वाराणसी

Sawan 2018: 19 साल बाद बन रहा ऐसा संयोग, इस तारीख से शुरू होगा सावन, जानिए कितने पड़ेंगे सोमवार

इस बार सावन का महीना महत्वपूर्ण है, सावन में ऐसे करे भगवान शिव की पूजा

वाराणसीJul 14, 2018 / 08:14 am

sarveshwari Mishra

सावन 2018

वाराणसी. सावन भगवान शिव का सबसे प्रिय महीना माना जाता है। इस बार यह 28 जुलाई शनिवार से प्रारंभ होगा। श्रावण मास की तिथि 27 जुलाई को ही लग जाएगी, लेकिन उदया तिथि 28 से लगने के कारण श्रावण की शुरुआत 28 जुलाई से ही मानी जाएगी। इस बार सावन महीने में 4 सोमवार पड़ेंगे। यह संयोग 19 साल बाद पड़ रहा है। यही कारण है कि इस बार सावन का महीना महत्वपूर्ण है। 26 अगस्त, रविवार को समाप्त हो जाएगा।
 

 

19 साल बाद बना ऐसा संयोग
भगवान शिव के भक्तों और हिंदुओं के लिए सावन के महीने का खास महत्व है। वहीं इस साल शिव की आराधना करने वाले लोगों के लिए सावन का महीना शुभ संयोग के साथ शुरु होगा। इसके साथ ही इस बार सावन पूरे 30 दिनों तक रहेगा और यह संयोग 19 साल बाद पड़ रहा है। यही कारण है कि इस बार सावन का महीना महत्वपूर्ण है।
 

 


सावन में ऐसे करे भगवान शिव की पूजा

– सुबह जल्दी उठकर स्नान कर कर स्वच्छ कपड़े पहनें और पूजा स्थल की सफाई करें।
– आसपास यदि शिव का कोई मंदिर है तो वहां जाकर शिवलिंग पर जल व दूध अर्पित करें।
–सुबह और शाम कम से कम दो बार भगवान शंकर व मां पार्वती की अर्चना करें।
पूरे घर की सफाई कर स्नानादि से निवृत्त हो जाएं।
– गंगा जल या पवित्र जल पूरे घर में छिड़कें।
– घर में ही किसी पवित्र स्थान पर भगवान शिव की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
– पूरी पूजन तैयारी के बाद निम्न मंत्र से संकल्प लें।
‘मम क्षेमस्थैर्यविजयारोग्यैश्वर्याभिवृद्धयर्थं सोमवार व्रतं करिष्ये’
– इसके पश्चात निम्न मंत्र से ध्यान करें।
‘ध्यायेन्नित्यंमहेशं रजतगिरिनिभं चारुचंद्रावतंसं रत्नाकल्पोज्ज्वलांग परशुमृगवराभीतिहस्तं प्रसन्नम्‌।
पद्मासीनं समंतात्स्तुतममरगणैर्व्याघ्रकृत्तिं वसानं विश्वाद्यं विश्ववंद्यं निखिलभयहरं पंचवक्त्रं त्रिनेत्रम्‌॥’
– ध्यान के पश्चात ‘ॐ नमः शिवाय’ से शिवजी का तथा ‘ॐ नमः शिवाय’ से पार्वतीजी का षोडशोपचार पूजन करें।
– पूजन के पश्चात व्रत कथा सुनें और आरती करके प्रसाद वितरण करें।
– इसके बाद भोजन या फलाहार ग्रहण करें।

सावन सोमवार व्रत का फल
सोमवार व्रत नियमित रूप से करने पर भगवान शिव तथा देवी पार्वती की अनुकंपा बनी रहती है। जीवन धन-धान्य से भर जाता है। सभी अनिष्टों का हरण कर भगवान शिव अपने भक्तों के कष्टों को दूर करते हैं।
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