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डीरेका सहित रेलवे की सात उत्पादन इकाइयों के निजीकरण की तैयारी, कर्मचारियों में रोष

रेलवे का दावा-व्यक्तिगत लाभ के केंद्र के रूप में काम करेंगी रेल उत्पादन इकाइयांसबसे पहले रायबरेली की मार्डन त्राकोच फैक्ट्री का निजीकरणडीरेका कर्मचारियों में आक्रोश, जीएम को सौंपा पत्रक

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DLW Indian Railways

DLW Indian Railways फाइल फोटो

वाराणसी. रेलवे अपने सभी उत्पादन इकाइयों के निजीकरण के निजीकरण की प्रक्रिया तेज कर दी है। इसके तहत वाराणसी के डीजल रेल इंजन कारखान से लगायत देश के सभी सात कारखानों को निगम का स्वरूप दिया जाएगा। सबसे पहले रायबरेली के मार्डन कोच फैक्ट्री इसके तहत चुना जाना है। इसे लेकर बनारस के डीरेकाकर्मियों ने रोष व्यक्त किया है। इसके विरोध में उन्होंने महाप्रबंधक को पत्रक सौंपा है।

एनडीए प्रथम के कार्यकाल में ही रेलवे के निजीकरण की प्रक्रिया शुरू हो गई थी, अब दूसरे कार्यकाल के शुरूआत से ही इसमें तेजी ला दी गई है। इसके तहत रेलवे बोर्ड ने अगले 100 दिन के एक्शन प्लान में सभी उत्पादन इकाइयों को एक कंपनी के अधीन करने का प्रस्ताव दिया है। प्रस्ताव के तहत सभी उत्पादन इकाइयां व्यक्तिगत लाभ केंद्र के रूप में काम करेंगी। ये सभी भारतीय रेलवे की नई इकाई के सीएमडी को अपनी रिपोर्ट देंगी।

मंत्रालय की ओर से 18 जून को लाए गए प्रस्ताव के अनुसार अगले 100 दिनों में रेलवे की इन उत्पादन इकाइयों के निगमीकरण के लिए गहराई से अध्ययन किया जाएगा। इन सात उत्पादन इकाइयों को भारतीय रेलवे की नई इकाई इंडियन रेलवे रोलिंग स्टॉक (रेल के डिब्बे व इंजन) कंपनी के अधीन लाया जाएगा। कंपनी का एक सीएमडी होगा। सीएमडी या कंपनी के बोर्ड को उत्पादन इकाइयां अपनी रिपोर्ट देंगी। सभी उत्पादन इकाइयां व्यक्तिगत लाभ के केंद्र के रूप में काम करेंगी। मंत्रालय का मानना है कि इससे रेलेवे और इकाई दोनों को फायदा होगा। साथ ही निर्यात बढेगा। साथ ही परिचालन क्षमता को बढावा मिलेगा। मंत्रालय ने कहा है कि इसके लिए रेल कर्मचारी संगठनों से भी वार्ता की जाएगी।

इन उत्पादन इकाइयों को निगम बनाया जाएगा

-डीजल रेल इंजन कारखाना, वाराणसी

-चितरंजन लोकोमोटिव वर्क्स, आसनसोल

-इंटीग्रल कोच फैक्ट्री चेन्नई

-डीजल माडनाजेशन वर्क्स पटियाला

-ह्वील एंड एक्सल प्लांट बंगलूरू

-मार्डन कोच फैक्ट्री, रायबरेली

डीरेका की वर्तमान व्यवस्था

-सभी कर्मचारी भारतीय रेलवे के हैं

-रेल सेवा अधिनियम लागू होता है

-सभी को केंद्रीय कर्मचारी माना जाता है

-उत्पादन इकाइयों का सर्वेसर्वा जीएम होता है

-रेलवे बोर्ड के चेयरमैन को जीएम रिपोर्ट करते हैं

निगम बनने के बाद ये होगी व्यवस्था

-जीएम की जगह सीईओ की तैनाती

-सीईओ, सीएमडी को रिपोर्ट करेगा

-ग्रुप सी और डी का कोई कर्मचारी भारतीय रेलवे का हिस्सा नहीं होगा

-ग्रुप सी और डी के कर्मचारी निगम के कर्मचारी होंगे

-इन पर रेल सेवा अधिनियम लागू नहीं होगा

-कारपोरेशन के नियम के तहत काम करना होगा

-कर्मचारियों के लिए अलग से पे-कमीशन आएगा

-संविदा पर काम करेंगे

-केंद्र सरकार की सुविधाएं नहीं मिलेंगी

-सेवा शर्तें भी बदल जाएंगी

-नए कर्मचारियों के लिए पे-स्केल और पे-स्ट्रक्चर भी बदल जाएगा

कर्मचारियों की आपत्ति

-जिन इकाइयों के पास ज्यादा जमीन और करोड़ों की मशीनें हैं उनका निगमी करण किया जा रहा

-ग्रुप सी और डी के कर्मचारियो को नौकरी पर तलवार लटकी रहेगी

-कर्मचारियों को सरकारी सुविधा नहीं मिलेगी

-केंद्रीय कर्मचारी नहीं कहलाएंगे

-निगम को घाटे में बता कर कभी भी निजी कंपनियों को बेचने की आशंका बनी रहेगी

डीरेका कर्मचारियों ने सौपा पत्रक, आंदोलन की चेतावनी
सात उत्पादन इकाइयों के निगमीकरण के प्रस्ताव लाने की सूचना मिलते ही डीरेका कर्मचारियों ने आक्रोश व्यक्त किया है। डीरेका कर्मचारी परिषद के संयुक्त सचिव वीडी दुबे, विनोद कुमार सिंह, अजीमुल हक, प्रदीप कुमार यादव,आलोक कुमार वर्मा, नवीन सिन्हा ने कर्मचारियों की ओर से महाप्रबंधक रश्मि गोयल को संबोधित पत्रक उनके सचिव व सीपीआरओ नितिन मेहरोत्रा को सौंपा है। कहा है कि उत्पादन इकाइयों के निगमीकरण के प्रस्ताव से कर्मचारियों में गहरा आक्रोश है। डीरेका में किसी वक्त करीब 6 हजार कर्मचारी काम बंद कर धरना-प्रदर्शन के लिए बाध्य होंगे।