scriptPitru Visarjan 2019- पूर्वजों की विदायी को मोक्ष नगरी काशी में बारिश व जलभराव दरकिनार कर उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़ | shradh tarpan in kashi on Pitru Visarjan 2019 | Patrika News

Pitru Visarjan 2019- पूर्वजों की विदायी को मोक्ष नगरी काशी में बारिश व जलभराव दरकिनार कर उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़

locationवाराणसीPublished: Sep 28, 2019 03:48:17 pm

Submitted by:

Ajay Chaturvedi

Pitru Visarjan 2019- गंगा तट से लेकर पिशाचमोचन व अन्य तालाबों व कुंडों पर श्रद्धालुओं ने किया तर्पण-पिशाचमोचन पर जुटे सर्वाधिक श्रद्धालु-दशाश्वमेध घाट, मणिकर्णिका पर भी हुई जुटान-बारिश के चलते श्रद्धालुओं को हुई भारी परेशानी

Pitru Visarjan

Pitru Visarjan

वाराणसी. Pitru Visarjan 2019 यानी आश्विन मास कृष्ण पक्ष की अमावस्या। अर्थात पितरों के विदायी का दिन। इस दिन का मोक्ष नगरी काशी में है विशेष महत्व। एक तो मोक्ष नगरी काशी, ऊपर से मोक्ष दायिनी मां गंगा का तट, फिर गंगा से भी पुराना पिशाचमोचन कुंड। ऐसे में इस दिन विशेष को पितरों को अर्पण-तर्पण के लिए देश ही नहीं विदेशों से भी पहुंचते हैं श्रद्धालु। शनिवार 28 सिंतबर को भी ऐसा ही कुछ दृश्य है, हालांकि पिछले तीन दिनों से हो रही बारिश से चारों तरफ जलभराव है। फिर भी श्रद्धालुओं की आस्था के आगे वो कुछ भी नहीं। लोग पितरों को तारने और पितृ पक्ष के इस अंतिम दिन उनकी विदायी को सुबह से ही तल्लीन दिखे।
गंगा तट हो या पिशाचमोचन कुंड हर जगह जबरदस्त आस्था का सैलाब नजर आया। लगातार हो रही बारिश से आस्थावानों को दिक्कत जरूर हो रही है लेकिन पितरों के प्रति श्रद्धा में तनिक भी कमी नहीं है। लोग घुटने से कमर तक के जलभराव से होते हुए गंगा तट, व अन्य कुंड व सरोवरों पर पहुंचते रहे। अलबत्ता बारिश व जलभराव के लिए पितरों के नाम जो ग्रास, गाय, कौवा, कुत्ता (श्वान), चींटी, ब्राह्मण निकाला जाता है उसके लिए न कुत्ता मिला न गाय न कौआ न चींटी। इसके लिए लोग लगातार घूमते रहे।
Pitru Visarjan
IMAGE CREDIT: patrika
बता दें कि आश्विन मास की प्रतिपदा शुरू पितृ पक्ष का अंतिम दिन होता है पितृ विसर्जन। पुराणों के मुताबिक जिस किसी को अपने पूर्वजों के निधन की तिथि का ज्ञान न हो वे इस पितृ विसर्जन के दिन तर्पण व श्राद्ध कर सकते हैं। श्रद्धा पूर्वक विदा करते हैं, आशीर्वाद ग्रहण करते हैं।
पिशाचमोचन कुंड के तीर्थ पुरोहित मुन्ना लाल पांडेय के अनुसार, जिन पितरों की तिथि ज्ञात नहीं हो, तो पितृ विसर्जन यानी आश्विन अमावस्या के दिन उनका श्राद्ध कर सकते हैं। उनके निमित्त तर्पण, दान आदि इसी अमावस्या को कर सकते हैं।
श्राद्ध करने का समय

इस बार पितृ विसर्जन शनिवार के दिन पड़ा है तो इसे शनि अमावस्या भी कहा जाएगा। अमावस्या की तिथि सुबह 03:46 बजे से लग गई है, जो रात 11:56 तक रहेगी। इस दिन दोपहर के समय में श्राद्ध कर्म को सम्पन्न करना चाहिए। ऐसी मान्यता है कि दक्षिण दिशा यमराज की है, ऐसे में पितरों को समर्पित श्राद्ध आदि कर्म इसी दिशा करनी चाहिए।
पितरों के तिलांजलि देने का मंत्र

पितृभ्य:स्वधायिभ्य:स्वधा नम:।
पितामहेभ्य:स्वधायिभ्य:स्वधा नम:।।
प्रपितामहेभ्य:स्वधायिभ्य:स्वधा नम:।
पितर: पितरो त्वम तृप्तम भव पित्रिभ्यो नम:।।

जल देने के बाद आकाश की ओर हाथ ऊपर करके प्रणाम करते हुए पितरों की श्रद्धा पूर्वक स्तुति करनी चाहिए। श्राद्ध के लिए बनाया गया भोजन का एक अंश कोओं को जरूर देना चाहिए। माना जाता है कि कौओं के भोजन कर लेने से वह अंश पितरों को प्राप्त हो जाता है। श्राद्ध कर्म पूरा करने के बाद शाम को घर के बाहर दक्षिण दिशा में एक दीपक जलाएं और पितरों को श्रद्धापूर्वक नमस्कार कर उनको विदा किया जाता है।

ट्रेंडिंग वीडियो