सपा, बसपा के उम्मीदवारों ने भी जीत का स्वाद चखा। लेकिन भाजपा का कमल तो पहली बार 2014 में ही खिला था। वो भी मोदी लहर में।
पटेल मतदाता बदलते हैं किस्मत
फूलरपुर सीट पर पटेल मतदाता ही दलों के जीत हार का भविष्य तय़ करते हैं। यहां इनकी सर्वाधिक संख्या करीब सवा दो लाख है। मुस्लिम, यादव और कायस्थ मतदाताओं की संख्या भी इसी के आसपास है। ऐसे में माना जाता है कि जिस तरफ पटेल मतदाताओं का रुझान होता है। उस दल को यहां जीत हासिल होती है। इस सीट पर ब्राह्मण वोटरों की भी खासी तादात है लगभग डेढ़ लाख ब्राह्मण और एक लाख से अधिक अनुसूचित जाति के मतदाता हैं जो लड़ाई को रोचक बना देते हैं। 2014 के चुनाव में बीजेपी अपना दल के साथ गठंबंधन का पूरा लाभ मिला था। भाजपा के केशव मौर्य भारी अंतर से चुनाव जीते थे।
मुस्लिम यादव वोटरों पर सपा की नजर
इस सीट पर समाजवादी पार्टी मुस्लिम और यादव वोट के सहारे जीत का सपाना संजोये हुए है। पार्टी को लगता है कि दो लाख से अधिक मुस्लिम और यादव वोट अगर साथ आ जायें तो सपा की जीत की राह आसान हो सकती है। लेकिन इस लड़ाई में एक लाख से अधिर ब्राह्मण मतदाताओं का रिझाना सपा के लिए उतना आसान शायद नहीं है। यहां एक लाख से अधिक ब्राह्मण वोट हमेशा से ही कांग्रेस का वोटर माना जाता रहा है। पर बीजेपी की रणनीति में इस समय वो भाजपा के खेमें मे ही नजर आ रहा है।
मोदी को रोकने के लिए एकजुट हुआ विपक्ष को भाजपा के लिए खतरा
2014 में जिस तरह से मोदी ने 'सबका' सफाया यानि सपा, बसपा और कांग्रेस का सफाय करने की अपील यूपी की जनता से किया था। अगर वही 'सबका' इस सीट पर एक साथ आ जायें यो एक-दूसरे को समर्थन दे दें तो चुनाव भाजपा के लिए आसान नहीं होगा। दो लाख से अधिक मुस्लिम यादव और साथ ही एक लाख से अधिक अनुसूचित वोटर भाजपा के लिए जीत की राह कठिन कर सकते हैं।
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