लोकसभा चुनाव 2014 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने खास रणनीति के तहत गुजरात के तत्कालीन सीएम नरेन्द्र मोदी को बनारस संसदीय सीट से चुनाव लड़ाया था। आरएसएस की रणनीति बेहद कारगार साबित हुई थी और पूर्वांचल के साथ ही यूपी की 80 में से 73 सीटों पर बीजेपी गठबंधन का परचम लहराया था। मुलायम सिंह यादव ने पहले ही आरएसएस की रणनीति का समझ लिया था इसलिए पश्चिम यूपी की सीटों को छोड़ कर आजमगढ़ संसदीय सीट से चुनाव लड़ा था। मुलायम सिंह यादव ने अपनी सीट तो बचा ली थी लेकिन पूर्वांचल की अन्य सीटों पर सपा प्रत्याशी को जीताने में नाकामयाब साबित हुए थे। बीजेपी एक बार फिर पूर्वांचल कार्ड खेलने की तैयारी में है और मुलायम सिंह यादव की रणनीति पर चलते हुए कांग्रेस ने प्रियंका गांधी को पूर्वी यूपी की कमान सौपी है जिससे बीजेपी के प्रभाव को कम किया जा सके।
यह भी पढ़े:-विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का NRI में दिखा जबरदस्त क्रेज, मिलने के लिए हुई धक्कामुक्की पीएम नरेन्द्र मोदी के साथ अखिलेश यादव को लग सकता है झटकामायावती व अखिलेश यादव ने पहले ही गठबंधन करके कांग्रेस को महागठबंधन से बाहर कर दिया है। कांग्रेस ने यूपी में अपनी ताकत दिखाने की बड़ी जिम्मेदारी प्रियंका गांधी को सौपी है। प्रियंका गांधी की रणनीति से कांग्रेस की ताकत जितनी बढ़ती है उतना ही नुकसान पीएम नरेन्द्र मोदी व अखिलेश यादव को होगा। संभावना जतायी जा रही है कि इस बार अखिलेश यादव आजमगढ़ से संसदीय चुनाव लड़ सकते हैं यदि ऐसा हुआ तो प्रियंका गांधी की सक्रियता से सपा की परेशानी बढऩी तय है। मुस्लिम वोटों के लिए कांग्रेस व महागठबंध में चुनावी हमले भी तेज हो जायेंगे।
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