इस मौके पर बीएचयू के पूर्व छात्रनेता सुनील यादव ने कहा कि चुनावी वायदों को पूरा करने में नाकाम केंद्र और राज्यों की भाजपा शासित सरकारों ने विपक्ष तथा जनता की आवाज को दबाने के लिए दमन का रास्ता अख्तियार कर लिया है| विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्तियों को रोस्टर प्रणाली के अधीन करने के चलते समाज के कमजोर तबकों को मिलने वाला आरक्षण निष्प्रभावी हो गया है। इस समस्या पर जब अमर सिंह पटेल जैसे लोग सवाल उठाते हैं तो समस्या के समाधान के बजाय सरकार की ओर से दमन ढाने की कार्रवाई की जाती है।
महिला संगठन एपवा की नेता कुसुम वर्मा ने कहा कि असहमति की आवाजों को कुचलने के लिए न सिर्फ संघ और भाजपा से जुड़े संगठनों द्वारा सड़कों पर आए दिन हमले की कार्रवाइयां हो रही हैं। बल्कि मुख्य धारा के मीडिया के इस्तेमाल के जरिए सुधा भारद्वाज जैसी प्रतिष्ठित वकील को बदनाम करने की साजिश रची जाती है, क्योंकि वे छत्तीसगढ़ के आदिवासियों के पक्ष में निडर हो कर बोलती हैं।
स्वराज इण्डिया के अध्यक्ष योगेन्द्र यादव के परिजनों के यहां हरियाणा में मारे गए छापों पर सवाल उठाते हुए किसान नेता रामजनम ने कहा कि पुलिस और प्रशासन के बल पर किसान आन्दोलन को नहीं दबाया जा सकता है, आने वाले दिनों में किसान आन्दोलन की आवाज और बुलंद होगी।
विरोध मार्च में भगत सिंह-आम्बेडकर विचार मंच, एपवा ,बीसीएम और एस.सी./एस.टी./एम्.टी./ओबीसी संघर्ष समिति के कुलदीप मीणा, विनय, प्रवीण नाथ, रवीन्द्र भारतीय, अनुपम, कृष्ण कुमार, रणधीर सिंह, भुवाल यादव, सहित शिक्षक नेता अरविन्द सिंह पटेल, राजेश यादव, डा. निराला सहित विभिन्न नागरिक संगठनों के प्रतिनिधि शामिल हुए।