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यौन हिंसा की घटनाओं के विरोध में हस्ताक्षर अभियान, बलात्कार के आरोपियों को फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट से मिले त्वरित दंड

locationवाराणसीPublished: Apr 16, 2018 06:28:33 pm

Submitted by:

Ajay Chaturvedi

दुष्कर्मियों को राजनैतिक संरक्षण बंद हो और दुष्कर्म के मामलों को धार्मिक,राजनैतिक रंग न दिया जाय। बाल यौन हिंसा में कठोरतम दंड मिले।

यौन हिंसा के खिलाफ हस्ताक्षर अभियान

यौन हिंसा के खिलाफ हस्ताक्षर अभियान

वाराणसी. देश में आये दिन होने वाली यौन हिंसा की घटनाओं के विरोध में साझा संस्कृति मंच और ज्वाइंट एक्शन कमेटी बीएचयू ने सोमवार को काशी हिन्दू विश्वविद्यालय मुख्य द्वारा पर हस्ताक्षर अभियान चलाया। इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा आज देश की स्थिति आधी आबादी के रहने नही रह गई है। अखबारों न्यूज चैनलों में रोज महिलाओं एवं बच्चियों के साथ बलात्कार, हत्या, आत्म हत्या, शोषण, यौन हिंसा की घटनाओं ने संवेदनशील लोगों को स्तब्ध कर दिया है। पॉक्सो जैसे मजबूत कानून के रहते हुए भी आज औरतो, लड़कियां, बच्चियों की सुरक्षा और सम्मान की जिम्मेदारी के प्रति सत्ता और प्रशासन की भूमिका में कोई बदलाव नहीं आ रहा है। वक्ताओं ने कहा कि कठुआ, उन्नाव, बारपेटा, सूरत, सासाराम आदि की हाल की की घटनाओं ने मानवता को शर्मसार कर दिया है और इन घटनाओं पर हो रही राजनीति और आरोप प्रत्यारोप के साथ साम्प्रदायिक रंग देने की कोशिश और भी शर्मनाक एवं निंदनीय है।
हस्ताक्षर अभियान के तहत प्रधानमत्री को संबोधित ज्ञापन पर भी हस्ताक्षर लिए गए जिसमे प्रमुख रूप से मांग की गई कि उन्नाव, कठुआ, सासाराम, सूरत और ऐसी तमाम घटनाओं में दोषियों के विरुद्ध जांच करा कर मुकदमा चलाया जाए। यह फैसला 4 माह के अंदर सुनाया जाए। शासन सत्ता या प्रसाशन में बैठे लोगों और जन प्रतिनिधियों के विरुद्ध शिकायतों की जांच तीव्र गति से तथा मजिस्ट्रेट स्तर की स्वतन्त्र जांच कमेटी द्वारा की जाय। बलात्कार, हत्या, यौन शोषण के आरोपितों को विधानसभा या संसद में पहुचने के रास्ते देने वाली राजनीतिक पार्टियों के विरुद्ध चुनाव आयोग व कोर्ट कार्रवाई करे। बच्चो और महिलाओं से जुड़ी शिकायतों को देखने वाली ग्राम,वार्ड, थाने, स्कूलों व कॉलेजों तथा जिले से ले कर प्रदेश देश तक की समितियों की सक्रिय भूमिका का मूल्यांकन किया जाए। शिकायत निवारण के लिए बने सभी पदों यथा विशाखा समिति, महिला एवं बाल आयोग और कार्य स्थलों पर सामाजिक कार्यकर्ता, महिला पुलिस एवं ज्यूडिशियल अफसर जज की नियुक्ति अविलम्ब की जाए। सभी पुलिसकर्मियों की हर स्तर पर जेंडर और बाल अधिकारों मानवाधिकारों सम्बन्धी प्रशिक्षण एवं परीक्षा अनिवार्य की जाए। कारपोरेट रिस्पांसिबिलिटी के फंड द्वारा अभियान चला कर जनजागृति के संगठित प्रयास किए जाएं। नई शिक्षा नीति में सभी बच्चो की प्राथमिक शिक्षा के पाठ्य क्रम में जेंडर सम्बन्धी समझदारी लाने वाले पाठ शामिल किए जाएं। यदि कोई भी सरकारी कर्मचारी, नेता या व्यक्ति स्वयं अपने विरुद्ध चल रहे मुकदमो शिकायतों को पद और सत्ता का लाभ ले कर स्वयं समाप्त करने का दोषी हो उसे पद से मुक्त किया जाए। दुष्कर्म मामलों में पीडिता और उसके परिवार को पूर्ण सुरक्षा मिले।
हस्ताक्षर अभियान में डा इन्दू पांडेय, वल्लभाचार्य पांडेय,शालिनी, शिवांगी, विनय सिंह, सतीश सिंह, डा. आनंद तिवारी, चिंतामणि सेठ, प्रेम कुमार सोनकर, आकाश, आदि ने सहयोग किया।

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