महात्मा गांधी और कस्तूरबा गांधी की 150 वीं जयंती का वर्ष प्रारंभ हो रहा है। ऐसे में देश भर में 150वें वर्षोत्सव के कार्यक्रमों का आगाज हो चुका है। इस क्रम में वाराणसी में यह कठपुतली नाटक "मोहन से महात्मा" की प्रस्तुति की गई। महात्मा गांधी की जीवन गाथा पर आधारित 52 मिनट के इस कठपुतली नाटक में 07 कलाकारों द्वारा कुल 150 कठपुतलियों का प्रयोग किया गया। नाटक में गांधी जी के बचपन से पढाई तक की प्रमुख बातों, स्वाधीनता आंदोलन, देश का बंटवारा और स्वाधीनता आदि घटनाक्रम को बहुत ही भावपूर्ण तरीके से प्रस्तुत किया गया है।
गांधीजी के बचपन से अफ्रीका प्रवास, नमक सत्याग्रह, भारत छोडो आंदोलन, दांडी मार्च, स्वतंत्रता एवं देश विभाजन आदि घटनाओं को कठपुतलियों ने जीवंत कर दिया था।
यह आयोजन सांस्कृतिक समूह "क्रिएटिव पपेट थियेटर ट्रस्ट" एवं 'आशा ट्रस्ट' के संयुक्त तत्वावधान में कठपुतली कलाकार मिथिलेश दुबे और उनकी टीम द्वारा किया गया। इस अवसर पर मिथिलेश दुबे ने कहा कि इस प्रस्तुति का उद्देश्य गांधी जी के जीवन संघर्ष के बारे में रोचक ढंग से नयी पीढ़ी को अवगत कराना है।
शहीद उद्यान में गांधी जी के जीवन ने विविध आयामों को दर्शाने वाले चित्रों की प्रदर्शनी भी लगाई गई जिसमे चित्रों के माध्यम से गांधी जी की दैनिक जीवनचर्या पर प्रकाश डाला गया।
आयोजन से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ता वल्लभाचार्य पांडेय ने कहा कि महात्मा गांधी के विचारो की प्रासंगिकता आज भी पूरे विश्व में है। स्वतंत्रता आंदोलन में उनके योगदान को कभी विस्मृत नही किया जा सकता। नई पीढ़ी को गांधी और उनके विचारों को अधिक से अधिक पढने और समझने की जरूरत है। इस अवसर पर विनय सिंह, प्रदीप सिंह, विशाल त्रिवेदी, ऐके लारी, प्रेम सोनकर आदि ने भी विचार प्रस्तुत किए।