पूर्णता की ओर काशी विश्वनाथ धाम श्री काशी विश्वनाथ धाम का कार्य अब पूर्णता की ओर है। बाबा विश्वनाथ को प्रिय सावन महीने में इस बार जब दर्शनार्थी बाबा धाम आएंगे तो उन्हें यात्री सुविधा केंद्र, फूड कोर्ट, कैफे, इम्पोरियम जैसी सुविधा उपलब्ध होगी। इनके सहित करीब आधा दर्जन भवन निर्माण कार्य पूरा हो चुका है. भवनों के आवंटन की प्रक्रिया भी तकरीबन पूरी हो चुकी है। अब इन्हें शासन की मंजूरी के लिए भेजा जा रहा है, शासन की हरी झंडी मिलते ही सब काम हो जाएगा। माना जा रहा है कि इसी महीने के अंत तक बहुउद्देशीय सभागार व अतिथि गृह का काम भी मासांत तक पूरा कर लिया जाएगा।
ये सुविधाएं भी होंगी सुलभ अबकी सावन में दर्शनार्थियों को बाबा धाम परिसर में स्मार्ट बैकिंग फैसिलेटेशन सुविधा, जलपान गृह, यात्री सुविधा केंद्र, भोगसाला, इम्पोरियम, फूड कोर्ट, कैफै आदि की खातिर टेंडर फाइनल हो गया है, कंपनी का चयन भी कर लिया गया है। बस शासन की मंजूरी का इंतजार है। इसके अतिरिक्त वाराणसी गैलरी, सिटी म्यूजियम, गेस्ट हाउस, बहुउद्देशीय सभागार का टेंडर भी महीने के अंत तक फाइनल हो जाएगा। बता दें कि धाम परिसर में बाबा के गर्भगृह से गंगा द्वार तक लगभग 53 हजार वर्ग मीटर में फैले क्षेत्र में श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए 14 से अधिक भवन का निर्माण हुआ है। अब तक महज श्रद्धालुओं को केवल सामान आदि रखने की ही सुविधा हासिल थी।
अन्नपूर्णा भवन में निःशुल्क प्रसाद वितरण श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में आने वाले दर्शनार्थी दोपहर के बाद अब प्रसाद भी ग्रहण कर सकेंगे। इसके लिए मंदिर प्रशासन ने नवनिर्मित भोगशाला, जिसे अन्नपूर्णा भवन का नाम दिया गया है। उसमें प्रसाद खिलाने का कार्य शुरू कर दिया गया है। मंदिर के ट्रस्टी ब्रज भूषण ओझा और विद्वत परिषद के प्रोफेसर राम नारायण द्विवेदी के आचार्यत्व में 51 ब्राह्मणों के मंगलाचरण के पाठ के बाद आम दर्शनार्थियों के भोजन प्रसाद के लिए भोगशाला का शुभारंभ कर दिया गया। मुख्य कार्यपालक अधिकारी सुनील कुमार वर्मा ने बताया कि दोपहर की भोग आरती के पश्चात दर्शनार्थी बाबा के परिसर में शुद्ध और सात्विक प्रसाद ग्रहण कर सकेंगे। यह भोगशाला कालिका गली स्थित सरस्वती फाटक के पास बनाया गया है। जहां आसानी से श्रद्धालु दर्शन करने के उपरांत पहुंचकर प्रसाद ग्रहण कर सकेंगे।
नीलकंठ महादेव मंदिर और अमृतेश्वर मंदिर में भी श्रद्धालु कर सकेंगे पूजा पाठ श्री काशी विश्वनाथ धाम में दो ऐसे दुर्लभ मंदिर हैं जो जमीन से काफी नीचे हैं इनमें से एक मंदिर श्री नीलकंठेश्वर महादेव का है जबकि दूसरा श्री अमृतेश्वर महादेव मंदिर है। इन दोनों मंदिरों का महत्व काशी खंडोक्त में भी मिलता है। धाम के निर्माण के दौरान इन दोनों मंदिरों में आम दर्शनार्थी पूजा पाठ नहीं कर पा रहे थे, लेकिन मंदिर प्रशासन ने इन मंदिरों का पुनः जीर्णोद्धार करा कर आम दर्शनार्थियों के लिए पूजा पाठ का सुगम मार्ग तैयार कर दिया है। दोनों मंदिर तंग गलियों में भवनों के भीतर थे, जिससे आम दर्शनार्थी का पहुंचना बड़ा ही मुश्किल था। अब धाम में आने वाले श्रद्धालु आसानी से इन मंदिरों में जाकर बिना किसी रोक-टोक के पूजा पाठ कर सकेंगे। सोमवार को मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी सुनील कुमार वर्मा मंदिर के ट्रस्टी ब्रज भूषण ओझा और काशी विश्व विद्युत परिषद के प्रो राम नारायण द्विवेदी की उपस्थिति में दोनों मंदिरों का पूजन अर्चन किया गया। दोनों मंदिरों में अतिथियों ने षोडशोपचार पूजन कर आम दर्शनार्थियों के लिए खोल दिया गया। मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी ने बताया कि मंदिर में प्रकाश और हवा की व्यवस्था के लिए ही स्टील की जाली चारों ओर लगाई गई है वहीं स्टील के चादर से ही इन मंदिरों का छाजन बनाया गया है। सीढ़ियों पर किनारे की ओर स्टील की रेलिंग भी लगाई गई है ताकि दर्शनार्थी आसानी से इन को पकड़कर नीचे जा कर पूजा पाठ कर सकेंगे।
30 जून तक सारा काम हो जाएगा पूरा 30 जून तक काशी विश्वनाथ धाम के सारे कार्य लगभग पूर्ण हो जाएंगे। इसमें रैंप बिल्डिंग कार्य भी शामिल है। इसके बाद श्रद्धालुओं को इस श्री काशी विश्वनाथ धाम में हर तरह की सुविधा मिलने लगेगी। दीपक अग्रवाल, कमिश्नर