हालांकि 18 नवंबर की सुनवाई के दौरान तेज बहादुर यादव के वकील ने सुनवाई टालने की अपील की थी, लेकिन कोर्ट ने न सिर्फ उनकी अपील ठुकरा दी थी, बल्कि उन्हें फटकार भी लगाई थी। 2019 के लोकसभा चुनाव में तेज बहादुर यादव का नामांकन रद होने के बाद उन्होंने पीएम मोदी के निर्वाचन को कोर्ट में चैलेंज किया था। उनकी याचिका पर सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने ने फैसला सुनाया है।
2019 के लोकसभा चुनाव में बीएसएफ के पूर्व जवान तेज बहादुर यादव ने यूपी के वाराणसी से पीएम नरेन्द्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ने का ऐलान कर सबका ध्यान अपनी ओर खींचा। जल्द ही उन्हें समाजवादी पार्टी का साथ मिला और सपा ने तेज बहादुर को उम्मीदवार बनाया। जोर-शोर से नामांकन भी हुआ, लेकिन 19 अप्रैल 2017 को सरकारी सेवा से बर्खास्त किये जाने को आधार बनाकर उनका पर्चा खारिज कर दिया गया। उनसे अनापत्ति प्रमाण पत्र मांगा गया था, जिसे वो समय पर नहीं दे पाए।
हालांकि तेज बहादुर यादव ने दावा किया था कि उन्होंने अपने नामांकन पत्र के साथ अपनी बर्खास्तगी का आदेश दिया थ। इसके अलावा उनका दावा ये भी रहा कि चुनाव आयोग से प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिये उन्हें पर्याप्त समय भी नहीं दिया गया। नामांकन रद होने के बाद तेज बहादुर यादव ने कोर्ट का रुख किया।
बताते चलें कि तेज बहादुर यादव बीएसएफ के कांस्टेबल थे और नौकरी में रहते उन्होंनेे उन्हें मिलने वाले खाने की खराब क्वालिटी पर सवाल उठाया था। यही नहीं उन्होंने इसे लेकर एक वीडियो भी वायरल किया था, जिसके बाद वह चर्चा में आ गए। उनके इस कदम के बाद उन्हें बीएसएफ से बर्खास्त कर दिया गया।