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शिक्षा बजट बढाने के लिए पोस्टर प्रदर्शऩ, हस्ताक्षर अभियान

locationवाराणसीPublished: Jan 17, 2020 02:28:13 pm

Submitted by:

Ajay Chaturvedi

-जन संवाद और पोस्टर प्रदर्शनी के माध्यम से शिक्षा के बजट को बढ़ाने की मांग-चौरी, भदोही में भी लगे पोस्टर, चित्र ओर स्लोगन- कविताओं और नारों से सभी के लिए समान शिक्षा के अवसर की उपलब्धता की आवश्यकता को दर्शाया

poster exhibition

poster exhibition

वाराणसी. स्थानीय युवाओं ने अब सबके लिए समान शिक्षा और शिक्षा का बजट बढ़ाने की मुहिम छेड़ी है। इन सभी की मांग है कि देश के हर बच्चे को बेहतर शिक्षा मिले। समान शिक्षा के अवसर प्रदान हों। इसके लिए उन्होंने बनारस और आस-पास के जिलो में मुहिम छेड़ रखी है। वो जगह-जगह पोस्टर प्रदर्शनी लगा रहे हैं, हस्ताक्षर अभियान चला रहे हैं। इनकी मांग इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश को पूरे देश में लागू करना भी है जिसके तहत सभी जनप्रतिनिधि और सरकारी अफसरों के बच्चों को सरकारी स्कूल में पढाने को कहा गया है।
poster exhibition
IMAGE CREDIT: पत्रिका
‘एक राष्ट्र समान शिक्षा अभियान’ और आशा ट्रस्ट के संयुक्त तत्वावधान में शुक्रवार को सभी के लिए समान शिक्षा की आवश्यकता पर जोर देते हुए जन संवाद एवं पोस्टर प्रदर्शनी का आयोजन चौरी बाजार में किया गया।
संवाद के मुख बिंदु निम्न रहे

1-वर्तमान समय मे शिक्षा का बजट बहुत कम है, लिहाजा शिक्षा का बजट बढ़ाया जाए
2- माननीय उच्च न्यायालय, इलाहाबाद के न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल के आदेश दिनांक 18 अगस्त 2015 जिसमे कहा गया है कि “सरकारी खजाने से पैसा लेने वाले प्रत्येक व्यक्ति अपने बच्चे को सरकारी विद्यालय में ही पढ़ाएंगे” का अनुपालन कैसे करवाया जाए
3-अपने आस-पड़ोस के सरकारी व परिषदीय विद्यालयों को बचाने और उसकी गुणवक्ता बेहतर बनाने के लिए विद्यालय में अपनी और समाज की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करना चाहिए की नहीं ?
4- देश के हर बच्चों को अच्छी शिक्षा मुफ्त में मिलना चाहिए अथवा नहीं ?
5- देश में शिक्षा को रोजगारपरक होना चाहिए या नहीं, जो बच्चा पढाई पूरी कर ले उसके लिए रोजगार होना चाहिए या नहीं ?
अभियान की तरफ से जारी पोस्टरों एवं हस्ताक्षर अभियान के द्वारा की गई मांग

-उच्च न्यायालय के 18 अगस्त 2015 का अनुपालन सुनिश्चित कराया जाय और इसे देश स्तर पर लागू किया जाय
– शिक्षा का बजट बढाया जाय। परिषदीय व सरकारी स्कूलों में उच्च स्तर के संसाधन उपलब्ध कराये जाय
-सभी सांसद एवं विधायक अपनी निधि से अनिवार्य रूप से कम से कम 30 प्रतिशत धनराशि अपने क्षेत्र के परिषदीय/सरकारी विद्यालयों के संसाधन को उच्च स्तरीय बनाने में व्यय करें
– सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की कमी दूर की जाय
– शिक्षकों से किसी भी प्रकार का गैर शैक्षणिक कार्य न कराया जाय
-प्रत्येक सरकारी विद्यालय पर अनिवार्य रूप से लिपिक, परिचारक, चौकीदार और सफाई कर्मी की नियुक्ति हो
-सभी के लिए समान शिक्षा की नीति पूरे देश में व्यवहारिकरूप से लागू हो.
अभियान के संयोजक दीनदयाल सिंह के कहा कि शिक्षा के बढ़ते बाजारीकरण के कारण आज समाज का एक बड़ा हिस्सा गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से वंचित हो रहा है। कोई स्पष्ट नीति न होने के कारण सरकारी विद्यालयों की स्थिति क्रमशः दयनीय होती जा रही है।
मनरेगा मजदूर यूनियन के संयोजक सुरेश राठौर ने कहा कि सरकारी स्कूलों को प्रायः बदहाल स्थिति में छोड़ दिया गया है, यह स्थिति दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार नवोदय विद्यालयों और केंद्रीय विद्यालयों में प्रवेश के लिए अभिभावक उत्सुकता दिखाते हैं उसी प्रकार सरकारी प्राथमिक स्कूलों की भी गुणवत्ता में अपेक्षित सुधार होने पर बच्चों के प्रवेश के लिए लोगों का झुकाव होगा।
इस मौके पर संतोष तिवारी, वंदना दुबे, अनिता दुबे, आशीष दुबे,वल्लभाचार्य पांडेय, सुरेश राठौर, दीन दयाल सिंह, महेंद्र कुमार, विनय सिंह, राजकुमार पटेल, दिनेश तिवारी, बृजेश तिवारी, उमाशंकर, तनवीर, आबिद अली आदि मौजूद रहे।

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