कोरोना वायरस महामारी के चलते पैदा हुए हालत और लॉक डाउन के कारण ही बड़ी तादाद में प्रवासी कामगार और मज़दूर अपना काम धंधा छोड़कर अपने घरों के लिये निकल पड़े। यह एक बड़ी त्रासदी से कम नहीं, पर इसके बाद के हालात भी बेहद परेशान करने वाले हो सकते हैं। जिस तरह से दूसरे प्रदेशों से कामगारों का पलायन हो रहा है, उसी तरह से वाराणसी में भी जो बिहार, झारखंड, उड़ीसा, बंगाल के मजदूर थे, उन्हें भी उनके प्रदेश में पहुंचाया जा रहा है। मज़दूरों के चले जाने से रेलवे समेत कई विकास कार्यों के प्रोजेक्ट वर्क के काम रुक गए हैं।
ऐसे में रेलवे लौटे ज़िले प्रवासी मज़दूरों से काम लेने पर विचार कर रहा है। रेल अधिकारी जल्द ही श्रम विभाग के अफसरों से मिलकर कुशल कामगारों का पूरा डाटा लेंगे। इसके बाद मजदूरों से संपर्क कर उनसे काम के लिए पूछा जाएगा। रेलवे के वाराणसी मंडल पीआरओ अशोक कुमार ने बताया कि रेलवे को अपनी बंद पड़ी परियोजनाओं को फिर से गति देने के लिए कामगारों की ज़रूरत है। इसके लिए लौट रहे प्रवासी कामगारों का उपयोग कर उनकी मदद करने और कार्यों को फिर से पूरी गति से शुरू करने के बारे में मंथन चल रहा है। इसको मूर्त रूप देने के लिए अधिकारी श्रम विभाग से सम्पर्क करेंगे।
उधर श्रम विभाग की ओर से भी वाराणसी कैंट स्टेशन पर आने वाली हर ट्रेन से जिले के प्रवासी मजदूरों का पूरा डाटा जुटाया जा रहा है। उनसे नाम, पता, मोबाइल नंबर के अलावा ये भी जानकारी ली जा रही है कि वो क्या काम कर सकते हैं। जब इनकी होम क्वारंटीन की अवधि समाप्त हो जाएगी उसके बाद शासन प्रशासन इनसे संपर्क कर इन्हें कम दिलाने की कोशिश करेगा।