पूर्व सरकार ने प्रति बच्चा चार रुपये के हिसाब से धनराशि स्वीकृत कर योजना शुरू की थी। हालांकि इस योजना पर कई बार संकट के बादल छाए। विद्यालयों में अध्यापक जुगाड़ से फल खिलाते रहे। समय पर धनराशि नहीं मिली, लेकिन किसी तरह से काम चलता है, पर अब व्यवस्था में परिवर्तन कर दिया गया है। हर सोमवार को नहीं, महीने के अंतिम गुरुवार को बच्चों को फल खिलाए जाएंगे। नई व्यवस्था से अध्यापक परेशान हैं। उनका कहना है कि पिछले कई माह से धनराशि नहीं आई थी। कुछ तो जुगाड़ से फल खिलाते रहे लेकिन बहुत से ऐसे भी अध्यापक हैं जिन्होंने नियमानुसार फल खिलाए पर अब व्यवस्था में परिवर्तन से उन्हें अपनी रकम पर संकट दिख रहा है। बीएसए कार्यालय से बताया गया कि मध्याह्नन भोजन प्राधिकरण से आदेश जारी हुआ है। उसी के अनुसार काम होगा।
2016 से लागू था नियम बतादें कि यूपी सरकार ने 2016 में स्कूली बच्चों को फल देने की योजना का ऐलान किया था। पहली ही बार में सरकार ने 200 करोड़ जारी किये थे। जिसके साथ ही योजना शुरू हुई थी। फलों में केला, अमरूद, सेब जैसे फलों को देने का प्रावधान था। शासना की तरफ से साफ कहा गया था कि कटे फलों का वितरण स्कूलों में किसी भी हाल में नहीं किया जायेगा। इसलिए तरबूज, खरबूजा जैसे फलों को काटकर वितरित करने पर पाबंदी लगाई गई थी। फलों को वितरण हर सोमवार को किया जाता था। सरका ने जो नियम लागू किये थे उसके मुताबिक हर बच्चों पर फल के लिए आने वाला खर्च तकरीबन चार रूपये तय था। लेकिन नये नियम से अब स्कूली बच्चों को फल के लिए एम महीने तक इंतजार करना होगा।