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प्रियंका गांधी ने 27 जिलों के पदाधिकारियों को किया तलब, पूर्वांचल के कई दिग्गज कांग्रेसियों पर गिर सकती है गाज

locationवाराणसीPublished: Jun 10, 2019 01:22:50 pm

Submitted by:

Ajay Chaturvedi

-पूर्वांचल में हार का कारण जानने को हो रही है मीटिंग-पूर्वी यूपी के जिला व शहर अध्यक्ष के अलावा लोकसभा चुनाव कोऑर्डिनेटर होंगे शामिल- संगठन को नए सिरे से खड़ा करने पर भी होगा मंथन

प्रियंका गांधी

प्रियंका गांधी

डॉ अजय कृष्ण चतुर्वेदी

वाराणसी. लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद कुछ दिनों तक गम गलफ करने के पश्चात काग्रेसी दिग्गज फिर से मैदान में आने लगे है। खास तर पर गांधी परिवार फिर से सक्रिय हो गया है। इसी कड़ी में पार्टी की महासचिव और पूर्वांचल प्रभारी प्रियंका गांधी ने पूर्वी उत्तर प्रदेश के पार्टी पदाधिकारियों की बैठक बुला ली है। इसमें पूर्वांचल के 27 जिलों के जिला व महानगर अध्यक्ष के अलावा एआईसीसी से लोकसभा चुनाव के लिए नियुक्त कोआर्डिनेटर भी शामिल होंगे। बैठक की तिथि व स्थान तय कर लिए गए हैं।
बता दें कि इससे पहले ईद के तुरंत बाद की तिथि तय हुई थी. तब प्रियंका गांधी प्रयागराज में पूर्वांचल के पदाधिकारियों संग बैठक करने वाली थीं। लेकिन इस ऐन वक्त पर टाल दिया गया। अब यह बैठक 12 जून को रायबरेली में कांग्रेस गेस्ट हाउस में होगी। बनारस कांग्रेस अध्यक्ष प्रजानाथ शर्मा ने पत्रिका को बताया कि वह महानगर अध्यक्ष सीताराम केशरी संग 12 की सुबह रायबरेली के लिए रवाना होंगे। वहीं लोकसभा कोआर्डिनेटर राहुल त्रिपाठी भी पहुंचेंगे। उन्होंने बताया कि इस बैठक में प्रत्याशी अजय राय भी शामिल होंगे। शर्मा ने बताया कि बैठक के संदर्भ में पहले ही प्रियंका गांधी की ओर से दिशा निर्देश जारी हो गए थे, उसके तरह बूथ स्तर तक की कमजोरियों का पता किया गया है। कहां-कहां हम कमजोर पड़े, क्या वजह रही, इन सभी पर बैठक में हम लोग अपना पक्ष रखेंगे।
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बता दें कि कांग्रेस लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार की समीक्षा के साथ ही 2022 के विधानसभा चुनाव की तैयारी में अभी से जुटने का मन बना चुकी है। इसी के तहत यह बैठक बुलाई गई है। यहां यह भी बता दें कि पार्टी महासचिव और पूर्वांचल की प्रभारी प्रिंयका गांधी ने लोकसभा चुनाव में एड़ी से चोटी का जोर लगा दिया था, लेकिन चुनाव नतीजों कांग्रेस के पक्ष में नहीं रहे। इससे पार्टी को तगड़ा झटका लगा है। लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद से पार्टी में मंथन और बैठक का दौर जारी है। इस कड़ी में प्रियंका गांधी 12 जून को रायबरेली पहुंच रही हैं। यहां पार्टी की हार की समीक्षा बैठक के मार्फत प्रियंका कांग्रेस को सूबे में फिर से खड़ा करने के लिए भी रोड मैप तैयार करेंगी। माना जा रहा है कि इस बैठक में हार के कारणों की समीक्षा के साथ-साथ प्रियंका प्रदेश में पार्टी के पुनर्गठन पर भी मंथन करेंगी। यानी कई दिग्गजों पर गाज गिरनी तय है।
सूत्रों के मुताबिक प्रियंका गांधी मंगलवार को दिल्ली से शाम साढ़े सात बजे रायबरेली के फुरसतगंज एयरपोर्ट पहुंचेगी। इसके बाद सीट भुएमऊ गेस्टहाउस में रात्रिविश्राम करेंगी। सुबह साढ़े नौ बजे से शाम पांच बजे तक पूर्वी उत्तर प्रदेश के संगठन के साथ मीटिंग करेंगी. रात 9 बजे दिल्ली के लिए वापसी करेंगी।
मजेदार यह कि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को उत्तर प्रदेश में सीट के साथ वोट प्रतिशत में भी कमी आई है। 2014 के चुनाव में कांग्रेस को दो सीट के साथ साढ़े सात फीसद वोट मिले थे, जबकि इस बार पार्टी को सिर्फ 6.3 प्रतिशत वोट मिले हैं। हालांकि 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 6.2 फीसदी वोट मिले थे, जब कांग्रेस सपा के साथ गठबंधन कर चुनावी मैदान में उतरी थी।
कांग्रेस उत्तर प्रदेश में 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए संगठन को नए सिरे से खड़ा करने की तैयारी शुरू करने जा रही है। कोशिश है कि विधानसभा चुनाव से पहले पूरे प्रदेश में बूथ स्तर से लेकर अध्यक्ष तक बदल दिया जाय ताकि, पार्टी कार्यकर्ताओं में भरोसा पैदा किया जा सके। हालांकि प्रियंका गांधी पहले भी संगठन को नए सिरे से तैयार करने की बात चुकी हैं। प्रियंका ने कहा था कि अब उत्तर प्रदेश में नए जिला अध्यक्ष और ब्लॉक अध्यक्ष बनाए जाएंगे, जिसके लिए अच्छे उम्मीदवारों की तलाश की जाएगी। माना यह भी जा रहा है कि प्रियंका रायबरेली की बैठक से विधानसभा चुनाव की तैयारियों की औपचारिक शुरुआत कर सकती हैं।
सूत्र बतातें है कि प्रिंयका गांधी ने हर लोकसभा क्षेत्र के हर बूथ एजेंटों की सूची भी तलब की है। अब जिला व शहर अध्यक्ष बूथ एजेंटों की सूची तैयार करने में जुटे हैं ताकि कम से कम कागज पर तो कुछ दिखाया जाए। जिनके नाम बतौर बूथ एजेंट शामिल किए जा रहे हैं उन्हें बताया जा रहा है कि प्रियंका गांधी के हाथों सम्मानित किया जाएगा। हालांकि हकीकत से प्रियंका खुद भली भांति वाकिफ हैं। उन्हें पूरी सूचना है कि कहां-कहां बूथ एजेंट तो दूर कांग्रेस की चौकियां तक नहीं लगी थीं।
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