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रविवार को गीत गवने के साथ ही लोकाचार की शुरुआत हो गई। मंगल गीत गाए जाने लगे। सोमवार 22 मार्च को माता गौरा की तेल हल्दी की रस्म होगी। फिर इसके बाद 23 मार्च् को बाबा का ससुराल आगमन होगा। इस मौके पर महंत परिवार के सदस्य श्रीशंकर त्रिपाठी ‘धन्नी महाराज’ के आचार्यत्व में 11 ब्राह्मणों द्वारा स्वातिवचन, वैदिक घनपाठ और दीक्षित मंत्रों से बाबा की आराधना कर उन्हें रजत सिंहासन पर विराजमान कराया जाएगा। इस साल होने वाले सभी धार्मिक अनुष्ठान अंकशास्त्री पं. वाचस्पति तिवारी के संयोजकत्व में महंत परिवार के सदस्यों द्वारा किए जाएंगे।
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24 मार्च को मुख्य अनुष्ठान ब्रह्रम मुहूर्त में शुरू होगा। चार बजे भोर में 11 ब्राह्मण बाबा का रुद्राभिषेक करेंगे। महंत परिवार की महिलाएं माता गौरा की मांग में सजाने के लिये सिंदूर लाएंगी। अन्नपूर्णा मंदिर और मंगला गौरी मंदिर में प्रतिष्ठित विग्रहों से सिंदूर लाया जाएगा। टेलर मास्टर किशन लाल के हाथों सिला हुआ बाबा का खादी का शाही वस्त्र तैयार हो चुका है। किशन लाल पिछले दो दशक से बाबा का परिधान सिल रहे हैं। बाबा की अबकरी पगड़ी नारियल बाजार चौकी के केशवदास मुकुंदलाल गोटावाले की ओर से सजती है, बड़ी बात यह कि इस पगड़ी को आकार देने का काम मोहम्मद गयासुद्दीन करते हैं।