बता दें कि शुक्रवार की शाम प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष (प्रशासन) ने प्रयागराज, भदोही,मिर्जापुर, वाराणसी के जिलाधिकारी को पत्र भेज कर प्रियंका गांधी के 18 से 20 मार्च के प्रोग्राम की जानकारी देते हुए अनुमति मांगी थी। उसके बाद से ही यह खेल शुरू हो गया। सूत्रों के मुताबिक पहले प्रयागराज प्रशासन ने कांग्रेसजनों को यह कह कर मना किया कि पहले वह रिवर फ्रंट ऑर्गनाइजेशन व शिप का अनापत्ति प्रमाण पत्र लेकर आएं। कहा तो यहां तक जा रहा है कि प्रशआसन ने यह भी दलील दी कि गंगा में एक तो पानी कम है दूसरे जहां है वहां घड़ियाल हैं। यहां यह भी बता दें कि प्रशासन से अनुमति लेने के लिए स्थानीय कांग्रेसजनों के साथ एसपीजी की टीम भी गई थी।
इस संबंध में शनिवार को भी दिन भर खेल जारी रहा। पत्रिका के प्रयागराज प्रभारी ने एडीएम सिटी अशोक कन्नौजिया के हवाले से बताया कि जल मार्ग परिवहन के लिए 12 विभागों से अलग-अलग अनापत्ति प्रमाण पत्र की जरूरत होती है। इस क्रम में जल परिवहन प्राधिकरण ने सिर्फ इतना बताया है कि कांग्रेस के लोग प्रियंका गांधी के गंगा के रास्ते प्रयागराज से वाराणसी तक के टूर की अनुमति मांगी है। कन्नौजिया का कहना है कि जल परिवहन प्राधिकरण सहित सभी 12 विभागों से जब तक अनापत्ति प्रमाण पत्र नहीं मिलता कांग्रेस महासचिव के दौरे को अनुमति नहीं दी जा सकती। उन्होंने यह भी कहा कि सभी 12 विभागों से अनापत्ति प्रमाण पत्र मिलने में 10 से 15 घंटे का वक्त लग सकता है।
यानी अब तक प्रियंका गांधी का जल मार्ग से पूर्वी उत्तर प्रदेश का भ्रमण कार्यक्रम अटका ही है। अब इसे लेकर कांग्रेसजनों में काफी आक्रोश है। वो इसे जान बूझ कर प्रियंका गांधी के कार्यक्रम में शासन-प्रशासन के स्तर से रोड़ा अटकाना मान रहे हैं।