इस मंत्र से मिलेगी पितृ दोष से मुक्ति
मान्यता है कि इस दिन शनि के बीज मंत्र ‘ऊं प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम:’ का जप करें और इसके बाद उड़द दाल की खिचड़ी दान करें हैं तो शनि और पितृ दोषों से मुक्ति मिलती है।
मान्यता है कि इस दिन शनि के बीज मंत्र ‘ऊं प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम:’ का जप करें और इसके बाद उड़द दाल की खिचड़ी दान करें हैं तो शनि और पितृ दोषों से मुक्ति मिलती है।
इस मंत्र से मिलेगी शनिदेव की कृपा
ग्रहण के समय शनिदेव के वैदिक मंत्र ‘ऊँ शं नो देवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये। शंयोरभि स्रवन्तु न:।।’ का जप करें। फिर तिल के तेल से बने पकवान का दान करें। इससे शनिदेव की कृपा बनी रहेगी।
ग्रहण के समय शनिदेव के वैदिक मंत्र ‘ऊँ शं नो देवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये। शंयोरभि स्रवन्तु न:।।’ का जप करें। फिर तिल के तेल से बने पकवान का दान करें। इससे शनिदेव की कृपा बनी रहेगी।
इस मंत्र से मिलेगी शनिदोष से मुक्ति
ज्योतिषशास्त्र में शनि की दशा को कम करने के लिए शनि पत्नी के नाम की स्तुति करना भी महत्वपूर्ण उपाय माना गया है। उनकी इस स्तुति के बाद आप शमी के पेड़ की भी पूजा कर सकते हैं। शनि के दोषों से मुक्ति मिलती है।
ज्योतिषशास्त्र में शनि की दशा को कम करने के लिए शनि पत्नी के नाम की स्तुति करना भी महत्वपूर्ण उपाय माना गया है। उनकी इस स्तुति के बाद आप शमी के पेड़ की भी पूजा कर सकते हैं। शनि के दोषों से मुक्ति मिलती है।
शनि पत्नी स्तुति
ध्वजिनी धामिनी चैव कंकाली कलहिप्रिया।
कंटकी कलही चाथ तरंगी महिषी अजा।। मनोकामना पूर्ण करने का मंत्र
शनैश्चरी अमावस्या के दिन शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए पौराणिक शनि मंत्र: ‘ऊं ह्रिं नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम। छाया मार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्।।’ का जप करने से शनिदेव महाराज सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।
ध्वजिनी धामिनी चैव कंकाली कलहिप्रिया।
कंटकी कलही चाथ तरंगी महिषी अजा।। मनोकामना पूर्ण करने का मंत्र
शनैश्चरी अमावस्या के दिन शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए पौराणिक शनि मंत्र: ‘ऊं ह्रिं नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम। छाया मार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्।।’ का जप करने से शनिदेव महाराज सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।
इस मंत्र से साढ़ेसाती का प्रभाव होगा कम
कुंडली में मौजूद साढ़ेसाती और ढैय्या का प्रभाव कम करने के लिए तांत्रिक शनि मंत्र: ‘ऊं प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।’ इस मंत्रा का जप करने के साथ ही तेल, काला छाता, जूते-चप्पल, कंबल आदि दान करें। इससे ना सिर्फ साढ़ेसाती और ढैय्या का प्रभाव कम होगा। बल्कि जीवन में कभी किसी चीज की कमी नहीं होगी।
कुंडली में मौजूद साढ़ेसाती और ढैय्या का प्रभाव कम करने के लिए तांत्रिक शनि मंत्र: ‘ऊं प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।’ इस मंत्रा का जप करने के साथ ही तेल, काला छाता, जूते-चप्पल, कंबल आदि दान करें। इससे ना सिर्फ साढ़ेसाती और ढैय्या का प्रभाव कम होगा। बल्कि जीवन में कभी किसी चीज की कमी नहीं होगी।
इस मंत्र से यंत्र की करें पूजा
ग्रहण के समय ऊं भूर्भुव: स्व: शन्नोदेवीरभि टये विद्महे नीलांजनाय धीमहि तन्नो शनि: प्रचोदयात्। मंत्र का जप करें और शनिदेव की कृपा के प्रात्र बनें। साथ ही मंदिर जाकर पूजा अर्चना करना संभव न हो तो घर में शनि यंत्र की स्थापना करें और पूजन करें।
ग्रहण के समय ऊं भूर्भुव: स्व: शन्नोदेवीरभि टये विद्महे नीलांजनाय धीमहि तन्नो शनि: प्रचोदयात्। मंत्र का जप करें और शनिदेव की कृपा के प्रात्र बनें। साथ ही मंदिर जाकर पूजा अर्चना करना संभव न हो तो घर में शनि यंत्र की स्थापना करें और पूजन करें।