प्रियंका ने अपने फेसबुक पेज पर लिखा है बीएचयू में छात्राओं को बार-बार विरोध करने बाहर निकलना पड़ता है क्योंकि उनको सुरक्षा की गारंटी मिलती ही नहीं है। उन्होंने आगे लिखा है कि एक प्रोफेसर पर कई सारी लड़कियों द्वारा की गई शिकायत, शिकायत समिति द्वारा सही पाई गई, लेकिन कार्रवाई के नाम पर निल बटे सन्नाटा। बेटी बचाओ अभियान अब बेटियां खुद चलाएंगी।
ये भी पढें-BHU students on strike- 3 साल बाद फिर छेड़खानी के मामले को लेकर धरने पर, जाने क्या है मामला… बता दें कि बीएचयू की छात्राएं छेड़खानी के आरोपी प्रफेसर की बरखास्तगी की मांग को लेकर शनिवार शाम से मुख्य द्वार पर धरने पर हैं। वो कुलपति को धरना स्थल पर बुलाने की मांग कर रही हैं। दूसरी ओर उनके आंदोलन को कुचलने के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन ने छात्रावासों में तालाबंदी कर दी है। इससे छात्राओं में और भी आक्रोश है।
ये भी पढें-BHU: छेड़खानी के आरोपी प्रोफेसर की बरखास्तगी को लेकर मुख्य द्वार पर छात्राओँ का धरना जारी, हॉस्टल्स में तालाबंदी सूत्रों के मुताबिक विश्वविद्यालय प्रशासन ने छात्रावासों में तालाबंदी कर दी है। छात्रावासों के द्वार पर महिला सुरक्षाकर्मी को बिठाया गया है जो सशर्त छात्राओं को आने-जाने की इजाजत दे रही हैं। शर्त यह है कि कोई भी छात्रा विश्वविद्यालय के सिंह द्वार पर चल रहे धरने में शामिल नहीं होगा।
ये भी पढें-BHU छेड़खानी के मामले में दोषी पाए जाने के बावजूद प्रोफेसर को दे दी बड़ी जिम्मेदारी प्रकरण 2018 का है जब विश्वविद्यालय के जंतु विभाग का एकेडमिक टूर गया था। छात्राओं का आरोप है कि टूर पर प्रोफेसर ने न केवल छेड़छाड़ की बल्कि मर्यादा की सारी हदें पार कर दीं। आरोप यह भी है कि क्लास में आम स्टूडेंट्स व रिसर्च स्कॉर्स के साथ भी उनका व्यवहार ठीक नहीं होता।
छात्राओं की शिकायत पर कुलपति फैक्ट फाइंडिंग जांच कराई। अब छात्राओं का आरोप है कि जांच समिति ने प्रोफेसर के खिलाफ रिपोर्ट दी बावजूद इसके उन्हें बरी कर दिया गया। वो जुलाई से फिर से विभाग आने लगे हैं पढाने।