भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान, जक्खिनी (शंहशाहपुर) वाराणसी के प्रधान वैज्ञानिक डॉ अनन्त बहादुर एवं उनकी टीम ने देश में पहली बार आलू के पौध पर टमाटर की पौध लगाने में सफलता हासिल की है। इसे ग्राफ्टिंग तकनीक से तैयार किया गया है जिसे पोमैटो या टोमटाटो भी कहा जाता है। इस नई तकनीक के माध्यम से आलू की नर्सरी पौध पर टमाटर की उन्नतशील किस्में बुवाई के एक महीने के अंदर ग्राफ्ट की जाती है जिन्हे देखभाल के बाद लगभग 20दिन बाद खेत या गमले में रोपित किया जाता है। रोपाई के दो माह बाद टमाटर की तुड़ाई शुरू हो जाती है जबकि आलू की खुदाई टमाटर के पौध के सूखते समय किया जाता है।
संस्थान में किए गये अध्ययन से पता चला कि प्रत्येक पोमैटो पौध से लगभग 1.5 किलो टमाटर एवं 500-600 ग्राम आलू की पैदावार होती है। यदि इन पौधों को खेत में मेड़ बनाकर लगाया जाय तथा टमाटर को सहारा दिया जाय तो और अधिक उत्पादन होने की उम्मीद है। पोमैटो को शहरी आबादी में घर की बालकनी में या बड़े गमलों में असानी से उगाया जा सकता है।
कोट ग्राफ्टिंग तकनीक के माध्यम से बैंगन की पौध पर टमाटर लगाकर जड़-जनित बीमारियों के अलावा टमाटर की पौध को अधिक जल एवं सूखा से भी बचाने की तकनीक संस्थान द्वारा विकसित की गई है ।- डॉ. जगदीश सिंह, निदेशक,भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान