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कोहरे से निबटने को रेलवे को मिली ये खास डिवाइस, दावा, अब सुरक्षित होगी यात्रा, लेट नहीं होगी ट्रेन

locationवाराणसीPublished: Dec 23, 2018 03:00:11 pm

Submitted by:

Ajay Chaturvedi

रेल मंत्री पीयूष गोयल ने अपने ट्विटर पर दी इसकी जानकारी।

कोहरे में ट्रेन

कोहरे में ट्रेन

वाराणसी. ठंड का मौसम में रेल सफर करने वालों को हमेशा डर बना रहता है कि ट्रेन समय से आएगी या नहीं, जहां जाना है वहां समय से पहुंच भी पाएंगे कि नहीं। कहीं ट्रेन कैंसिल तो नहीं हो जाएगी। यह भय कोहरे के चलते ट्रेनों पर पड़ने वाले प्रभाव के चलते होता है। हालांकि कोहरे से ट्रेन लेट न हों, इसके लिए कई साल से प्रयास जारी है। लेकिन अब रेलवे से ऐसा डिवाइस हासिल कर लिया है जिससे कोहरे में भी ट्रेन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। ट्रेन अपनी गति से चलेगी और समय से मंजिल तय करेगी। इस डिवाइस को लेकर रेलवे के अधिकारी ही नहीं खुद रेल मंत्री पीयूष गोयल भी काफी उत्साहित हैं। उन्होंने इसे अपने ट्विटर पर शेयर भी किया है।
रेल मंत्री पीयूष गोयल ने अपने ट्वीट में लिखा है कि ट्रेनों में जीपीएस आधारित सेफ्टी डिवाइस कोहरे से निबटने व यात्रियों को सुरक्षित और समय पर पहुंचाने में मददगार साबित होगा। इसके तहत उत्तरर रेलवे 2648 ट्रेनों में यह डिवाइस लगाएगा। उसके बाद अन्य ट्रेनों में भी यह डिवाइस लगाया जाएगा। गोयल ने एक वीडियो भी ट्वीट किया है जिसमें बताया गया है कि यह जीपीएस आधारित डिवाइस किस तरह काम करता है। इसके तहत इस सिस्टम में जीपीएस एंटीना तथा बैट्री लगी हुई है। इस पर एक एलसीडी स्क्रीन भी है जिससे इंजन के लोको पायलट को कोहरे के बावजूद अगले सिग्नल की जानकारी हो जाती है। साथ ही पायलट को लेवल गेट, क्रासिंग आदि की भी जानकारी हो जाएगी। इस डिवाइस का वजन डेढ़ किलो है।
क्या है नया ‘फॉग पास’ सिस्टम
बता दें कि रेलवे ने 2015-16 में ‘त्रिनेत्र’ नामक सिस्टम लगाकर कोहरे से निबटने की कोशिश की थी, वह इंफ्रारेड प्रणाली पर आधारित सिस्टम था। इस बार का फॉग पास सिस्टम (फॉग पायलट असिस्टेंस सिस्टम फ़ॉर सेफ्टी) एक नई तकनीक है जो रेलवे रिसर्च डिज़ाइन एंड स्‍टैंडर्ड आर्गेनाइजेशन द्वारा विकसित की गई है। वर्ष 2011 से आरडीएसओ इस तकनीक पर कार्य कर रहा था।
इस संबंध में लखनऊ डिवीजन के पीआरओ विक्रम ने पत्रिका संग बातचीत में बताया कि वैसे तो कोहरे के दौरान ट्रेनों को सुरक्षित चलाने के लिए पहले से ही इंतजाम किए गए हैं। ऐसे डिवाइस लगभग सभी ट्रेन में लगाए जा चुके हैं। अब इस नई डिवाइस से लोको पायलट को सारी जानकारी आसानी से मिल जाएगी। इससे ट्रेन परिचालन में आसानी होगी।
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