जानकारी के मुताबिक मिर्जामुराद थाना क्षेत्र के अमिनी गांव निवासी मुगिया देवी को चार पुत्र हैं। उनमें से दो छोटे पुत्रों ने अभिलेखों में हेराफेरी कर राजस्व विभाग के दस्तावेजों में उसे मृत घोषित कर दिया। इसके बाद पूरी संपत्ति अपने नाम करा ली। गांव वाले बताते हैं कुल ढाई बीघा जमीन का हस्तांतरण फर्जी तरीके से कराया गया है। अब वृद्ध मुगिया न्याय के लिए दर-दर की ठोकर खाने को विवश है।
वरिष्ठ समाजसेवी राजनाथ सिंह पटेल ने बताया की मिर्जामुराद थाना क्षेत्र के अमिनी गांव निवासिनी मुगिया देवी की माता सहदेईया ने मृत्यु से पहले बेटी मुगिया देवी व मुगिया के बड़े पुत्र राम प्रसाद पटेल के नाम जमीन दान, बख्शीसुदा कर दी थी। मुगिया देवी अपने सबसे बड़े पुत्र राम प्रसाद पटेल व सबसे छोटे पुत्र राजकुमार पटेल के साथ रहकर अपना गुजर बसर कर रही थी, उसी बीच मुगिया देवी के छोटे पुत्र शिव प्रसाद और ओम प्रकाश पुत्रगण छविनाथ ने तहसील के अधिकारियों को मिलाकर 10 नवंबर 2014 में मुगिया देवी को मृत घोषित कर उनके नाम कि पूरी जमीन अपने नाम करवा ली। इसकी जानकारी होने के बाद से मुगिया खुद को जीवित साबित करने के लिए दर दर की ठोकर खा रही है। हर जगह से थक हारकर आखिरकार वह कोर्ट पहुंची। यहां एक वकील ने उन्हें मृतक संघ (मृतकों का एक समूह) से संपर्क करने कहा। यहां वे हैं जो पूरे देश में पाए जाते हैं और एक तरह से समूह है जिसकी संख्या देश में करीब 10 हजार है और वह खुद को जिंदा साबित करने में जुटी है।
एक अन्य क्षेत्रीय सामाजिक कार्यकर्ता राजकुमार गुप्ता ने बताया कि मुंगिया ने यह सारी जानाकारी मुझे दी तो मैने खुद पूरे मामले का परीक्षण कर पीएम नरेंद्र मोदी, सीएम योगी आदित्यनाथ समेत आलाधिकारियों को मेल व ट्वीट करके पीड़ित को न्याय दिलाने के साथ ही दोषियों को दंडित करने की मांग की है।
थक हारकर मुगिया देवी ने अपने बड़े पुत्र राम प्रसाद पटेल के जरिए न्यायालय का दरवाजा खटखटाया तो मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट वाराणसी के आदेश पर मिर्जामुराद थाने में तत्कालीन लेखपाल रायसाहब सिंह, कानूनगो सत्येंद्र प्रसाद सिंह अभियुक्त शिव प्रसाद व ओम प्रकाश के विरुद्ध भारतीय दंड संहिता की धारा 419 420 467 468 471 506 आदि में दर्ज कर अभियुक्तों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल करने की तैयारी चल रही है।
राजातालाब तहसीलदार कार्यालय के यहां मुगिया देवी को जिंदा करने का मामला लंबे समय से लंबित था जिसे तहसील कर्मियों ने बताया कि नामांतरण वरासत अभियान के दौरान भूलवश मुगिया देवी का नाम उनके जमीन से हट गया संज्ञान में आते ही जिसे दुरुस्त कर लिया गया है।
वहीं आरोपी शिवप्रसाद व ओमप्रकाश का कहना है कि किसी साजिश के तहत हमें फसाया जा रहा है। जिंदा को मृत दिखा कर संपत्ति हड़पने का पहला मामला नहीं है।
आरोपी फिलहाल पुलिस की गिरफ्त से बाहर है। पुलिस बयान दर्ज करने के बाद जल्द आरोपी को गिरफ्तार करने की बात कह रही है।
तहसील सूत्रों का मानना है कि सड़क से लगे इलाकों में जमीनों का फर्जी तरीके से वरासतनामा कराने का खेल भू-माफिया कर रहे हैं। वह ऐसे व्यक्तियों की जमीनें चुनते हैं जो कम पढ़े लिखे व सीधे-साधे हों ताकि खुलासा होने पर भी वह अपनी संपत्ति बचाने की लंबी कानूनी लड़ाई न लड़ सकें। ऐसे व्यक्तियों को मृत घोषित कर जमीन उन्हीं के वारिस या फर्जी वारिस के नाम दर्ज करा देते हैं। इसके बाद राजस्व कर्मियों की मिलीभगत से अभिलेख में अपने आदमी का नाम चढ़वाकर जमीन बेच दी जाती है। वरासत के वक्त ऐसे मामले पकड़ में न आयें तो जमींदार को वर्षों तक पता ही नहीं चल पाता। वर्षों से चल रहा है यह खेल लाखों-करोड़ों रुपये कीमत की दूसरों की जमीनें फर्जी तरीके से हड़पने का खेल काफी पुराना है।
मृतक संघ के अध्यक्ष लाल बिहारी ‘मृतक’ ने बताया कि उत्तर प्रदेश में अभिलेखों में मृतक घोषित सैकड़ों लोगों को जीवित करार दिया गया है। सूचना के अधिकार के तहत जनसूचना विशेष अधिकारी राजस्व परिषद ने भेजे जवाब में कहा है कि सैकड़ों लोगों को जीवित करार दिया गया है और अभिलेखों में धोखाधड़ी करने वाले तीन सौ से अधिक दोषी अधिकारियों और कर्मचारियों और चार सौ से अधिक धोखाधड़ी करने वाले लाभार्थियों के खिलाफ कार्रवाई की गई है। लाल बिहारी ने कहा कि यह सूची 2015 तक की है। अन्य जिलों से भी सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगी गई है। उनके अनुसार अभिलेख में गड़बड़ी करके जीवित लोगों की संपत्ति हड़पने के लिए उन्हें मृत करार देने के खिलाफ संघर्ष जारी रहेगा। कहा कि वह खुद इस दौर से गुजर चुके हैं जब दस साल की आयु में उन्हें मृत घोषित कर दिया गया था और पारिवारिक संपत्ति रिश्तेदारों ने हड़प ली थी। लंबे अदालती संघर्ष के बाद उन्हें न्याय मिला था।