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सर्व विद्या की राजधानी काशी की षष्ठ विभूतियों को पद्म सम्मान का तोहफा

locationवाराणसीPublished: Jan 26, 2022 11:00:07 am

Submitted by:

Ajay Chaturvedi

गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या सर्व विद्या की राजधानी के लिए यादगार दिन बन गया, जब एक दो नहीं छह विभूतियों को पद्म अलंकरण के लिए चुना गया। यूं तो लगभग हर साल ही काशी की विद्वता को इस मौके पर सम्मान मिलता रहा है। इस बार कुछ खास है क्योंकि पद्म अलंकरण के लिए जिन षष्ट विभूतियों का चयन किया गया है वो अद्वितीय है। हर विधा को सम्मान मिला है।

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वाराणसी. देश का 73वां गणतंत्र दिवस सर्व विद्या की राजधानी काशी के लिए खास हो गया। यूं तो हर साल गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर काशीवासियों को इस सूची का इंतजार रहता है। वो सूची में उनके नाम तलाशते रहते हैं जिन्होंने अपनी मेधा से काशी की पहचान को देश व दुनिया में एक खास मुकाम दिया। ऐसे में 25 जनवरी की शाम जब पद्म अलंकरण के लिए चुने गए नामों की सूची जारी हुई तो काशी वासियों के खुशी का ठिकाना नहीं रहा।
आखिर ऐसा हो भी क्यों नहीं, जब गीता प्रेस गोरखपुर के अध्यक्ष और सनातन धर्म की प्रसिद्ध पत्रिका कल्याण के संपादक राधेश्याम खेमका, संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के पूर्व प्रति कुलपति व न्याय शास्त्र के विद्वान प्रो. वशिष्ठ त्रिपाठी, महामना की बगिया के खूबसूरत पुष्प बीएचयू के मेडिसिन विभाग के पूर्व प्रोफेसर डा. कमलाकर त्रिपाठी, 125 वर्षीय योग गुरु शिवानंद स्वामी, बनारस घराने के ख्यात सितार वादक पं. शिवनाथ मिश्रा और जानी मानी कजरी गायिका अजीता श्रीवास्तव को पद्म अंकरण दिए जाने वालों की सूची में शामिल किया गया हो।
राधेश्याम खेमका
धार्मिक पत्रिका कल्याण के संपादक राधेश्याम खेमका
गीता प्रेस गोरखपुर के अध्यक्ष राधेश्याम खेमका का परिवार आया तो बिहार के मुंगेर से मगर यहीं का हो कर रह गया। स्व, राधेश्याम जी के पिता सीताराम खेमका धर्म व शिक्षा की नगरी काशी का रुख शिक्षा ग्रहण करने को किया। मगरर वो यहां आए और यहीं के हो कर रह गए। दो पीढिय़ों तक काशी के हो कर रहे खेमका ने अप्रैल 2021 में 87 वर्ष की अवस्था में केदारघाट स्थित अपने आवास पर अंतिम सांस ली थी। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से शिक्षा ग्रहण करने के बाद लगभग 40 वर्षों तक गीता प्रेस में अपनी लेखनी से वो मुकाम हासिल किया जो युगों-युगों तक स्मरण किया जाएगा। उन्होंने जिन धार्मिक कृतियों का संपादन किया उनमें कल्याण प्रमुख है। वह वाराणसी की प्रसिद्ध संस्थाओं मारवाड़ी सेवा संघ, मुमुक्षु भवन, श्रीराम लक्ष्मी मारवाड़ी अस्पताल गोदौलिया, बिड़ला अस्पताल मछोदरी, काशी गोशाला ट्रस्ट से भी जुड़े रहे। ऐसे महान साहित्यकार राधेश्याम खेमका को पद्म विभूषण सम्मान से नवाजे जाने की घोषणा की गई है।
 प्रो वशिष्ठ त्रिपाठी
काशी विद्वत परिषद के कार्यकारी अध्यक्ष प्रो वशिष्ठ त्रिपाठी
राष्ट्रपति सम्मान प्राप्त प्रो वशिष्ठ त्रिपाठी को पद्मभूषण के लिए चुना गया। वह काशी विद्वत परिषद के कार्यकारी अध्यक्ष रह चुके हैं। देवरिया के मूल निवासी प्रो त्रिपाठी अरसे से काशी के नगवां इलाके में रह रहे हैं। आपने डॉ संपूर्णांनंद संस्कृत विश्वविद्यालय से नव्यन्यायाचार्य और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से न्यायावैशेषिक शास्त्राचार्य की शिक्षा हासिल की। फिर काशी के ही कई महाविद्यालयों में सह प्राचार्य, न्याय प्रवक्ता, न्याय प्राध्यापक, दर्शन विभाग के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। उसके बाद डॉ संपूर्णांनंद संस्कृत विश्वविद्यालय में न्याय प्रवक्ता और न्याय वैशेषिक विद्वान के रूप में अपनी पहचान बनाई। प्रो त्रिपाठी को 2004 में राष्ट्रपति सम्मान से नवाजा जा चुका है।
योग गुरु शिवानंद
चमत्कारी जीवन यात्रा के पथिक योग बाबा शिवानंद
