महिला हिंसा विरोधी पखवारा के अंतर्गत दुष्कर्म, उत्पीड़न और यौन हिंसा की बढ़ती घटनाओं के खिलाफ़ ‘दखल: दमन के खिलाफ लामबंद समूह ‘ की ओर से ये विरोध रैली निकाली गई। भारत माता मंदिर परिसर से निकली यह रैली सिगरा चौराहा होते काशी विद्यापीठ परिसर लौटी। रैली में शामिल बेटियां और महिलाएं गले में प्लेकार्ड लटकाए चल रही थीं। साथ ही महिला हिंसा विरोधी नारे लगा रही थीं। रैली में शामिल महिलाओं और बेटियों ने बच्चियों के खिलाफ हो रहे अमानवीय व्यवहार के विरुद्ध जमकर गुस्सा उतारा। इन्होंने कहा कि अगर बच्चियों और महिलाओं की सुरक्षा के लिए ठोस कदम नहीं उठाए गए तो हम सड़क पर उतरकर और बड़ा आंदोलन करेंगे।
उन्होंने बनारस की बेटी संग हुए दुष्कर्म पर गुस्सा जताते के साथ ही दुष्कर्म पीड़ित बच्ची को न्याय दिलाने का संकल्प लिया। प्रदर्शन कर रही एक युवती ने मांग की बच्चियों के बलात्कार के मामलों में 6 महीने में फास्ट ट्रक कोर्ट की सुनवाई पूरी हो और अपराधियों को कड़ी से कड़ी सजा मिले, ताकि भविष्य में ऐसे जघन्य कार्य की पुनरावृत्ति न हो सके। दूषित मानसिकता के लोग दरिंगदगीपूर्ण घटना की हिम्मत न जुटा सकें।
एक अन्य कार्यकर्ता ने संयुक्त राष्ट्र की संस्था यूएन वूमेन के अध्ययन हवाला देते हुए बताया की दुनियाभर की 73.6 करोड़ महिलाओं के साथ उनके साथी और दूसरे लोगों ने कम से कम एक बार यौन हिंसा को अंजाम दिया है। हमें पुरुष प्रधान इस ढांचागत व्यवस्था को बदलना होगा। हम सबको ये निर्णय लेना होगा कि अब और हिंसा नहीं सहेंगे। लैंगिक बराबरी के लिए हमे अपनी चुप्पी तोड़नी होगी और सवाल पूछने की आदत डालनी होगी।
बनारस की जागरूक बेटियों ने सनबीम स्कूल में छोटी बच्ची के साथ पिछले दिनों हुए यौन उत्पीड़न की दुर्घटना पर चिंता और आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा की बच्चों के खिलाफ हिंसा न केवल उनके जीवन और स्वास्थ्य को,बल्कि उनके भावात्मक कल्याण और भविष्य को भी खतरे में डालती है। भारत में बच्चों के खिलाफ हिंसा अत्यधिक है और लाखों बच्चों के लिए यह कठोर वास्तविकता है। दुनिया के आधे से अधिक बच्चों ने गंभीर हिंसा को सहन किया हैं और इस तादाद के 64 प्रतिशत बच्चे दक्षिण एशिया में हैं। उन्होंने कहा कि न केवल सनबीम स्कूल बल्कि लल्लापुरा सिगरा से लगायत शहर के कई क्षेत्रों में उत्पीड़न और शोषण की घटनाएं बहुत पीड़ा पहुंचाने वाली है। समाज और प्रशासन दोनो को बेहद सचेत होकर इस परिस्थिति पर विचार करना चाहिए।
हिंसा की रोकथाम से ही हिंसा का अंत होता है। बच्चों में व्यक्तिगत सुरक्षा को बढ़ावा देना,स्कूलों में बाल संरक्षण नीतियों और बच्चों के यौन शोषण को रोकने के लिए माता-पिता की जागरूकता बढ़ानी भी आवश्यक है। छोटे बच्चे अपना बचाव करने में और भी अधिक अशक्त होते हैं। उनके लिए परिवारों और शिक्षा संस्थानों की सुरक्षात्मक भूमिका को मजबूत करने के लिए विशिष्ट तरीके अपनाने होंगे।
ये रहे शामिल महिला हिंसा विरोधी पखवारे के तहत निकली रैली में मैत्री, डॉ इंदु पांडेय, विजेता सिंह, नीति, अनुष्का, डॉ प्रियंका चतुर्वेदी, शिवि, साक्षी, रोली सिंह रघुवंशी, साहिल, मीनाक्षी मिश्रा, ज्योति,धंनजय त्रिपाठी, शबनम बीबी, रुखसार आलम, संजीव कुमार ,मृत्युंजय, रजत, जागृति राही, दीपक, राजू, स्नेहा आदि शामिल रहे।