वाराणसी

श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर वाराणसी के इस मंदिर में रूस और मॉरिशस के कलाकारों ने रॉक बैंड पर बिखेरा कृष्ण भजन का जादू

श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर गोवा से आए गीता के विद्वान शुभविलास ने दिया व्याख्यानश्री कृष्ण भक्तों को बताई जीवन जीने की कला
 

वाराणसीAug 23, 2019 / 07:37 pm

Ajay Chaturvedi

वाराणसी के इस्कॉन मंदिर में श्री कृष्ण जन्मोत्सव

वाराणसी. श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर शिव की नगरी भी कान्हा के जन्मोत्सव में रंग गई। सुबह से ही लोग यशोदानंदन का जन्मोत्सव मनाने की तैयारी में जुटे रहे। लेकिन वाराणसी के इस मंदिर में रूस और मारिशस के रॉक बैंड ने जो शमां बांधा कि भक्तजन झूम उठे।
बता दें कि वाराणसी में भी है इस्कॉन मंदिर, जहां हर साल श्री कृष्ण जन्मोत्सव धूम-धाम के साथ मनाया जाता है। लेकिन इस बार कुछ खास करने की सोच के साथ रूस और मॉरिशस से रॉक बैंड टीम को आमंत्रित किया गया था। इस टीम ने शुक्रवार की शाम जैसे ही अपने अंदाज में भगवान श्री कृष्ण के भजनों की प्रस्तुति देना आरंभ किया, लोग झूमने लगे। हर लाइन को दोहराने लगे। यह सिलसिला देर शाम तक चला। लेकिन वाराणसी के लोगों के लिए यह अद्भुत रहा।
इससे पूर्व गुरुधाम स्थित इस्कॉन मंदिर के सामने स्थित पार्क में इस्कॉन मंदिर समिति की ओर से आयोजित भगवतगीता के आधार पर “जीवन मे साहस का महत्व” विषयक व्याख्यान कार्यक्रम में सैकड़ों युवाओ को गोवा से आए अधिवक्ता व प्रख्यात विचारक शुभविलास दास ने अपना प्रवचन देते हुए कहा की, सही कार्य के संपादन के लिए कभी भयभीत नही होना चाहिए। उन्होंने अर्जुन का उदाहरण देते हुए बताया कि वह भी महाभारत युद्ध से पूर्व भयभीत थे और युद्ध से विमुख होना चाहते थे। लेकिन भगवान श्री कृष्ण ने उनको अपना विराट भगवत् स्वरूप दिखाने के साथ ही जो कुछ भी बताया उससे वह प्रेरित हुए और उनका आत्मविश्वास जाग गया।
उन्होंने कहा कि भगवान श्री कृष्ण को शरणागत होकर भगवन्नाम का जाप, कीर्तन और कथा श्रवण के माध्यम से भक्ति मार्ग को अपनाने से जीवन की समस्त समस्याओं का हल होता है और विकास का मार्ग प्रशस्त होता है। इसी से भगवान श्री कृष्ण के परमानंद प्रेम की प्राप्ति होती है।
इससे पूर्व श्री कृष्ण जन्मोत्सव कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्य अतिथि मंडलायुक्त दीपक अग्रवाल व विशिष्ट अतिथि इस्कॉन मंदिर कमेटी के चेयरमैन दीपक मधोक ने सयुक्त रूप से किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता इस्कॉन मंदिर के उपाध्यक्ष कृष्णार्चन दास महाराज ने किया। अंत में महाप्र साद का वितरण हुआ। इस दौरान बड़ी संख्या में श्री कृष्ण भक्त और अमित अग्रवाल, सिद्धांत अग्रवाल आनन्द कृष्ण दास आदि प्रमुख रहे।
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