पद्मश्री सम्मान से नवाजे जाने के लिए काशी के योग गुरु स्वामी शिवानंद का भी चयन किया गया है। वो योग गुरु शिवानंद जिनके जीवन का आधार है योग-प्राणायाम और किचन औषधि। 8 अगस्त 1896 को वर्तमान बंगलादेश के सिलेट जिले के हरीपुर गांव में जन्‍मे स्वामी शिवानंद वर्तमान में वाराणसी के कबीर नगर स्थित आश्रम में निवास करते हैं। स्वामी शिवानंद अपनी लाइफ स्टाइल को अपनी लंबी उम्र का राज बताते हैं। उन्हें जीवन में कभी जुकाम तक नहीं हुआ। प्रति दिन भोर में तीन बजे उठना और नहाने- धोने के बाद भगवत भक्ति में लीन हो जाना उनकी जीवनचर्या में शामिल है। गुरु ओंकारानंद से शिक्षा लेने के बाद वह योग और धर्म में बड़े प्रकांड पुरुष साबित हुए। 6 साल की अवस्था में बहन, मां और पिता की मौत एक महीने के अंदर ही हो गई। उन्होंने मोहवश माता-पिता को अग्नि देने से ही इंकार कर दिया। कर्मकांडियों के घोर विरोध के बाद भी चरणाग्नि ही दी। 1925 में उनके गुरु ने उन्हें विश्व भ्रमण का निर्देश दिया। 29 वर्षीय शिवा लंदन गए और लगातार 34 साल तक भ्रमण ही करते रहे। अमेरिका, यूरोप, आस्ट्रेलिया, रूस आदि देशों की यात्रा से लौटकर जब वह स्वदेश आए तो भारत तब तक अपना 9वां गणतंत्र दिवस मना रहा था। बाबा आज भी ब्रह्मचर्य के नियम का पालन करते हैं। उबला भोजन और सब्जी ही खाते हैं।
प्रो केके त्रिपाठी
रोगियों की सेवा ही जिनका जीवन धर्म है वो हैं प्रो कमलाकर त्रिपाठी
आईएमएस बीएचयू के नेफ्रोलॉजी और मेडिसिन चिकित्सा से जुड़े सेवानिवृत्त प्रो कमलाकर त्रिपाठी का जीवन धर्म ही रोगियों की सेवा है। उन्हें इस बार पद्मभूषण सम्मान के लिए चुना गया है। सिद्धार्थनगर के मदनपुर गांव के मूल निवासी डॉ. त्रिपाठी वाराणसी के रवींद्रपुरी एक्सटेंशन में रहते हैं। डॉ. त्रिपाठी नेफ्रोलाजी विभाग के भी अध्यक्ष रह चुके हैं। इसके अलावा से 1998 से 2001 तक जनरल मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष रहे। उन्होंने संस्थान में प्रभारी के तौर पर डीन की भी जिम्मेदारी भी बखूबी संभाली। वो 2008 से 2009 तक इंडियन हाइपरटेंशन सोसायटी के अध्यक्ष रहे। इसके अलावा 2009 से 11 तक यूपी डायबिटीज एसोसिएशन के अध्यक्ष रहे। उन्हें दो अंतर्राष्ट्रीय, 15 राष्ट्रीय अवार्ड मिल चुके हैं। वे बीएचयू की ओर से यूएसए, कनाडा, यूके व नीदरलैंड का दौरा भी कर चुके हैं। वहीं वे बीएचयू के साथ ही गोरखपुर विश्वविद्यालय की एकेडमिक काउंसिल के सदस्य भी रहे हैं। उन्होंने बताया कि उनके सवा सौ से अधिक रिसर्च पेपर विभिन्न राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय जर्नल में प्रकाशित हो चुके हैं। डॉ त्रिपाठी ने इस पद्म सम्मान को अपने गुरु और माता-पिता को समर्पित किया। बताया कि जीवन के इस पड़ाव पर मिलने वाला यह सम्मान एक आदर्श है।
सितार वादक पंडित शिवनाथ
सितार वादक पंडित शिवनाथ ने काशीवासियों को समर्पित किया पद्म सम्मान
बनारस घराने के प्रख्यात सितारविद पंडित शिवनाथ मिश्र को गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर मंगलवार देर शाम पद्मश्री सम्मान से नवाजे जाने की घोषणा की गई। इसकी सूचना मिलते ही पंडित शिवनाथ मिश्र के घर पर बधाई देने वालों की कतार लग गई। पंडित जी के चाहने वालों ने माल्यार्पण कर अभिनंदन किया। इस मौके पर सितारविद पंडित शिवनाथ मिश्रा ने कहा कि यह सम्मान मेरा नहीं शास्त्रीय संगीत का सम्मान है, बनारस का सम्मान है, कलाकारों का सम्मान है। सरकार ने हमे इस योग्य समझा इसके लिए हृदय से आभार है। यह पद्मश्री काशीवासियों को समर्पित करता हूं। अपने बनारस घराने एवं गुरुजनों को समर्पित करता हूं। सितार वादन के क्षेत्र काशी को ये दूसरा पद्म पुरस्कार है। इससे पहले पंडित रविशंकर को देश के सर्वोच्च सम्मान से नवाजा जा चुका है। पंडित शिवनाथ मिश्र काशी की शास्त्रीय संगीत परंपरा के वाहक हैं। इनके पुत्र पंडित देवब्रत मिश्र भी सितार के क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना चुके है।
लोक गायिका अजीत श्रीवास्तव
लोकगायकी ही जिनका जीवन है वो अजीता
बनारस में जन्मी और मिर्जापुर स्थित आर्य कन्या इंटर कालेज में प्रवक्ता अजीता श्रीवास्तव करीब चार दशक से लोक संगीत के क्षेत्र में साधनारत है। कजरी गायिका के क्षेत्र में अलग पहचान बनाने वाली अजीता अभी तक हजारों बच्चों को संगीत की शिक्षा दे चुकी हैं।

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