केन्द्र की सत्ता का रास्ता यूपी से होकर जाता है। लोकसभा चुनाव 2014 में एक बार फिर यह बात साबित हो चुकी है। बीजेपी भी यह बात जानती है कि यूपी में अधिक से अधिक सीट नहीं मिली तो बहुमत वाली सरकार बनाना कठिन हो जायेगा। यूपी में जातीय समीकरणों को सहेजने के लिए बीजेपी ने ओमप्रकाश राजभर के राजनीतिक हमलों को भी नजरअंदाज कर दिया है। बीजेपी को रोकने के लिए राहुल गांधी ने यूपी में महागठबंधन बनाने की योजना बनायी है जिसमे अखिलेश यादव मायावती को भी शामिल करना चाहते हैं। महागठबंधन की बैठक में अखिलेश यादव व मायावती के नहीं जाने से अटकले लग रही है कि दोनों दल महागठबंधन से दूरी बना सकते हैं। राजस्थान, एमपी व छत्तीसगढ़ में भी कांग्रेस व बसपा में गठबंधन नहीं हुआ था सपा भी अलग होकर चुनाव लड़ी थी ऐसे में महागठबंधन को लेकर संशय के बादल छाये हुए हैं। ऐसे में महागठबंधन से अखिलेश यादव व मायावती दूरी बनाते हैं तो शिवपाल यादव व राजा भैया को शामिल होने का मौका मिल सकता है।
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सीटों को लेकर महागठबंधन में फंस सकता है पेंच
यूपी में सबसे अधिक लड़ाई सीटों को लेकर होने वाली है यदि अखिलेश यादव व मायावती महागठबंधन में शामिल होते हैं तो सबसे अधिक सीट बसपा व सपा को चाहिए होगी। ऐसे में कांग्रेस व अन्य दलों को कम सीटों पर संतोष करना पड़ सकता है। यदि शिवपाल यादव व कुंडा के क्षत्रिय बाहुबली राजा भैया को महागठधंन में शामिल किया जाता है तो उनकी पार्टी कम सीट पर भी संतोष कर सकती है ऐसा हुआ तो कांग्रेस को अधिक सीटों पर लडऩे का मौका मिल जायेगा। पांच राज्यों का चुनाव परिणाम महागठबंधन की दिशा तय करेगा। कांग्रेस को जीत मिलती है तो कार्यकर्ताओं को आत्मविश्वास बढ़ेगा और फिर राहुल गांधी भी महागठबंधन में अधिक सीट लेने का दबाव बना सकते हैं।
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शिवपाल यादव व राजा भैया को मिल सकता है मौका
यूपी में एक तरफ पीएम नरेन्द्र मोदी व अमित शाह की जोड़ी चुनाव प्रचार करेगी तो दूसरी तरफ सपा व बसपा को भी गठबंधन हो सकता है ऐसा हुआ तो कांग्रेस के पास महागठबंधन बनाने का अधिक विकल्प नहीं बचेगा। कांग्रेस को छोटे दलों के सहारे की जरूरत होगी। इस स्थिति में शिवपाल यादव व राजा भैया को कांग्रेस के साथ गठबंधन को मौका मिल सकता है। शिवपाल यादव व राजा भैया ने अभी किसी तरह के गठबंधन को लेकर अधिकृत बयान नहीं दिया है लेकिन इतना तो स्पष्ट है कि दोनों ही दल नये हैं और लोकसभा चुनाव में उन्हें ताकत दिखाने के लिए किसी बड़े दल के सहारे की जरूरत है जो कांग्रेस से पूरी हो सकती है फिलहाल सारी स्थिति 11 दिसम्बर को होने वाली मतगणना के बाद स्पष्ट हो जायेगी।
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