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शनिवार को ऐसे करें शनिदेव को खुश, कट जाएगी हर बाधा, होगा धन लाभ

locationवाराणसीPublished: Sep 21, 2019 10:22:11 am

Submitted by:

sarveshwari Mishra

शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है साथ ही बीमारियों से भी छुटकारा मिलता है यहीं नहीं शनिदेव की पूजा से साढ़ेसाती के प्रकोप से भी निजात मिलती है

shani dev

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वाराणसी. शनिदेव एकमात्र ऐसे देवता हैं जिनके क्रोध से देवता भी कांपते हैं। ये जिसपर अपनी वक्र दृष्टि डालते हैं उसका विनाश होने लगता है। लेकिन ये जब खुश होते हैं तो रंक को भी राजा बना देते हैं। शनिदेव को न्याय का देवता भी कहा जाता है। क्योंकि ये सच्चे और ईमानदार लोगों के साथ हमेशा रहते हैं। मान्यता है कि जो भी जातक शनि से जुड़े दान और उनके मंत्रों का जाप करता है, उसे बढ़ते कर्ज से मुक्ति पाने में मदद मिलती है। शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है साथ ही बीमारियों से भी छुटकारा मिलता है यहीं नहीं शनिदेव की पूजा से साढ़ेसाती के प्रकोप से भी निजात मिलती है।

अगर आप भी शनि की साढ़ेसाती से परेशान हैं तो आज हम आपको शनिदेव के प्रकोप से बचने के वो तमाम उपाय बताएंगे जिन्हें करने से आपको शनिदेव से प्रकोप का सामना नहीं करना पड़ेगा।

शनिदेव के प्रकोप से बचने के उपाय
– जिस भी जातक पर शनि की वक्र दृष्टि पड़ जाती है, उसे लम्बी बीमारी की समस्या का सामना करना पड़ता है। ऐसे जातकों के हर कार्य में विलम्ब और रुकावट आती है। नौकरी के जुड़े रास्ते में कठिनाई आती है साथ ही ऐसे जातकों को जीवन में अकेलेपन का सामना करना पड़ता है। शनिदेव की पूजा अगर विधि-विधान से की जाए तो तुरंत फलदायी होती है।

– कहते हैं शनिदेव के प्रकोप से बचने के लिए लोहे का छल्ला सबसे मददगार साबित होता है। चलिए अब आपको बताते हैं आखिर क्यों शनि के प्रकोप से बचने के ल्ए लोहे का छल्ला धारण किया जाता है।

– कहते हैं शनिदेव का आधिपत्य लौह धातु पर है इसिलिए लोहे का छल्ला शनि देव की शक्तियों को नियंत्रित करने के काम आता है। मान्यता है कि लोहे से बना छल्ला शनि की पीड़ा को काफी हद तक कम कर देता है। लोहे का छल्ला बनवाते समय एक बात का ध्यान दें। लोहे के छल्ले को आग में ना तपाये। ये छल्ला धारण करने से पहले कुछ अहम बातों का ध्यान जरुर रखें।

– लोहे के छल्ले को शनिवार के अलावा किसी भी दिन लाएं. छल्ले को शनिवार की सुबह सरसों के तेल में डुबोकर रख दें। शाम को इसे निकाल कर जल से धोकर शुद्ध कर लें। उसके बाद ॐ शं शनैश्चराय नमः मंत्र का जाप करें। मंत्र जाप के बाद इसे मध्यमा उंगली में धारण कर लें। ऐसा करने से शनिदेव की पीड़ा का असर कम होने लगता है।
शनिदेव के व्रत करने का पूरा विधि-विधान
1. शनिवार के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर पीपल के वृक्ष पर जल अर्पण करें।
2. लोहे से बनी शनि देवता की मूर्ति को पंचामृत से स्नान कराएं।
3. काले तिल, फूल, धूप, काला वस्त्र और तेल से शनिदेव की पूजा करें. पूजन के दौरान शनि के दस नाम कोणस्थ, कृष्ण, पिप्पला, सौरि, यम, पिंगलो, रोद्रोतको, बभ्रु, मंद, शनैश्चर का उच्चाण करें. पूजन के बाद पीपल के वृक्ष की सात परिक्रमा करें और अंत में शनिदेव के मंत्रों का जाप करें। कहते हैं लगातार सात शनिवार ऐसा करने से शनि दोषों से छुटकारा पाया जा सकता है।
4. हिन्दू मान्यता है कि शनि की अगर शुभ दृष्टि हो तो रंक भी राजा बन जाता है। देवता, असुर, मनुष्य, सिद्ध, विद्याधर और नाग ये सब इसकी अशुभ दृष्टि पड़ने पर नष्ट हो जाते हैं। कहते है कि शनि जिस अवस्था में होगा, उसके अनुरूप फल प्रदान करेगा इसिलिए भक्त शनि के दर जाकर उन्हे प्रसन्न करने की तमाम कोशिशें करते है।

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