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सावन, शनि अमावश्या और सूर्य ग्रहणः इन मंत्रों का करें जप, नहीं होगी धन की हानि, बन जाएंगे सभी बिगड़े काम

locationवाराणसीPublished: Aug 10, 2018 04:43:19 pm

Submitted by:

Ajay Chaturvedi

शनि अमावस्या पर संकट से बचने के लिए ये हैं खास उपाय…

शनि देव

शनिदेव

वाराणसी. न्याय के देवता शनि देव का दिन है कल और कल ही लग है सोमवती अमावस्या। इतना ही नहीं साल का तीसरी और अंतिम सूर्य ग्रहण भी लग रहा है। वह भी सावन में, ऐसे में जातकों से विशेष रूप से सतर्क रहने की नसीहत दे रहे हैं ज्योतिषि और पुरोहित। खास तौर से जिन पर लगी है साढ़े साती या ढैया उन्हें इस दिन खास रूप से कुछ विशेष पूजन आदि करना होगा। कुछ निषेध भी बताए जा रहे हैं जिनका पालन करना जरूरी है। शास्त्रों में अमावस्या का विशेष महत्व बताया गया है। अपने दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदलने के लिए इस दिन शनि के कुछ शक्तिशाली मंत्रों का जप करने से शनिदेव हर मनोकामना पूरी करेंगे। जानते हैं वे मंत्र…
इस मंत्र से मिलेगी पितृ दोष से मुक्ति
मान्यता है कि इस दिन शनि के बीज मंत्र ‘ऊं प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम:’ का जप करें और इसके बाद उड़द दाल की खिचड़ी दान करें हैं तो शनि और पितृ दोषों से मुक्ति मिलती है।
इस मंत्र से मिलेगी शनिदेव की कृपा
ग्रहण के समय शनिदेव के वैदिक मंत्र ‘ऊँ शं नो देवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये। शंयोरभि स्रवन्तु न:।।’ का जप करें। फिर तिल के तेल से बने पकवान का दान करें। इससे शनिदेव की कृपा बनी रहेगी।
इस मंत्र से मिलेगी शनिदोष से मुक्ति
ज्योतिषशास्त्र में शनि की दशा को कम करने के लिए शनि पत्नी के नाम की स्तुति करना भी महत्वपूर्ण उपाय माना गया है। उनकी इस स्तुति के बाद आप शमी के पेड़ की भी पूजा कर सकते हैं। शनि के दोषों से मुक्ति मिलती है।
शनि पत्नी स्तुति
ध्वजिनी धामिनी चैव कंकाली कलहिप्रिया।
कंटकी कलही चाथ तरंगी महिषी अजा।।

मनोकामना पूर्ण करने का मंत्र
शनैश्चरी अमावस्या के दिन शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए पौराणिक शनि मंत्र: ‘ऊं ह्रिं नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम। छाया मार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्।।’ का जप करने से शनिदेव महाराज सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।
इस मंत्र से साढ़ेसाती का प्रभाव होगा कम
कुंडली में मौजूद साढ़ेसाती और ढैय्या का प्रभाव कम करने के लिए तांत्रिक शनि मंत्र: ‘ऊं प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।’ इस मंत्रा का जप करने के साथ ही तेल, काला छाता, जूते-चप्पल, कंबल आदि दान करें। इससे ना सिर्फ साढ़ेसाती और ढैय्या का प्रभाव कम होगा। बल्कि जीवन में कभी किसी चीज की कमी नहीं होगी।
इस मंत्र से यंत्र की करें पूजा
ग्रहण के समय ऊं भूर्भुव: स्व: शन्नोदेवीरभि टये विद्महे नीलांजनाय धीमहि तन्नो शनि: प्रचोदयात्। मंत्र का जप करें और शनिदेव की कृपा के प्रात्र बनें। साथ ही मंदिर जाकर पूजा अर्चना करना संभव न हो तो घर में शनि यंत्र की स्थापना करें और पूजन करें।
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