बता दें कि आराजीलाइन ब्लॉक में आरटीई के तहत निजी स्कूलों में दाखिले को लेकर कुछ संगठनों और अभिभावकों ने कुछ दिन पहले ही मामला उठाया था। उनका आरोप था कि ब्लॉक बच्चों के आवास से चार-छह किलोमीटर दूर के स्कूल आवंटित किए गए हैं, जबकि आरटीई के प्रावधान के तहत एक किलोमीटर से अधिक की दूरी नहीं होनी चाहिए। इतना ही नहीं, उनका यह भी आरोप था कि कुछ ऐसे भी मामले सामने आए हैं जिसके तहत बच्चों को ऐसे विद्यालय भी आवंटित किए गए हैं जो बंद हैं। ग्रामीणों की इस समस्या को पत्रिका ने प्रमुखता से चलाया भी था। उसी क्रम में ग्रामीण अभिभावक और सामाजिक संगठन के लोग सोमवार को बीएसए दफ्तर पहुंचे थे।
सामाजिक कार्यकर्ता राज कुमार गुप्ता के नेतृत्व मे अभिभावकों सहित विभिन्न सामाजिक संगठन के पदाधिकारियो ने बेसिक शिक्षा अधिकारी को दिए ज्ञापन में दर्जनों बच्चों के नाम, स्थायी पता और आवंटित स्कूलों का उल्लेख किया है। मांग की है कि इस मामले की जांच कर उचित कार्रवाई की जाए। समस्या का समाधान नही होने पर इस मामले की शिकायत बाल संरक्षण अधिकार आयोग में भी की जाएगी। आरोप लगाया कि प्राथमिकता के हिसाब से फार्म में भरे गए स्कूल के विकल्प आवंटित नहीं किए गए। यहां तक की बंद चल रहे स्कूलों को भी आवंटित कर दिया गया है।
बीएसए की अनुपस्थिति में कार्यालय में मौजूद जिला समन्वयक (आरटीई) जेपी सिंह ने कहा कि पूरी कोशिश की गई है कि आवेदन के तहत ही नियमानुसार स्कूलों का आवंटन किया जाए, जिसने जो विकल्प भरा था, उसके अनुरूप ही स्कूल दिए जाएं। पूरी प्रक्रिया पारदर्शी है। बावजूद इसके अगर कहीं किसी प्रकार की त्रुटी गड़बड़ी हुई है तो संज्ञान में आते ही उसे सुधारा जा रहा है। उन्होंने आश्वस्त किया कि आराजीलाइन ब्लॉक के इस प्रकरण की जांच कराई जाएगी, जहां भी अनियमितता हुई है उसे तत्काल दूर किया जाएगा। बंद स्कूल के बाबत उन्होंने विभागीय त्रुटि स्वीकार की।
ज्ञापन देने वालों में सामाजिक कार्यकर्ता राजकुमार गुप्ता, डॉ. आनंद प्रकाश तिवारी, संजीव सिंह, आरिफ अंसारी, डॉ मोहम्मद आरिफ, कामता प्रसाद, अनिल यादव उर्फ गुड्डू, अजय प्रकाश वर्मा, नगीना पटेल, अनिल केशरी, किशन लाल सोनकर, विनोद कुमार, पंकज केशरी, समीउल्लाह आदि प्रमुख थे।