वाराणसी

स्कूल ऑफ राम की एक और अनूठी नई पहल, राम कहानी से सिखाएंगे जीवन प्रबंधन के गुर

‘रामकथा क्या है’ जैसे प्रश्न का उत्तर किताबों से ज्यादा लोक व्यवहारों में खोजा जाना चाहिए। ऐसा मानना है भगवान श्रीराम के जीवन पर शुरू हुए विश्व के पहले वर्चुअल विद्यालय स्कूल ऑफ राम का। स्कूल ऑफ राम, राम कहानी से जीवन प्रबंधन के गुर सिखाएगा।

वाराणसीJan 09, 2022 / 10:01 am

Karishma Lalwani

School of Ram will Teach Life managment tricks from Ram Kahani

वाराणसी. रामकथा का रिश्ता सीधे लोकमानस से है, उसके सुख-दुःख,आस-निरास से है। ‘रामकथा क्या है’ जैसे प्रश्न का उत्तर किताबों से ज्यादा लोक व्यवहारों में खोजा जाना चाहिए। ऐसा मानना है भगवान श्रीराम के जीवन पर शुरू हुए विश्व के पहले वर्चुअल विद्यालय स्कूल ऑफ राम का। स्कूल ऑफ राम, राम कहानी से जीवन प्रबंधन के गुर सिखाएगा। स्कूल ऑफ राम के संस्थापक, संयोजन काशी हिंदू विश्वविद्यालय में अध्यनरत, विद्या भारती के पूर्व छात्र प्रिंस तिवाड़ी का कहना है की पहले लोग एक-दूसरे का अभिवादन, ‘प्रणाम’ और ‘नमस्कार’ की जगह ‘राम-रामजी’ या ‘जै रामजी की’ ‘जय सियाराम’ कहकर किया करते थे। अभिवादन में ‘जै रामजी’ और ‘कुशल-क्षेम’ के रूप में अपनी-अपनी राम कहानी का अर्थ समझ आता है। इसका मतलब यह होता है कि राम स्मरणीय है, इस हद तक कि दो जन जब आपस में मिलें या भेंट करें तो उनकी मुलाकात की शुरुआत रामनाम से हो। दूसरा अर्थ यह होता है कि राम की कोई कहानी है- ऐसी कहानी जिससे व्यक्ति की आपबीती का कोई अनोखा रिश्ता है। ऐसा रिश्ता कि राम की कहानी कहने का मतलब किसी से अपनी आपबीती कहना हो जाता है।
16 जनवरी से प्रारंभ होने वाले इस कोर्स में 13 जनवरी तक आवेदन किए जा सकेंगे

प्रिंस ने कोर्स के सबंध में बताया कि रामायण की इन्हीं लोककथाओं को जीवन प्रबंधन का आधार बनाकर स्कूल ऑफ राम ने एक कोर्स का प्रारूप तैयार किया है। जिसमें प्रतिदिन रामायण से जुड़ी किसी एक प्रेरणादायक कहानी से जीवन प्रबंधन का एक गुर लोगों को सिखने को मिलेगा। इस कोर्स का हिस्सा कोई भी बन सकता है। कोर्स 16 जनवरी से शुरू होगा, जिसके लिए आवेदन प्रक्रिया 13 जनवरी से शुरू हो रही है। यह कोर्स 101 दिन तक वर्चुअल ही संचालित होगा।
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हर घर में पुनः दोहराई जाएंगी रामायण की प्रेरणादायक कहानियां

ऐसा क्या है रामकथा में जो उसे आपबीती बनाकर लोककथा बनने की क्षमता देता है? यह प्रश्न यों भी पूछा जा सकता है- राम की आपबीती में ऐसा क्या है कि वह जगबीती बन जाती है? एक बार फिर से लोक व्यवहारों का सहारा लें तो इस प्रश्न का सहज ही उत्तर मिल जाएगा। भोजपुरी-भाषा इलाकों में कोई भोजन बनाने चले या भोजन करने बैठे तो अक्सर कुछ ना-नुकुर या कुछ कहासुनी हो जाती है। ऐसे समय में कोई माता सरीखी महिला सीख के तौर पर दोहराती है- ‘राम बनके जेवनार। सीता बनके रसोई।’ इसका अर्थ है कि भोजन करना तभी सार्थक होता है जब वह राम भाव से किया जाए। रसोई बनाना भी तभी सार्थक होता है जब सीता भाव से बनाई जाए।
रामकथा घर-गृहस्थी चलाने की कथा है। इसका अर्थ यह निकल कर सामने आ रहा है कि रामकथा एक और अनेक के स्वहित के आपसी टकराव की ही कथा है। इस टकराव में घर-गृहस्थी को घेरने वाले संकटों की कथा, उन संकटों से निकलने के लिए उपाय की कथा।
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स्कूल ऑफ राम का मानना है कि कोर्स के शुरू किए जाने वाले इस प्रयास से युवा पीढ़ी को कम शब्दों में रामकथा का ज्ञान प्राप्त होगा। साथ ही रामायण के छोटे-छोटे प्रसंगों से जीवन प्रबंधन के बड़े-बड़े सूत्र भी सीखने को मिलेंगे।
कोर्स की महत्वपूर्ण बातें

● रामायण के प्रेरणादायक प्रसंगों से प्रतिदिन मिलेगा लाइफ मैनेजमेंट (जीवन प्रबंधन) का एक नया सूत्र।
● रामायण के प्रसंगों को आधार बनाकर युवाओं को देगें जीवन प्रबंधन का प्रशिक्षण।
● 16 जनवरी से प्रारंभ होने वाले इस कोर्स में 13 जनवरी तक आवेदन किए जा सकेंगे।
● 101 दिन तक चलेगा यह कॉर्स।
● अब हर घर में पुनः दोहराई जाएंगी रामायण की प्रेरणादायक कहानियां।
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