script

सेक्यूलर मोर्चे के विस्तार के लिए शिवपाल जल्द करेंगे पूर्वांचल का दौरा, करीबियों को देंगे अहम जिम्मेदारी

locationवाराणसीPublished: Aug 31, 2018 11:48:44 am

Submitted by:

sarveshwari Mishra

ये हैं शिवपाल के करीबी, इन्हें मिल सकती है अहम जिम्मेदारी

Shivpal Yadav

शिवपाल यादव

वाराणसी. समाजवादी पार्टी से हाल ही में अलग होकर नयी पार्टी सेक्यूलर मोर्चा का गठन करने वाले शिवपाल सिंह यादव जल्द ही दौरे पर आ सकते है। शिवपाल के दौरे से राजनीतिक सर्गरमी तेज हो गई। शिवपाल सिंह यादव दौर के दौरान पूर्वांचल के कई दिग्गज को नई जिम्मेदारी दे सकते है। शिवपाल सिंह यादव ने ‘समाजवादी सेक्युलर मोर्चा’ बनाने का ऐलान कर यूपी की सियासत में भूचाल ला दिया है। लम्बे समय से समाजवादी पार्टी में हाशिये पर चल रहे शिवपाल यादव ने आखिरकार भतीजे अखिलेश से अपनी राह अलग कर ही लिया। कहा जा रहा है कि शिवपाल सिंह यादव का मुख्य मुकाबला अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी से है।

सेक्यूलर मोर्चे को लेकर कर सकते हैं दौरा
शिवपाल सिंह यादव अपनी नई पार्टी सेक्यूलर मोर्चे के विस्तार के लिए जल्द ही पूर्वांचल का दौरा कर सकते हैं। जिसके दौरान शिवपाल यादव अपने करीबियों को अहम जिम्मेदारी दे सकते हैं। बतादें कि ‘ सेक्यूलर मोर्चे ‘ के गठन के बाद शिवपाल यादव ने खुलकर था कहा कि सपा से उपेक्षित लोगों को सेक्युलर मोर्चे से जोड़ा जाएगा। सेक्युलर मोर्चा यूपी में राजनीति का नया विकल्प होगा। उन्होंने कहा था कि सेक्युलर मोर्चे के सहारे वह छोटे-छोटे दलों को जोड़ेंगे। शिवपाल ने कहा कि वह नेताजी को सम्मान न मिलने से आहत हैं। उन लोगों को सपा की किसी भी मीटिंग में नहीं बुलाया जाता।
ये हैं शिवपाल के करीबी, इन्हें मिल सकती है अहम जिम्मेदारी
कौशाम्बी के पूर्व सांसद शैलेंद्र सिंह
शिवपाल सिंह के करीबी माने जाने वाले कौशांबी के पूर्व सांसद शैलेंद्र कुमार को नेता जी अपनी पार्टी की अहम जिम्मेदारी सौंप सकते हैं। शैलेंद्र कुमार को मुलायम सिंह का बेहद खास माना जाता है। हालांकि शैलेंद्र की ओर से अब तक ऐसा कोई बयान नहीं आया है, इसके अलावा जिले में सपा के कई पूर्व अध्यक्ष भी शिवपाल के साथ जाने को बेताब हैं, यह वही जिलाध्यक्ष हैं जिन्हें अखिलेश यादव की नीतियों से पहरेज है।
मिर्जापुर के लालगंज से पूर्व ब्लॉक प्रमुख जय सिंह
शिवपाल सिंह यादव पार्टी का गठन करने के बाद पूर्वांचल में जल्द ही दौरे पर आ सकते हैं। शिवपाल यादव के सबसे बड़े करीबी मिर्जापुर के लालगंज से पूर्व ब्लॉक प्रमुख जय सिंह को नेता जी अपने पार्टी की अहम जिम्मेदारी दे सकते हैं। जय सिंह ने शिवपाल की पार्टी का गठन होने के बाद सपा के असंतुष्ट नेताओं को साधना शुरू कर दिया है। शिवपाल यादव के सबसे करीबी नेता जय सिंह घोषणा होने के बाद से ही सक्रिय नजर आ रहे हैं। शिवपाल गुट के नेता पूर्व लालगंज ब्लॉक प्रमुख जय सिंह का कहना है कि हम सभी को नेता जी का आशीर्वाद प्राप्त है, जो भी शिवपाल जी का निर्देश मिलेगा हम सभी तैयार हैं। बता दें कि जय सिंह का लालगंज सहित जिले के छानवे, मड़िहान इलाकों में अच्छा खासा प्रभाव है। शिवपाल यादव ने पार्टी में मचे घमासान के बीच प्रदेश अध्यक्ष रहते उन्हें समाजवादी पार्टी का जिला अध्यक्ष बनाया था। समाजवादी पार्टी में आपस में सुलह नहीं होता तो आने वाले समय में शिवपाल यादव का प्रभाव लोकसभा चुनाव में भी पड़ सकता है, क्योंकि जिले में शिवपाल यादव के समर्थकों की संख्या सपा में अच्छी खासी है, देखना होगा कि कितने लोग शिवपाल की पार्टी का दामन थामते हैं।
नारद राय
अखिलेश यादव और शिवपाल यादव में हुई तकरार के बीच कई दिग्गज नेताओं सपा का दामन छोड़कर बसपा का दामन थाम लिया था। जिसमें से एक शिवपाल सिंह यादव के करीबी रहे समाजवादी पार्टी के दिग्गज नेता नारद राय ने भी बसपा का दामन थाम लिया था। लेकिन शिवपाल सिंह यादव की पार्टी का गठन होने के बाद नारद राय का शिवपाल की पार्टी में शामिल होने के उम्मीद जगी है। छात्र राजनीति से विधायकी तक की छलांग लगाने वाले नारद राय को मंझा हुआ नेता माना जाता है।

शिवपाल यादव और अखिलेश यादव के बीच लड़ाई शुरू हुई तो शिवपाल का करीबी होने का खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ा और वह मंत्री पद से हटा दिये गए। बाद में फिर अखिलेश यादव ने मंत्री बना दिया। इसके बाद जब कौमी एकता दल का विलय हुआ तो भी अखिलेश नाराज थे। इस दौरान भी नारद राय, ओम प्रकाश सिंह, शादाब फातिमा और विजय मिश्रा शिवपाल के साथ खड़े रहे। बस यही बात अखिलेश को नागवार गुजरी और उन्होंने आखिर में नारद राय का टिकट ही काट दिया। नारद राय जाने माने समाजवादी नेता छोटे लोहिया की शागिर्दी में रहे।
अम्बिका चौधरी
शिवपाल यादव के करीबी रहे अम्बिका चौधरी का सेक्यूलर पार्टी में शामिल होने की उम्मीद है। शिवपाल के करीबी रहे अम्बिका चौधरी समाजवादी पार्टी की कलह की वजह समाजवादी पार्टी छोड़कर बसपा का दामन थाम लिए थे। दलित और अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा के लिए उन्होंने बसपा ज्वाइन कर लिया था। अखिलेश और शिवपाल के बीच चली तनातनी में उनका भी विकेट गिरा था. हालांकि उन पर जमीन कब्जाने का आरोप भी लगे थे।

ट्रेंडिंग वीडियो