श्रीराम मंदिर: पिलर, पाट, मंडोवर, छत, शिखर तैयार, इस शुभ दिन होगा पत्थर लगाने का काम! 500 ट्रक का दिया गया आर्डर
हर घर में पुनः दोहराई जाएंगी रामायण की प्रेरणादायक कहानियां ऐसा क्या है रामकथा में जो उसे आपबीती बनाकर लोककथा बनने की क्षमता देता है? यह प्रश्न यों भी पूछा जा सकता है- राम की आपबीती में ऐसा क्या है कि वह जगबीती बन जाती है? एक बार फिर से लोक व्यवहारों का सहारा लें तो इस प्रश्न का सहज ही उत्तर मिल जाएगा। भोजपुरी-भाषा इलाकों में कोई भोजन बनाने चले या भोजन करने बैठे तो अक्सर कुछ ना-नुकुर या कुछ कहासुनी हो जाती है। ऐसे समय में कोई माता सरीखी महिला सीख के तौर पर दोहराती है- ‘राम बनके जेवनार। सीता बनके रसोई।’ इसका अर्थ है कि भोजन करना तभी सार्थक होता है जब वह राम भाव से किया जाए। रसोई बनाना भी तभी सार्थक होता है जब सीता भाव से बनाई जाए।अलीगढ़ में बना विश्व का सबसे बड़ा ताला, राम मंदिर को होगा भेंट
स्कूल ऑफ राम का मानना है कि कोर्स के शुरू किए जाने वाले इस प्रयास से युवा पीढ़ी को कम शब्दों में रामकथा का ज्ञान प्राप्त होगा। साथ ही रामायण के छोटे-छोटे प्रसंगों से जीवन प्रबंधन के बड़े-बड़े सूत्र भी सीखने को मिलेंगे।● रामायण के प्रसंगों को आधार बनाकर युवाओं को देगें जीवन प्रबंधन का प्रशिक्षण।
● 16 जनवरी से प्रारंभ होने वाले इस कोर्स में 13 जनवरी तक आवेदन किए जा सकेंगे।
● 101 दिन तक चलेगा यह कॉर्स।
● अब हर घर में पुनः दोहराई जाएंगी रामायण की प्रेरणादायक कहानियां।