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जानें क्या है प्रियंका गांधी का ये थ्री डायमेंशनल पोलिटिकल फार्मूला…

locationवाराणसीPublished: May 07, 2019 11:35:45 am

Submitted by:

Ajay Chaturvedi

कितनी होगी सफल होंगी प्रियंका अपनी इस रणनीति में..

प्रियंका गांधी

प्रियंका गांधी

वाराणसी. तीन दशक से यूपी की सियासत से बाहर कांग्रेस ने इस बार प्रियंका गांधी को सक्रिय राजनीति में ला कर दूर की चाल चली है। प्रियंका ने सक्रिय राजनीति में आने के साथ ही अपनी रणनीति पर काम करना शुरू भी कर दिया है। यह जरूर है कि प्रियंका की रणनीति से कांग्रेस के कुछ नेता और कार्यकर्ता भ्रम की स्थिति में हैं। लेकिन रणनीतिकार के रूप में प्रियंका की इस चाल को राजनीतिक विश्लेषक महत्वपूर्ण मान रहे है।
एक बात और आइने की तरह साफ है और वो है कि प्रिंयका की साफगोई। वह अपनी रणनीति किसी से छिपा भी नहीं रही हैं। अगर वह 2022 की तैयारी कर रही हैं तो वह इसे डंके की चोट पर कहती भी हैं। इतना ही नहीं उनके कुछ बयानों को विपक्ष खास तौर पर बीजेपी ने अपनी ढाल के रूप में भी पेश किया है जिसमें उन्होंने कहा कि यूपी की कई सीटों पर कांग्रेस वोट काटने का काम कर रही है। इतनी साफगोई से कोई भी नेता अपनी रणनीति का खुलासा नहीं करता। लेकिन उन्होंने किया है। और यह सच भी है।
दरअसल प्रियंका वास्तव में 2019 के साथ 2022 की रणनीति पर काम कर रही हैं। वह तात्कालिक जीत के लिए नहीं बल्कि यूपी में काग्रेस की खोई जमीन को फिर से उपजाऊ बनाने में जुटी हैं। इसी के तहत उन्होंने सोची समझी रणनीति के तहत कैंडिडेट भी उतारे हैं। प्रियंका की रणनीति बिल्कुल साफ है, जहां पार्टी के पास जिताऊ उम्मीदवार हैं वहां उसने पूरी ताकत झोंक दी है। जहां ऐसा नहीं है वहां के लिए वोट काटने वाले उम्मीदवार उतारे गए हैं ताकि वोट प्रतिशत बढ़ाया जाए जो 2022 में काम आएगा। अपने पुराने वोटबैंक को फिर से वापस पाया जाए।
राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं कि दरअसल प्रियंका गांधी, कांशीराम के उस फार्मूले पर काम करती नजर आ रही हैं, जिसके तहत कांशीराम ने कहा था पहले हारेंगे फिर हराएंगे। वह अपने फार्मूले में सफल भी रहे। वैसे प्रियंका भी उसी रास्ते पर हैं। इसीके तहत पूर्वाचल हो या पश्चिमांचल या मध्यांचल हर जगह सोची समझी रणनीति के तहत ही टिकट दिया गया। राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं कि प्रियंका की रणनीति कितनी कारगर हुई वह तो 23 मई के बाद ही पता चलेगा लेकिन यह तय है कि कांग्रेस के ज्यादातर प्रत्याशी भाजपा के वोटबैंक में सेंधमारी करते नजर आ रहे हैं। वह भले ही चुनाव न जीतें पर प्रमुख विपक्षी दल को मत प्रतिशत के लिहाज से झटका देते नजर आ रहे हैं।
प्रियंका की इस रणनीति का ही नतीजा है कि कांग्रेस ने यूपी की एक दर्जन से ज्यादा सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबला कर दिया है। जिन संसदीय क्षेत्रों में कांग्रेस को जीतने की उम्मीद नहीं है, उनमें पार्टी कई सीटों पर बीजेपी तो कई पर गठबंधन के वोट काटती नजर आ रही है।
वोट कटवा की भूमिका में कांग्रेस सिर्फ भाजपा को ही नुकसान पहुंचा रही हो ऐसा नहीं है। कांग्रेस सपा और बसपा के वोट भी काट रही है। यूपी की सभी सीटों का आकलन करने पर पता चलता है कि कांग्रेस 40 सीटों पर बीजेपी, तो 20 सीटों पर गठबंधन को नुकसान पहुंचा रही है।
कांग्रेस ने अगड़ी जातियों के 17 प्रत्याशियों को मैदान में उतारा है, जो बीजेपी के मतदाता माने जाते है।. वहीं, हाल में बीजेपी के पक्ष में मतदान करने वाले कुर्मी, कोरी, लोध और शाक्य मतदाताओं को अपने पक्ष में करने के लिए 11 गैर-ओबीसी प्रत्याशियों को टिकट दिया है। कुछ सीटों पर गैर-जाटव प्रत्याशियों को उतारकर बीजेपी के वोटबैंक में सेंधमारी की कोशिश की है।
वैसे रणनीति के तहत कांग्रेस का पहला जोर उन सीटों पर है, जहां से वह जीत सकती है। दूसरा, कांग्रेस विरोधी दलों के वोट बैंक में सेंध लगाकर अपनी जमीन मजबूत करना है तो तीसरा, कांग्रेस बीजेपी और गठबंधन के आधार वाले समुदायों में भी पैठ बनाने की योजना पर काम कर रही है।
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