महत्वपूर्ण यह भी कि अब तक के तय कार्यक्रम के मुताबिक वह गंगा के डाउन स्र्टीम के रास्ते भैंसासुर घाट तक आएंगी। तो क्या वह गंगा को लेकर भी कुछ संदेश देंगी, लोग यह भी जानना चाहते है, क्योंकि हाल में बनारस के न्यूरोलॉजिस्ट व गंगा प्रेमी प्रो विजय नाथ मिश्रे के एक वीडियो ट्वीट का तो उन्होंने री ट्वीट से जवाब दिया था, अब वह खुद उन हालातों से मुखातिब होंगी।
हालांकि आम नागरिकों के जेहन में जो बातें चल रही हैं और जो चर्चा आम है कि कांग्रेस की ओर सीएए, एनआरसी का विरोध अब तक महज व्यक्तिगत ही रहा है। वह चाहे पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी हों, पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी हों या या राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी। कांग्रेस की ओर इस अति संवेदनशील मुद्दे पर कोई गाइड लाइन आई हो ऐसा संदेश आमजन के बीच तक नहीं पहुंचा है।
वाराणसी में गत 19 दिसंबर को जो विरोध प्रदर्शन सीएए, एनआरसी के विरुद्ध हुआ था उसमें भी सीधे तौर पर कांग्रेस की सहभागिता नहीं रही। बनारस कांग्रेस की ओर से यह तर्क दिया जाना कि प्रियंका गांधी सीएए, एनआरसी के विरोध में जेल जाने वालों से मिलने आ रही हैं, इससे बनारसियों में कोई खास हलचल नहीं है। बल्कि वो ये जानने को जरूर आतुर हैं कि प्रियंका किन लोगों से मिलेंगी। किनका अभिनंदन करेंगी क्योंकि जेल जाने वालों में कांग्रेस का एक भी कार्यकर्ता नहीं रहा। ये विशुद्ध रूप से सामाजिक कार्यकर्ता ही रहे। विचारों की दृष्टि से भले ही ये धर्मनिरपेक्ष हों पर इसका ये कतई मतलब नहीं कि वो कांग्रेसी हैं। फिर अभी भी जिला जेल में से कई बंदी हैं जिनसे जुड़े लोगों की नजर प्रियंका गांधी के इस दौरे पर है। जहां तक बीएचयू के छात्रों का सवाल है तो, प्रियंका अगर उन्हीं बच्चे-बच्चियों से मिलती हैं जिनसे अपने पहले दौरे पर गंगा में नांव पर मिली थीं तो यह भी एक पक्षीय ही होगा।
जहां तक कांग्रेसी का सवाल है तो सीएए, एनआरसी विरोध में जेल गए सामाजिक कार्यकर्ताओं की रिहाई का सवाल है तो उसमें कुछ गिने-चुने कांग्रेसी चेहरे ही रहे जो डट कर सामने खड़े रहे, उनमें बनारस के पूर्व सांसद डॉ राजेश मिश्रा, किसान कांग्रेस नेता विनय राय मुन्ना, प्रदेश की पूर्व कांग्रेंस सचिव श्वेता राय, प्रवीण सिंह बबलू और इनके अलावा पिछले एक दशक से युवाओं के बीच कांग्रेस को जिंदा रखने का संघर्ष करने वाले विकास सिंह ही थे। बाकी कांग्रेसी तो घरों पर चस्पा प्रशासनिक नोटिस के दबाव में निकले ही नहीं जबकि प्रखर समाजवादी पूर्व एमएलसी अरविंद सिंह घर पर चस्पा नोटिस को दरकिनार करते हुए लगातार सामाजिक कार्यकर्ताओं की रिहाई के लिए संघर्षरत रहे। फिर भी प्रियंका की इस पहल का स्वागत भी किया जा रहा है।
लेकिन लोगों का यह भी कहना है कि अगर प्रियंका वास्तव में सीएए, एनआरसी विरोधियों या जेल जाने वालों से मिलना ही चाहती हैं, ये उनका केवल फोटो शेसन नहीं है तो क्या वो बजरडीहा कांड के पीडित परिवारों से भी मिलेंगी। बजरडीहा प्रकरण में मृत बच्चे के परिवार के प्रति कोई सहानुभूत, संवेदना जाहिर करेंगी। क्या वो उस पीड़ित परिवार को कोई आर्थिक मदद देने की भी पहल करेंगीं।
अगर देखा जाए तो जेल में बंद सामाजिक कार्यकर्ताओं से मिलने का मुद्दा हो या बजरडीहा प्रकरण में घायलों से मिलने का या मृत बच्चे के परिवार जनों के प्रति सहानुभूति जाहिर करने का, आर्थिक मदद का, इन सभी मसलों पर समाजवादी पार्टी लीड ले चुकी है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव स्थानीय टीम के संपर्क में लगातार बने रहे। उन्होंने नेता प्रतिपक्ष के नेतृत्व में टीम भेजी। वह टीम सबसे मिल कर गई। वहीं स्थानीय सपाइयों ने अपने प्रयास से बजरडीहा कांड में मृत बच्चे के परिजनों को एक लाख रुपये की मदद भी पहुंचाई है।
हालांकि इस बीच प्रियंका गांधी की सलाहकार समिति के सदस्य अजय राय अपनी टीम के साथ बीएचयू ट्रामा सेंटर गए, लोगों से मिले, उनकी बातें सुनी। जेल से रिहा होने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं का स्वागत-अभिनंदन भी किया है।ऐसे में प्रियंका का यह दौरा कई मायनों में काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। वह आमजन के बीच क्या संदेश दे कर जाती हैं। धड़ों में बंटी कांग्रेस में कितना जान फूंक पाती हैं इन मुद्दों पर सियासी पंडितों से लेकर बनारस के आम नागरिकों तक पर नजर है।